अहमदाबाद – गुजरात की वडोदरा और साबरकांठा लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो उम्मीदवारों ने शनिवार को ”निजी” कारणों का हवाला देते हुए आगामी चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा व्यक्ति की. वडोदरा सीट से इस बार भी टिकट पाने वाली मौजूदा सांसद रंजन भट्ट ने घोषणा की कि वह चुनाव लड़ने की इच्छुक नहीं हैं. भाजपा के कुछ वर्गों में उनकी उम्मीदवारी को लेकर विरोध हुआ है.
भट्ट ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ”मैं रंजनबेन धनंजय भट्ट निजी कारणों से लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने की इच्छुक नहीं हूं.ह्व इसके तुरंत बाद, साबरकांठा से पार्टी उम्मीदवार भीकाजी ठाकोर ने भी चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई. ठाकोर ने सोशल मीडिया मंच ‘इंस्टाग्राम’ पर घोषणा की कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते. उन्होंने लिखा, ह्लमैं, भीकाजी ठाकोर निजी कारणों से साबरकांठा से लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने का इच्छुक नहीं हूं.ह्व गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीट पर चुनाव 7 मई को होंगे और मतों की गिनती 4 जून को होगी. भाजपा ने 2014 और 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य में राज्य की सभी 26 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी.
भट्ट ने यह फैसला उन्हें वडोदरा लोकसभा सीट से दोबारा उम्मीदवार बनाए जाने के भाजपा के फैसले की आलोचना करते हुए शहर के कई स्थानों पर बैनर लगने के कुछ दिन बाद किया है. भट्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वडोदरा सीट छोड़ने के बाद 2014 में हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी. उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनाव भी जीता था और उन्हें आगामी चुनाव के लिए भी भाजपा ने उम्मीदवार बनाया था.
भट्ट ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि जिस तरह से मुट्ठी भर लोगों ने गुजरात के सांस्कृतिक शहर वडोदरा को बदनाम करने की कोशिश की, वह उन्हें पसंद नहीं आया. भट्ट को वडोदरा से तीसरी बार उम्मीदवार बनाये जाने के बाद भाजपा की राष्ट्रीय महिला शाखा की उपाध्यक्ष ज्योतिबेन पंड्या ने पार्टी और पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. वडोदरा शहर में इस संदेश के साथ बैनर लगे थे: “मोदी तुझसे बैर नहीं, रंजन तेरी खैर नहीं.”
भट्ट ने कहा, ”मैंने प्रार्थना की और फिर फैसला किया कि मुझे चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. मैंने मन बना लिया और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगीं. बस इतना ही. मैं पंड्या के बयान या बैनर के कारण अपना नाम वापस नहीं ले रही हूं.” उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि जिस तरह से कुछ मुट्ठी भर लोग वडोदरा को बदनाम कर रहे हैं, उससे बेहतर है कि उन्हें अपना नाम वापस ले लेना चाहिए. भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने भट्ट को उम्मीदवार बनाए जाने पर नाखुशी प्रकट की थी.
भट्ट को पिछली बार 8,83,719 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार प्रशांत पटेल को 2,94,542 वोट मिले थे.
मौजूदा सांसद ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता और मतदाता जानते हैं कि उनकी ह्लबहनह्व समर्पण के साथ काम कर रही है. उन्होंने कहा, “मैं आज भी काम करने के लिए तैयार हूं…जनता की सेवा करने के लिए किसी को सांसद बनने की जरूरत नहीं है.” भट्ट ने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व को अपने फैसले से अवगत कराया और जो भी उनकी जगह लेगा वह आगामी चुनाव भारी अंतर से जीतेगा.
ठाकोर ने कहा कि वह व्यक्तिगत कारणों से चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं, और सोशल मीडिया पर जो कुछ उन्होंने पहले ही कहा है, उससे अधिक कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं. विपक्षी दल कांग्रेस की अमी रावत ने दावा किया कि भट्ट को पार्टी के भीतर असंतोष और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण भाजपा आलाकमान के निर्देश पर दौड़ से हटने के लिए मजबूर किया गया.
कांग्रेस नेता ने ”पोस्टर में उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों” पर भट्ट के खिलाफ जांच और कार्रवाई की मांग की और दावा किया कि जनता समझती है कि भाजपा नेता ने काम नहीं किया है. रावत ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”जनता में गुस्सा था क्योंकि उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया… जनता में स्पष्ट धारणा है कि मौजूदा सांसद भ्रष्ट हैं और वह वडोदरा को नजरअंदाज करते हुए खुद का विकास कर रही हैं.” उन्होंने दावा किया कि लोग जानते हैं कि सत्तारूढ़ भाजपा उनके लिए काम नहीं कर रही है और इसका चुनाव पर असर पड़ेगा और कांग्रेस विजयी होगी.
रावत ने कहा कि यहां तक कि भाजपा की महिला शाखा की तत्कालीन उपाध्यक्ष ज्योति पंड्या ने भी भट्ट के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और प्रदेश भाजपा प्रमुख सी आर पाटिल ने रिकॉर्ड पर कहा कि वडोदरा विकास में पिछड़ गया है. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले भाजपा उम्मीदवारों का चुनाव लड़ने से इनकार करना दर्शाता है कि कैडर आधारित होने का दावा करने वाली पार्टी के भीतर कोई लोकतंत्र नहीं है और नेता पार्टी के भीतर अपने लिए आवाज नहीं उठा सकते.
भट्ट के खिलाफ बगावत करने वाली ज्योति पंड्या ने कहा कि उनका (भट्ट) चुनाव लड़ने से इनकार करना समान विचारधारा वाले लोगों के सामूहिक प्रयासों का नतीजा है जो वडोदरा के हित के लिए सोचते हैं. पंड्या ने कहा, ”हमारी आवाज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक पहुंची जो विकास को प्राथमिकता देते हैं और इससे बदलाव (भट्ट द्वारा चुनाव लड़ने से इनकार) हुआ. मेरा मानना है कि हम सकारात्मक सोच के साथ कुछ अच्छा करने के लिए आगे बढ़े हैं.” उन्होंने कहा, ”यह एक जीवंत लोकतंत्र है और मैं चीजों को रेखांकित करने वाली एक अदना महिला हूंङ्घलेकिन जब विचार सही होता है, तो लोग एकसाथ आते हैं और यही हुआ है. यह वडोदरा की भलाई के लिए एक सामूहिक प्रयास था.”