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आरएसएस – दत्तात्रेय होसबाले फिर बने आरएसएस के सरकार्यवाह, 2027 तक होगा कार्यकाल

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नागरपुर में चल रही प्रतिनिधि सभा का आखिरी दिन है। संघ की प्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से एक बार फिर अगले तीन साल के लिए दत्तात्रेय को सरकार्यवाह चुना है।

मुंबई – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने एक बार फिर सरकार्यवाह के पद के लिए दत्तात्रेय होसबाले चुना है। वह साल 2024 से 2027 तक इस पद पर कार्यरत रहेंगे। बता दें, होसबाले 2021 से सरकार्यवाह की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।

नागरपुर में चल रही प्रतिनिधि सभा में 17 मार्च को इसका एलान किया गया। बता दें कि आज इस बैठक का आखिरी दिन है। संघ की प्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से एक बार फिर अगले तीन साल के लिए दत्तात्रेय को सरकार्यवाह चुना है। साल 2021 से पहले वह सह सरकार्यवाह का दायित्व संभाल रहे थे। इससे पहले भैयाजी जोशी सरकार्यवाह की जिम्मेदारी निभा रहे थे।

समाज में संघ का प्रभाव बढ़ रहा
दत्तात्रेय होसबोले कहते हैं, ‘समाज में संघ का प्रभाव बढ़ रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले ‘अक्षत वितरण’ दौरान जिस तरह से देश भर में लोगों ने हमारा स्वागत किया, वह देश के माहौल को दिखाता है। राम मंदिर भारत की सभ्यता और उसकी संस्कृति का प्रतीक है। श्रीराम देश की सभ्यतागत पहचान हैं, यह बात बार-बार सिद्ध हुआ है और 22 जनवरी को एक बार फिर यह सिद्ध हो गया है। आरएसएस या इसकी विचारधारा वाले लोगों ने लगभग 20 करोड़ घरों से संपर्क किया है। यह भारत के इतिहास में एक रिकॉर्ड है कि ऐसा सिर्फ 15 दिनों में हुआ है।’

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, ‘आरएसएस ने चुनावी बॉन्ड के बारे में कुछ भी नहीं सोचा है, इसकी चर्चा यहां (प्रतिनिधि सभा में) भी नहीं हुई है, क्योंकि चुनावी बॉन्ड एक प्रयोग है, ऐसे प्रयोग होते रहते हैं, नियंत्रण और संतुलन होना चाहिए। चुनावी बॉन्ड आज अचानक नहीं आए हैं, यह पहले भी हुआ है, इसे एक प्रयोग के रूप में लाया गया है।’

कौन हैं दत्तात्रेय होसबाले

दत्तात्रेय होसबाले कर्नाटक के शिमोगा के रहने वाले हैं। एक दिसंबर, 1955 में जन्मे होसबाले मात्र 13 साल की उम्र में वर्ष 1968 में आरएसएस से जुड़ गए थे। वर्ष 1972 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) से जुड़े। होसबाले ने बैंगलोर यूनिवर्सिटी से अंग्रेसी से स्नातकोत्तर किया। दत्तात्रेय होसबाले एबीवीपी कर्नाटक के प्रदेश संगठन मंत्री रहे। इसके बाद एबीवीपी के राष्ट्रीय मंत्री और सह संगठन मंत्री रहे। करीब दो दशकों तक एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रहे। इसके बाद करीब 2002-03 में संघ के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख बनाए गए। वे वर्ष 2009 से सह सर कार्यवाह थे। दत्तात्रेय होसबाले को मातृभाषा कन्नड़ के अतिरिक्त अंग्रेजी, तामिल, मराठी, हिंदी व संस्कृत सहित अनेक भाषाओं का ज्ञान है।

14 माह तक मीसा बंदी रहे 

दत्तात्रेय होसबाले वर्ष 1975-77 के जेपी आंदोलन में भी सक्रिय थे और लगभग पौने दो वर्ष तक ‘मीसा’ के अंतर्गत जेल में रहे। जेल में होसबोले ने दो हस्तलिखित पत्रिकाओं का संपादन भी किया। इनमें से एक कन्नड़ भाषा की मासिक पत्रिका असीमा थी।

संघ के हर तीसरी साल होते हैं चुनाव 

बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में प्रत्येक तीन वर्षों पर चुनाव की प्रक्रिया अपना कर जिला संघचालक, विभाग संघचालक, प्रांत संघचालक, क्षेत्र संघचालक के साथ साथ सरकार्यवाह का चुनाव होता है। फिर ये लोग अपनी टीम की घोषणा करते हैं, जो अगले तीन वर्षों तक काम करती है। आवश्यकतानुसार बीच में भी कुछ पदों पर बदलाव होता रहता है। क्षेत्र प्रचारक और प्रांत प्रचारकों के दायित्व में बदलाव भी प्रतिनिधि सभा की बैठक में होती है। संघ में प्रतिनिधि सभा निर्णय लेने वाला विभाग है।

ऐसे होता है आरएसएस के सरकार्यवाह का चुनाव

आरएसएस में सरसंघचालक के बाद सरकार्यवाह का पद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। विश्व के सबसे बड़े संगठन के दूसरे प्रमुख पद के लिए जब चुनाव होता है, तो कोई तामझाम नहीं रहता है और न ही कोई दिखावा होता है। इस चुनाव की प्रक्रिया में पूरी केंद्रीय कार्यकारिणी, क्षेत्र व प्रांत के संघचालक, कार्यवाह व प्रचारक और संघ की प्रतिज्ञा किए हुए सक्रिय स्वयंसेवकों की ओर से चुने गए प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

भैयाजी जोशी की जगह संभाला पदभार

गौरतलब है कि दत्तात्रेय होसबाले से पहले सुरेश भैयाजी जोशी सरकार्यवाह थे। उन्होंने 2018 के चुनाव में सरकार्यवाह के दायित्व से मुक्त करने का आग्रह किया था, लेकिन उनके नेतृत्व को देखते हुए संघ ने उन्हें दोबारा यह दायित्व सौंप दिया था।