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छत्तीसगढ़ की इस हाईप्रोफाइल सीट का है दिलचस्प इतिहास, बीजेपी-कांग्रेस ने 7 बार हासिल की जीत

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बिलासपुर लोकसभा सीट का इतिहास काफी दिलचस्प है. यहां बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ने 7-7 बार जीत हासिल की है. 4 बार लोकसभा चुनाव जीत कर मुंगेली जिले के भाजपा नेता पुन्नूलाल मोहले ने रिकॉर्ड भी बनाया था

बिलासपुर – छत्तीसगढ़ की हाईप्रोफाइल सीट बिलासपुर का चुनावी इतिहास बेहद दिलचस्प है. कांग्रेस-भाजपा प्रमुख पार्टियों में 7 बार कांग्रेस तो 7 बार भाजपा चुनाव जीत चुकी है. केवल एक बार निर्दलीय प्रत्याशी तो एक बार लोकदल के प्रत्याशी को जीत मिली थी. 4 बार लोकसभा चुनाव जीत कर मुंगेली जिले के भाजपा नेता पुन्नूलाल मोहले ने पार्टी की जमीन तैयार की थी. उनके पहले कांग्रेस के रेशमलाल जांगड़े, भाजपा के लखनलाल साहू और अरुण साव मुंगेली जिले के रहने वाले और चुनाव जितने वाले सांसद बने. इस बार भी भाजपा ने मुंगेली जिले के साहू समाज के नेता और पूर्व विधायक तोखन साहू का नाम तय किया है. बिलासपुर लोकसभा सीट एक महत्वपूर्ण सीट है. यह सीट भाजपा के गढ़ के रूप में जानी जाती है.

बिलासपुर लोकसभा सीट का 3 बार परिसीमन हुआ है. शुरुआत में यह सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित थी. इसके बाद इसमें बदलाव करते हुए इसे अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया. साल 2009 में इसे एक बार फिर सामान्य कर दिया गया. साल 1996 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है. साल 1996 से 2004 के बीच 4 बार हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के पुन्‍नूलाल मोहले यहां से सांसद रहे. मोहले के नाम लगातार चुनाव जीतने का कीर्तिमान भी रहा है. उनके बाद भाजपा के दिग्गज नेता दिलीप सिंह जूदेव चुनाव लड़े. साल 2009 में जूदेव सांसद निर्वाचित हुए.

बिलासपुर सीट का इतिहास

बिलासपुर से कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी को प्रत्याशी बनाया था. साल 2014 के चुनाव में बिलासपुर सीट राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में फिर सफल हुई. पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को कांग्रेस ने यहां से उम्मीदवार बनाया था. सर्वाधिक वोटों के अंतर से चुनाव हारने का कीर्तिमान करुणा के नाम रहा. एक लाख 75 हजार वोटों के अंतर से वे भाजपा के एक सामान्य कार्यकर्ता लखनलाल साहू से चुनाव हार गईं.

तब समूचे देश के साथ ही बिलासपुर लोकसभा सीट में भी पीएम नरेंद्र मोदी की लहर का जोर दिखाई दिया था. यही वजह है 2019 में सांसद लखन साहू का टिकट काटकर वर्तमान में संघ के करीब मने जाने वाले अरुण साव को सांसद प्रत्याशी बनाया गया. अरुण साव ने रिकॉर्ड 141763 मतों से अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव को हराया. यहां ओबीसी वर्ग की बहुलता है. इसमें साहू और कुर्मी की जनसंख्या सबसे ज्यादा है. ओबीसी में यादव भी प्रभावी भूमिका में है. बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में दो जिला बिलासपुर व मुंगेली को शामिल किया गया है.

बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं. बिलासपुर जिले में 6 विधानसभा सीट बिलासपुर, बिल्हा,बेलतरा,मस्तूरी,कोटा और तखतपुर तो वहीं मुंगेली जिले की दो सीट मुंगेली और लोरमी विधानसभा सीट शामिल है. विधानसभा चुनाव में 8 में से 6 पर भाजपा तो वहीं कोटा और मस्तूरी विधानसभा में कांग्रेस ने जीत हासिंल की है. 2019 मतदाता सूची के अनुसार 18 लाख 76 हजार 953 मतदाता है. इसमें पुरुष मतदाता की संख्या 9 लाख 53 दजर 659 वहीं महिला वोटरों की संख्या 9 लाख 23 हजार 203 है.