अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन के बाद बेहद दिलचस्प नजारा देखने को मिलेगा. उद्घाटन के बाद यह शहर आपसी भाईचारे का भी गवाह बनेगा. दरअसल, मंदिर निर्माण के लिए बनाए गए निर्माण निधि कोष में दान देने वाले सैकड़ों मुस्लिम 22 जनवरी के बाद मंदिर के दर्शन के लिए अयोध्या की यात्रा करेंगे.
यह एक पदयात्रा (पैदल मार्च) होगी, जिसे आरएसएस संबद्ध मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) की ओर से संचालित किया जाएगा. एमआरएम के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य और प्रवक्ता शाहिद सईद ने कहा, “विभिन्न राज्यों के लगभग 50 जिलों से मुस्लिम समुदाय के सदस्य अयोध्या में राम मंदिर का दौरा करने के लिए तैयार हैं. इनमें से ज्यादातर कार, बाइक और साइकिल से आएंगे. इस पैदल मार्च से धार्मिक सौहार्द और मजबूत होगा. ये सभी 23 जनवरी के बाद अयोध्या पहुंचेंगे.”
जम्मू कश्मीर के सबसे ज्यादा मुस्लिम होंगे शामिल
उन्होंने कहा कि यहां पैदल मार्च करने वाले मुस्लिमों में अच्छी संख्या जम्मू-कश्मीर से है. इसके अलावा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, यूपी और दिल्ली से भी बड़ी संख्या में मुसलमान शामिल होंगे. ये लोग अलग-अलग बैकग्राउंड से हैं और भारत की धार्मिक मित्रता और भाईचारे के सार का प्रतिनिधित्व करते हैं.”
250 जिलों के मुस्लिमों ने दिया है मंदिर निर्माण के लिए चंदा
हाल ही में एमआरएम के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा था कि सभी समुदाय भारत के हैं. सईद ने कहा, “एमआरएम देश भर के 250 जिलों से मुस्लिम समर्थन जुटाने, खानकाह, मदरसा और इस्लामिक स्कूलों से दान इकट्ठा करने में लगा हुआ है.” उन्होंने कहा कि 10 से अधिक इस्लामिक विश्वविद्यालयों के योगदान को ‘निर्माण निधि कोष’ में दिया गया है.
गोहत्या पर तत्काल प्रतिबंध के समर्थन में भी है संगठन
सईद ने एमआरएम के पूर्व में किए गए अच्छे कामों के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि संगठन जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने के पक्ष में 8.5 लाख से अधिक मुसलमानों के हस्ताक्षर का एक संग्रह तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पेश कर चुका है. इसके अलावा देश भर से लगभग 11 लाख मुसलमानों ने गोहत्या पर तत्काल प्रतिबंध लगाने के लिए एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं. एमआरएम मुस्लिम समाज में तीन तलाक और हलाला जैसी प्रथाओं के खिलाफ कई वर्षों से अभियान चला रहा है.”
‘रामलला के प्रतिष्ठित होने पर हर मुसलमान मनाए जश्न’
सईद ने कहा कि ”एमआरएम का मानना है कि राम इमाम-ए-हिंद हैं. राम सदाचार के प्रतीक हैं, जिन्होंने मानवता और प्रेम का संदेश दिया.” उन्होंने कहा कि “धर्म या समुदाय की परवाह किए बिना मंच सभी से अपील करता है कि जब रामलला प्रतिष्ठित हों, तो हर जगह जश्न मनाया जाना चाहिए.”
‘पाक के कब्जे वाला कश्मीर भी हमारा’
यही नहीं, सईद कश्मीर पर भी बोले. उन्होंने कहा, “मंच राजनीतिक, कूटनीतिक और बौद्धिक प्रयासों के माध्यम से कश्मीर मुद्दे के समाधान की पुरजोर वकालत करता है, जिसका लक्ष्य भारत में राज्य का पूर्ण एकीकरण है. उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर हमारा था, है और हमारा रहेगा.”