भोपाल – 25 दिसंबर 2023 को मध्यप्रदेश कैबिनेट का विस्तार हो गया. इसी दिन भोपाल के राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल ने 8 कैबिनेट मंत्री, स्वतंत्र प्रभार के 6 राज्य मंत्री और चार राज्य मंत्रियों को विधायकों के पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. मंत्रियों की इस लिस्ट में नए चेहरों की भरमार तो थी ही. लेकिन इस लिस्ट में खास बात ये रही की मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कैबिनेट की सूची में परिवारवाद को भी जमकर तरजीह दी है.
मंत्रिमंडल में परिवारवाद कोटे से 4 मंत्रियों को जगह दी गई है. ऐसे में इस स्टोरी में मोहन कैबिनेट में परिवारवाद कोटे से शामिल मंत्रियों के बारे में विस्तार से जानते हैं…
1. निर्मला भूरिया
विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने आदिवासी समुदाय में पैठ रखने वाली निर्मला भूरिया को झाबुआ जिले की पेटलावद से अपना उम्मीदवार बनाया था. इस सीट पर उनकी जीत भी हुई. अब 25 दिसंबर को मोहन यादव के मंत्रिमंडल में उन्हें जगह दी गई और इसके साथ ही भूरिया पहली बार कैबिनेट मंत्री बनी. इससे पहले यानी साल 2008 में निर्मला, शिवराज मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य राज्यमंत्री रह चुकी हैं.
निर्मला भूरिया को राजनीति विरासत में मिली है. दरअसल साल 2015 के जून महीने में सांसद रहते हुए ही दिलीप सिंह भूरिया का निधन हो गया था. उनके निधन के बाद बीजेपी ने लोकसभा सीट के लिए निर्मला भूरिया को अपना उम्मीदवार बनाया था. हालांकि इस चुनाव में उनकी हार हुई थी. उन्होंने बचपन से ही अपने पिता दिलीप सिंह भूरिया को जन सेवा का काम करते देखा था.
इस बार के चुनाव को मिला कर वह पांच बार विधायक भी रह चुकी हैं. एक बार वह कांग्रेस से विधायक रहीं और चार बार बीजेपी से. हालांकि इन चारों ही चुनाव में वे अपने पिता और पूर्व सांसद दिलीप सिंह भूरिया की छत्रछाया में ही मैदान में उतरी हैं.
पिता के निधन के बाद निर्मला साल 2018 में इसी विधानसभा सीट से वह चुनाव में उतरी थीं लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी से 5,000 वोटों से चुनाव हार गईं. हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने उन पर फिर भी भरोसा किया और इस चुनाव में वो झाबुआ जिले की पेटलावद सीट से जीतने में कामयाब हो गईं.
2. विश्वास सारंग
कैबिनेट में भोपाल की नरेला सीट से लगातार चौथी बार जीतने वाले विधायक विश्वास कैलाश सारंग को भी शामिल किया गया है. विश्वास सारंग का पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरह जनता के बीच अपनी खास पहचान है. उन्होंने अपने क्षेत्र में इतना काम किया है कि वहां की जनता उन्हें प्यार से ‘भैया’ कहकर पुकारती है.
विश्वास सारंग भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शुमार रहे कैलाश सारंग के बेटे हैं. कैलाश ने जनसंघ के दौर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लंबे समय तक काम किया है. पूर्व सांसद कैलाश सारंग के दो बेटे और तीन बेटियां हैं. बेटे का नाम है विवेक सारंग, विश्वास सारंग और बेटियां- आरती, उपासना और अवंतिका हैं.
विश्वास सारंग पहली बार साल-2008 में नरेला विधानसभा क्षेत्र से जीते थे. विश्वास साल 1993 से लेकर 1995 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा में प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भी रह चुके. इसके बाद उन्हें साल 1998 से 2001 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा में भोपाल महानगर के जिलाध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद साल 1999 से 2004 तक विश्वास सारंग को भोपाल नगर निगम वार्ड 14 से पार्षद भी बनाया गया.
विश्वास सारंग साल 2002 से लेकर 2004 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी रह चुके हैं. साल 2004 से 2007 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा में प्रदेश महामंत्री रहे.
3. कृष्णा गौर
मोहन यादव के मंत्रिमंडल में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री (स्वर्गीय) बाबूलाल गौर की पुत्रवधू कृष्णा गौर को भी शामिल किया गया है. कृष्णा ने साल 2023 के विधानसभा चुनाव में गोविंदपुरा क्षेत्र से कांग्रेस को एक लाख छह हजार से ज्यादा मतों से हराया और विधायक बनीं.
इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय ससुर बाबूलाल गौर का दशकों तक वर्चस्व रहा है. लेकिन उनके निधन के बाद साल 2018 में बाबूलाल गौर की विरासत उनकी पुत्रवधू कृष्णा गौर ने विधायक का चुनाव जीतकर संभाल लिया. पहली बार कृष्णा साल 2018 में इसी क्षेत्र से मैदान में उतरी थी और कांग्रेस के गिरीश शर्मा को 359 मतों से हराया था
कृष्णा गौर विधायक से पहले यानी साल 2009 से लेकर साल 2014 तक भोपाल की महापौर रह चुकी हैं. साल 2005 में उन्होंने मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन निगम की अध्यक्ष का पद भी संभाला था.
4. प्रतिमा बागरी
सतना जिले के रैगांव विधानसभा सीट से बीजेपी की विधायक प्रतिमा बागरी को भी मोहन कैबिनेट में शामिल किया गया है. प्रतिमा को सांसद गणेश सिंह के करीबियों में से एक भी माना जाता है. 35 साल की प्रतिमा के पिता जय प्रताप बागरी और मां कमलेश बागरी एक ही कार्यकाल में सतना जिला पंचायत के सदस्य रह चुके हैं.
इस विधानसभा चुनाव में रैगांव सीट से उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरीं प्रतिमा ने कांग्रेस की कल्पना वर्मा को 36 हजार 124 वोटों के बड़े अंतर से हराया है. इससे पहले इसी सीट पर प्रतिमा पूर्व मंत्री जुगुल किशोर बागरी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में मैदान में उतरी थी लेकिन उस वक्त उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन हार के बाद भी उन्होंने अपने क्षेत्र की जनता के दिल में जगह बनाने की कोशिश करना नहीं छोड़ा और इसी कोशिश का परिणाम उन्हें इस चुनाव में जीत के साथ मिला.
कौन है सबसे युवा और उम्रदराज मंत्री
35 साल की प्रतिमा बागरी कैबिनेट की सबसे युवा मंत्री हैं. वहीं 68 साल के करण सिंह वर्मा कैबिनेट के सबसे उम्रदराज मंत्री हैं. पूरे लिस्ट में पांच मंत्री ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 साल या उससे कम है. वहीं 14 मंत्री ऐसे हैं जिनकी उम्र 51 से 60 साल के बीच है और 13 ऐसे मंत्री ऐसे हैं, जिनकी उम्र 61 साल से ज्यादा है.
सबसे युवा मंत्री- प्रतिमा बागरी के अलावा नागर सिंह चौहान और धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी दो ऐसे मंत्री हैं जिनकी उम्र 45 है. वहीं, दिलीप अहिरवार की उम्र 46 साल और राधा सिंह की उम्र 48 हैं.
51- 60 साल के बीच के मंत्री- उम्रदराज मंत्रियों की बात करें तो मुख्यमंत्री सहित 13 मंत्रियों की उम्र 51 से 60 साल के बीच है. इन मंत्रियों में नरेंद्र शिवाजी पटेल, विश्वास सारंग, प्रद्युम्न सिंह तोमर, निर्मला भूरिया, संपतिया उइके, कृष्णा गौर, राकेश शुक्ला, कुंवर विजय शाह, उदय प्रताप सिंह, डॉ. मोहन यादव, राजेंद्र शुक्ला, इंदर सिंह परमार और गौतम टेटवाल का नाम शामिल है.
60 साल के पार के मंत्री- नई कैबिनेट के सबसे उम्रदराज मंत्री हैं. उनकी उम्र 68 साल है. जबकि कैलाश विजयवर्गीय सहित चार मंत्रियों की उम्र 67 साल है. इनमें तुलसीराम सिलावट, नारायण सिंह कुशवाह और लखन पटेल भी शामिल हैं.