ओपी चौधरी रायपुर और दंतेवाड़ा में कलेक्टर के पद पर काम कर चुके हैं. 13 साल तक आईएएस की नौकरी करने के बाद ग्रामीणों की सेवा करने के मकसद से इस्तीफा दे दिया था कलके चुनाव परिणाम में चौधरी
66 हजार की लीड से जीते ओपी चौधरी, मुख्यमंत्री पद को लेकर कही ये बड़ी बात…
रायपुर – आज सुबह आठ बजे से जारी मतगणना के बाद एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव के रुझान सामने आ गए हैं. इनमें छत्तीगढ़ का चुनाव परिणाम सबसे ज्यादा चौंकाने वाला है. पांच राज्यों में यह एक मात्र राज्य हैं, जहां के लिए सभी एग्जिट पोल में कहा गया कि कांग्रेस यहां फिर अपनी सरकार बनाएगी, लेकिन चुनावी रुझानों से साफ है कि बीजेपी छत्तीसगढ़ में सरकार बनाएगी. छत्तीसगढ़ में इस उलटफेर के बाद अब चर्चा यह है कि अगर बीजेपी चुनाव जीतती है तो सीएम का सबसे प्रबल दावेदार कौन होगा.
अब रायगढ़ विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी ओपी चौधरी 66 हजार वोट से जीत गए हैं. जीत के बाद ओपी चौधरी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि इस जीत के लिए मैं रायगढ़ की जनता को धन्यवाद देता हूं. ये सबके आशीर्वाद से संभव हुआ है. रायगढ़ की जनता, प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व और हमारे कार्यकर्ताओं ने ये चुनाव जीताया है. इसके लिए मैं रायगढ़ की जनता के लिए जितना भी करूं फिर भी उनका ये ऋण नहीं चुका पाउंगा.
मुख्यमंत्री पद को लेकर उन्होंने कहा कि मैं बहुत छोटा कार्यकर्ता हूं, मुझसे ऐसे बड़े-बड़े सवाल ना पूछें. मुझसे पहले कई बड़े नेता हैं. मैं एक छोटा सा कार्यकर्ता हूं. बता दें कि ये वहीं ओपी चौधरी हैं जिनके रोड शो में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने जनता से कहा था कि आप ओपी को विधायक बनाइए, इसको बड़ा आदमी बनाने की जिम्मेदारी मेरी.
सीएम पद के प्रबल दावेदार कई हैं. इनमें एक नाम पूर्व आईएएस अधिकारी रहे ओपी चौधरीकी भी चर्चा में है. चौधरी रायपुर और दंतेवाड़ा में कलेक्टर के पद पर काम कर चुके हैं. 13 साल तक अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस की नौकरी करने के बाद उन्होंने गांव के लोगों की सेवा करने के मकसद से आईएएस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद से वो बीजेपी से जुड़कर छत्तीसगढ़ की राजनीति में सक्रिय हैं. साल 2018 में खरसिया सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत हालिस नहीं कर पाये थे. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर ओपी चौधरी कौन हैं और सुर्खियों में क्यों हैं?
रायगढ़ में अमित शाह ने क्या कहा था?
ओपी चौधरी इस बार चुनावी मैदान में हैं. चौथे राउंड तक काउंटिंग पूरा होने पर 18 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं. उनकी जीत करीब-करीब तय माना जा रहा है. उनके बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रायगढ़ में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान बड़ा बयान दिया था. उन्होंने रायगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान जनता से कहा था कि आप चौधरी को चुनाव जिता दें. इन्हें बड़ा आदमी मैं बना दूंगा. बड़ा आदमी बनाना मेरा काम है.
पूर्व आईएएस ओपी चौधरी साल 2018 के विधानसभा चुनाव में रायगढ़ जिले की खरसिया सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. उन्हें दिवंगत नेता नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल शिकस्त दी थी. उमेश पटेल ने ओपी चौधरी को 16,967 मतों से हराया था.
ये है रायगढ़ सीट का इतिहास
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच बारी बारी से चुनाव जीतते आये हैं. साल 2018 में कांग्रेस के प्रकाश नायक और बीजेपी के रोशनलाल के बीच मुकाबला हुआ था. वोटरों ने कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी पर भरोसा जताया था. कांग्रेस के पक्ष में 69 हजार से ज्यादा मत पड़े थे. प्रकाश नायक 14 हजार से अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे. साल 2013 में बीजेपी उम्मीदवार रोशन लाल चुनाव जीते थे. उन्हें 91045 वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार शक्राजीत नायक को 70453 वोट मिले थे. 2008 में रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार डॉक्टर शक्राजीत नायक को जीत मिली थी. बीजेपी प्रत्याशी विजय अग्रवाल दूसरे स्थान पर रहे थे. अबकी बार इस सीट से ओपी चौधरी आगे चल रहे हैं.
कौन हैं ओपी चौधरी
ओपी चौधरी का जन्म रायगढ़ के बायंग गांव में हुआ था. वह 2005 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं. चौधरी 23 साल की उम्र में IAS सही बन गए थे. ओपी अपने जिले से आईएएस बनने वाले पहले शख्स हैं. ओपी चौधरी अगसिया समुदाय संबंध रखते हैं. पांच साल पहले फेसबुक पर आईएएस की नौकरी छोड़ने का ऐलान किया था. उसके बाद अपने गांव और लोगों की बेहतरी के लिए समय देने का एलान किया था. आईएएस की नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने फेसबुक पर लिखा था कि मैं बायंग गांव की गलियों से निकलकर रायपुर के कलेक्टर बनने तक के 13 साल के सफर में जिंदगी ने मुझे अनेकों चुनौतीपूर्ण अवसर दिए. ओअब अपनी माटी और अपने लोगों की बेहतरी के लिए अपना पूरा समय देना चाहता हूं. इसलिए, मैंने IAS से त्यागपत्र दे दिया है. उन्होंने दंतेवाड़ा में कलेक्टर रहते हुए उसे नक्सल प्रभावित इलाके को एजुकेशन हब में बदल दिया था. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने वर्ष 2011-12 में उन्हें प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवॉर्ड से उन्हें सम्मानित किया था. 2018 विधानसभा चुनाव छत्तीसगढ़ की खरसिया सीट से हार गए थे. उन्हें पूर्व सीएम रमन सिंह का करीबी माना जाता है.