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इजरायल पर गाजा में सफेद फॉस्फोरस बम के इस्तेमाल का आरोप, जानें कितना खतरनाक होता है ये हथियार

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गाजा पट्टी. इजरायल और हमास के बीच बीते 5 दिनों से भीषण लड़ाई छिड़ी हुई है. हमास के अचानक हमले के बाद से इजरायल लगातार ही गाजा पट्टी में उसके ठिकानों पर ताबड़तोड़ हवाई हमले कर रहा है. इस बीच कई मीडिया रिपोर्ट्स में इजरायल पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि वह घनी आबादी वाले इलाकों पर सफेद फास्फोरस वाले हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है

गाजा में 950 से अधिक लोगों की मौत
दरअसल इजरायल ने गाजा पट्टी पर हमले तेज कर दिए हैं. उसने गाजा पर कई एयर स्ट्राइक की हैं, जिसमें कम से कम 950 लोगों की मौत की खबर है. इस बीच सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रही हैं, जिसमें दावा किया जा रहा कि इजरायल घनी आबादी वाले इलाकों में सफेद फॉस्फोरस को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है.

बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं, जब इजरायल पर इस तरह का आरोप लगा है. इससे पहले वर्ष 2008 और 2009 में भी इजरायल पर गाजा पट्टी के रिहायशी इलाके में सफेद फॉस्फोरस के जरिये हमला करने का आरोप लगा था. कई मानवाधिकार रिपोर्ट्स में भी ऐसा ही दावा किया गया था. टाइम्स ऑफ लंदन की वर्ष 2009 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा स्थित नसेर हॉस्पिटल में 50 से भी ज्यादा लोग सफेद फॉस्फोरस की वजह से जलने के बाद भर्ती किए गए थे. हालांकि इजरायली सेना ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है.

क्या है ये सफेद फॉस्फोरस
सफेद फॉस्फोरस बेहद खतरनक केमिकल माना जाता है. यह ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही जलने लगता है. ऐसे में सफेद फॉस्फोरस से बना बम इंसानों के काफी खतरनाक साबित हो सकता है. इसे जहां भी इस्तेमाल किया जाता है, वहां की पूरी ऑक्सीजन को यह सोख लेता है और यह तब तक जलता रहता जब तक कि यह पूरी तरह से खत्म ना हो जाए या आसपास के इलाके की ऑक्सीजन पूरी ना खत्म हो जाए.

यह धुंए के गुबार की तरह पूरे आसमान में फैल जाता है, जिसके संपर्क में आने पर तेजी से जलन महसूस होने लगती है और मौत तक हो जाती है. युद्ध में दुश्मन के खिलाफ धुंए का कवर बनाने के लिए इसका काफी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन रिहायशी इलाकों में इसका इस्तेमाल प्रतिबंधित है.

गाजा में 950 से अधिक लोगों की मौत
दरअसल इजरायल ने गाजा पट्टी पर हमले तेज कर दिए हैं. उसने गाजा पर कई एयर स्ट्राइक की हैं, जिसमें कम से कम 950 लोगों की मौत की खबर है. इस बीच सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रही हैं, जिसमें दावा किया जा रहा कि इजरायल घनी आबादी वाले इलाकों में सफेद फॉस्फोरस को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है.

बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं, जब इजरायल पर इस तरह का आरोप लगा है. इससे पहले वर्ष 2008 और 2009 में भी इजरायल पर गाजा पट्टी के रिहायशी इलाके में सफेद फॉस्फोरस के जरिये हमला करने का आरोप लगा था. कई मानवाधिकार रिपोर्ट्स में भी ऐसा ही दावा किया गया था. टाइम्स ऑफ लंदन की वर्ष 2009 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा स्थित नसेर हॉस्पिटल में 50 से भी ज्यादा लोग सफेद फॉस्फोरस की वजह से जलने के बाद भर्ती किए गए थे. हालांकि इजरायली सेना ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है.

क्या है ये सफेद फॉस्फोरस
सफेद फॉस्फोरस बेहद खतरनाक केमिकल माना जाता है. यह ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही जलने लगता है. ऐसे में सफेद फॉस्फोरस से बना बम इंसानों के काफी खतरनाक साबित हो सकता है. इसे जहां भी इस्तेमाल किया जाता है, वहां की पूरी ऑक्सीजन को यह सोख लेता है और यह तब तक जलता रहता जब तक कि यह पूरी तरह से खत्म ना हो जाए या आसपास के इलाके की ऑक्सीजन पूरी ना खत्म हो जाए.

यह धुंए के गुबार की तरह पूरे आसमान में फैल जाता है, जिसके संपर्क में आने पर तेजी से जलन महसूस होने लगती है और मौत तक हो जाती है. युद्ध में दुश्मन के खिलाफ धुंए का कवर बनाने के लिए इसका काफी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन रिहायशी इलाकों में इसका इस्तेमाल प्रतिबंधित है.