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कुत्तों के गुम होने की टेंशन खत्म: गर्दन पर लगवानी होगी एक माइक्रोचिप

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पालतू कुत्ते के खो जाने पर उसके मालिक के संबंध में जानकारी जुटाना भी बहुत मुश्किल हो जाता था। अब इस चिप के माध्यम से सभी कुत्तों की पूरी निगरानी हो सकेगी।

गुरुग्राम – सूचना तकनीक के क्षेत्र में पहचान बनाने वाला गुरुग्राम अब पालतू और निराश्रित कुत्तों की निगरानी व देखभाल में भी तकनीक का इस्तेमाल करने वाला गुरुग्राण हरियाणा का पहला जिला बनने जा रहा है। नगर निगम कुत्तों की निगरानी, उनके टीकाकरण व बांध्यकरण आदि का विवरण रखने के लिए उनकी गर्दन की त्वचा में एक प्रकार चिप लगाने जा रहा है। यह प्रक्रिया कुछ ऐसी होगी जैसे किसी को इंसुलिन का इंजेक्शन दिया जाता है। इस इंप्लांट के बाद कुत्ते के संबंध में सभी प्रकार का विवरण जुटाना आसान होगा।

कुछ दिनों पहले अदालत को दिए एक शपथपत्र में नगर निगम ने बताया था कि शहर में 20 हजार से ज्यादा निराश्रित लावारिस कुत्ते हैं। इसी वर्ष 15 फरवरी को अदालत को बताया गया था कि अभी तक नगर निगम के पास 650 लोगों ने ही पालतू कुत्तों के लिए पंजीकरण करवाया है। हालांकि पालतू कुत्तों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है। अदालत को बताया गया कि करीब 18 हजार कुत्तों का टीकाकरण भी किया गया है। कुत्ते के काटने के 1670 मामले भी दर्ज किए गए हैं।
समस्या यह आती है कि लावारिस कुत्तों के टीकाकरण के संबंध में कोई रिकॉड नहीं रह पाता है कि किस कुत्ते का टीकाकरण कितने समय पहले हुआ था। पालतू कुत्ते के खो जाने पर उसके मालिक के संबंध में जानकारी जुटाना भी बहुत मुश्किल हो जाता था। अब इस चिप के माध्यम से सभी कुत्तों की पूरी निगरानी हो सकेगी।

एक हजार से 1500 रुपये हो सकती है चिप की कीमत

नगर निगम के मेडिकल ऑफिसर डॉ. आशीष सिंगला कहते हैं कि गर्दन में लगी इस माइक्रोचिप को रीड करके कुत्ते के मालिक, उसके टीकाकरण की तारीख, बांध्यकरण की स्थिति आदि सभी विवरण जुटाया जा सकता है। यह बेहद शानदार पहल है। इससे कुत्तों के आतंक को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इसकी कीमत एक हजार के आसपास और अधिक से अधिक 1500 रुपये होनी चाहिए। इससे कुत्ते की सेहत पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं है।
हाईकोर्ट ने पूछा था कुत्तों के आतंक काबू करने के क्या उपाय किए
कुत्ते काटने की लगातार घटनाओं के बीच हाईकोर्ट ने नगर निगम से पूछा था कि कुत्तों के आतंक से निपटने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं। डॉ. आशीष सिंगला कहते हैं कि चिप लगाने की यह पहल भी आतंक को नियंत्रण करने के उपाय के तौर पर ही देखा जा सकता है।

रुकेगी लाखों रुपये के कुत्तों की चोरी

पुलिस के पास पिछले कुछ सालों में कुत्ता चोरी होने के एक हजार से ज्यादा मामले पहुंच चुके हैं। कुत्ता तलाश करना पुलिस के लिए बेहद चुनौती पूर्ण और असहज स्थिति वाला काम बन जाता है। कुछ कुत्तों की कीमत लाखों रुपये में होती है। चोरी गए कुत्ते का पता भी चल जाए तो दोनों पक्षों में विवाद होता है। अब चिप लगे होने से उसे रीड करके आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि कुत्ते का मालिक कौन है।