आदर्श आचार संहिता लागू होते ही एक्शन में पुलिस, जगह – जगह सख्ती से हो रही वाहनों की चेकिंग
रायपुर – आचार संहिता आखिर होती क्या है, इसकी शुरुआत कब से हुई, क्यों लगाई जाती है, कब तक ये प्रभावशाली रहती है और इस दौरान क्या-क्या काम नहीं किए जा सकते। यदि ये सवाल आपके मन में भी हैं, तो खबर आपके लिए है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होते ही प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। जिसके मद्देनजर सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल के निर्देशानुसार रायपुर पुलिस के समस्त पुलिस राजपत्रित अधिकारियों के नेतृत्व में थाना प्रभारियों सहित पुलिस बलों द्वारा चेकिंग पाईंट लगाकर सख्ती से चेकिंग कर कार्रवाई की जाएगी।
चेकिंग पाईंट लगाकर हो रही चेकिंग
जिला के समस्त थाना क्षेत्रों में फिक्स चेकिंग पाईंट लगाकर आदर्श आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए समस्त प्रकार के वाहनों में अवैध रूप से शराब परिवहन, चुनाव से संबंधित अन्य सामग्री सहित अन्य संदिग्ध वस्तुओं की सघन चेकिंग करने के साथ ही रेलवे स्टेशन एवं बस स्टैण्ड में भी संदिग्ध व्यक्तियों एवं सामानों की लगातार चेकिंग की जा रहीं है।
विजिबल पुलिसिंग भी एक्टिव मोड पर
इसके साथ ही विजिबल पुलिसिंग के अंतर्गत पैदल पेट्रोलिंग, वाहनों में पेट्रोलिंग, क्राईम प्रिवेंशन पेट्रोलिंग (सी.पी.पी.) सहित 112 की टीमों द्वारा कर भीड़-भाड़ वाले स्थान, सार्वजनिक स्थान/सूनसान स्थान में जमवाड़ा लगाकर नशा करने वालों, गुटबाजी/अड्डेबाजी करने वालों, संदिग्ध व्यक्तियों, असमाजिक तत्वों, संदिग्ध व्यक्तियों के वाहनों की डिक्की, धारदार/बटनदार चाकू रखकर घुमने वालों सहित आम स्थानों पर शराब पीने, शराब पीने हेतु स्थान उपलब्ध कराने, सार्वजनिक मैदान, पार्क, चौक – चौराहों एवं सार्वजनिक स्थान पर चार पहिया वाहन के अंदर बैठकर शराब पीने वालों की भी चेकिंग की जा रहीं है।
क्या होती है आचार संहिता
सबसे पहले समझते हैं कि आचार संहिता होती है, इसकी परिभाषा क्या है। आसान शब्दों में कहें तो आचार संहिता एक नियमावली है, जिसके तहत चुनाव को निष्पक्ष और स्वतंत्र ढंग से करने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम-शर्तें तय करता है। या ये भी कह सकते हैं कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है। चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं। चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है। इसकी परिभाषा की बात करें तो भारत निर्वाचन आयोग, भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन संसद और राज्य विधान मंडलों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण निर्वाचनों के आयोजन हेतु अपने सांविधिक कर्तव्यों के निर्वहन में केन्द्र तथा राज्यों में सत्तारूढ़ दल (दलों) और निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों द्वारा इसका अनुपालन सुनिश्चित करता है। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि निर्वाचन के प्रयोजनार्थ अधिकारी तंत्र का दुरूपयोग न हो। इसके अतिरिक्त यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि निर्वाचन अपराध, कदाचार और भ्रष्ट आचरण यथा प्रतिरूपण, रिश्वतखोरी और मतदाताओं को प्रलोभन, मतदाताओं को धमकाना और भयभीत करना जैसी गतिविधियों को हर प्रकार से रोका जा सके। आचार संहिता लागू होते ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं
आचार संहिता के उल्लंघन पर क्या होता है
चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कई नियम भी लागू हो जाते हैं। इनकी अवहेलना कोई भी राजनीतिक दल या राजनेता नहीं कर सकता। नियमों के पालन में चुनाव आयोग राज्यों में सत्तारूढ़ दल और निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों द्वारा इसका अनुपालन सुनिश्चित कराता है। इसके अतिरिक्त यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि निर्वाचन अपराध, कदाचार और भ्रष्ट आचरण यथा प्रतिरूपण, रिश्वतखोरी और मतदाताओं को प्रलोभन, मतदाताओं को धमकाना और भयभीत करना जैसी गतिविधियों को हर प्रकार से रोका जा सके। उल्लंघन के मामले मे उचित उपाय किए जाते हैं। अगर कोई इन नियमों का पालन नहीं करता है, अथवा उल्लघंन करते पाया जाता है, तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है या उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो सकती है। दोषी पाए जाने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है।