मेरठ – जेनेरिक दवाएं लिखने के लिए केंद्र सरकार सख्त होती जा रही है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जेनेरिक दवाओं से संबंधित आदेश को दोबारा प्रदेश सरकारों और उनके स्वास्थ्य विभागों को भेजा है, जिसमें जेनेरिक नाम के साथ दवाएं लिखने के लिए कहा गया है। यह भी आदेश हैं कि जेनेरिक दवा का नाम कैपिटल लेटर में लिखा जाए, जो पढ़ने में भी आए।
अभी इस आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है, लेकिन जब से सरकार ने कानून बनाने की बात कही है, तब से हड़कंप मचा हुआ है। सरकार ने इसकी कवायद भी शुरू कर दी है और फिलहाल पुराने आदेश का ही पालन करने की हिदायत दी है। मेरठ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री रजनीश कौशल ने बताया कि उनकी एसोसिएशन को भी इस आदेश का जानकारी मिली है। उन्होंने बताया कि जेनेरिक दवाएं भी अलग-अलग कंपनियां अलग-अलग कीमत में बेचती हैं। इसके लिए अगर सरकार कीमत के हिसाब से उनकी एमआरपी तय करेगी, तभी इसका फायदा होगा।
इसके अलावा बाकी खर्चों पर भी सख्ती दिखानी होगी, नहीं तो दवाओं के अलावा बाकी इलाज के खर्चे बढ़ा दिए जाएंगे, जिस कारण मरीज को इलाज के खर्च में ज्यादा फायदा नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिए हैं कि सरकार ऐसा कानून लाएगी, जिसके तहत डॉक्टरों के लिए मरीजों को जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य होगा। अगर यह कानून बन गया तो मरीजों के इलाज का खर्च पांच से दस गुना तक सस्ता हो जाएगा। दरअसल, जेनेरिक दवाओं के मूल्य निर्धारण पर सरकारी अंकुश होता है, इसलिए वे सस्ती होती हैं। जबकि पेटेंट दवाओं की कीमत कंपनियां खुद तय करती हैं, इसलिए वे महंगी होती हैं।