नई दिल्ली – भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने ‘सनातन धर्म’ के खिलाफ कथित टिप्पणी को लेकर द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता उदयनिधि स्टालिन से माफी की मांग की तथा उनके खिलाफ यहां सोमवार को तमिलनाडु के स्थानीय आयुक्त को एक ‘विरोध पत्र’ सौंपा.
भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, सांसद हर्षवर्धन और प्रवेश वर्मा समेत एक प्रतिनिधिमंडल तमिलनाडु भवन पहुंचा और मुख्यमंत्री एम के स्टालिन को संबोधित करते हुए एक विरोध पत्र सौंपा. तमिलनाडु के युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि ने आरोप लगाया था कि ‘सनातन धर्म’ समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है तथा इसे खत्म कर देना चाहिए.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने ‘सनातन धर्म’ की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू के बुखार से की थी और कहा था कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इन्हें नष्ट कर देना चाहिए. सचदेवा ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के सदस्यों और नेताओं को ‘सनातन धर्म’ के खिलाफ उदयनिधि की टिप्पणी पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अपने बयान से उदयनिधि स्टालिन ने वह करने की कोशिश की है जो सैकड़ों वर्षों में विदेशी आक्रमणकारी भी करने में विफल रहे. उन्होंने ”100 करोड़ सनातन धर्मी भारतीयों के खिलाफ नफरत फैलाने वाला भाषण” दिया है. सचदेवा ने कहा, ”हमने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को यह पत्र सौंपते हुए उनके बेटे तथा मंत्री उदयनिधि स्टालिन से उनके अनैतिक बयान के लिए तत्काल माफी मांगने को कहा गया है.
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल के करीबी ”राजनीतिक सहयोगी” हैं और इस मुद्दे पर उनकी ”चुप्पी” चुभ रही है. सचदेवा ने कहा कि केजरीवाल को आगे आना चाहिए और सनातन धर्म को नष्ट करने का आह्वान करने वाले उदयनिधि स्टालिन की ”निंदा” करनी चाहिए. द्रमुक और ‘आप’ विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में साझेदार हैं.