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भागवत का बयान निरर्थक, हम भारतीय हैं, हिंदू नहीं – जमीयत प्रमुख

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नई दिल्ली – प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने ‘हर भारतीय के हिंदू होने’ संबंधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान को निरर्थक करार देते हुए सोमवार को आरोप लगाया कि संघ देश में शांति, सद्भाव और भाईचारे को लेकर अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हट गया है.

जमीयत की ओर से जारी बयान मुताबिक, मदनी ने संवाददाताओं से बातचीत में विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) का समर्थन भी किया और कहा कि देश में नफरत का माहौल खत्म करने के लिए राजनीतिक बदलाव जरूरी है.

भागवत ने पिछले दिनों कहा था कि भारत एक “हिंदू राष्ट्र” है और सभी भारतीय हिंदू हैं तथा हिंदू सभी भारतीयों का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने लोगों की अपेक्षाओं का उल्लेख करते हुए कहा था कि संघ को इस सबके बारे में सोचना चाहिए. आरएसएस प्रमुख ‘दैनिक तरुण भारत’ अखबार चलाने वाली कंपनी श्री नरकेसरी प्रकाशन लिमिटेड की नई इमारत ‘मधुकर भवन’ के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे.

उन्होंने कहा था, ”हिंदुस्तान एक ‘हिंदू राष्ट्र’ है और यह एक सच्चाई है. वैचारिक रूप से, सभी भारतीय हिंदू हैं और हिंदू का मतलब सभी भारतीय हैं. वे सभी जो आज भारत में हैं, वे हिंदू संस्कृति, हिंदू पूर्वजों और हिंदू भूमि से संबंधित हैं, इनके अलावा और कुछ नहीं.ह्व भागवत के इस बयान का उल्लेख करते हुए मौलाना मदनी ने कहा, ”आरएसएस शांति, सद्भाव और हिंदू एवं मुसलमान के बीच प्रेम को बढ.ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हट गया है.”

उन्होंने करीब चार साल पहले भागवत के साथ हुई अपनी मुलाकात का हवाला देते हुए दावा किया कि आपसी समझ को बढ.ावा देने और देश में गलतफहमियों को दूर करने के लिए मोहन भागवत से उनकी जो बातचीत हुई थी, आरएसएस अब उस पर कायम नहीं है. मदनी ने कहा, ”आरएसएस नेताओं के बयानों से साफ है कि वे सांप्रदायिक सौहार्द नहीं चाहते. ‘प्रत्येक भारतीय के हिंदू होने’ का बयान निरर्थक है. हम हिंदी (भारतीय) हैं, हिंदू नहीं.” जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का समर्थन किया और कहा कि देश में नफरत का माहौल खत्म करने के लिए राजनीतिक बदलाव जरूरी है.

उन्होंने कहा, ”अगर विपक्षी दल एकजुट नहीं हुए तो उनका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा. जिस तरह से कर्नाटक में सांप्रदायिक ताकतों को हराया गया, वैसा ही राष्ट्रीय स्तर पर भी जरूरी है.” मदनी ने नूंह हिंसा का हवाला देते हुए कहा कि जो लोग नफरत और हिंसा भड़काने के लिए धर्म का इस्तेमाल करते हैं वे अपने धर्म के सच्चे अनुयायी नहीं हो सकते.