नागपुर – दैनिक नव भारत के सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने सहायक भविष्य निधि आयुक्त नागपुर से लिखित शिकायत की है कि नवभारत नागपुर के संचालकों ने उनकी भविष्य निधि जमा करने में हेराफेरी की है. सेवानिवृत्त कर्मचारियों द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि नवभारत के संचालकों ने भविष्य निधि कार्यालय के नियमों के अनुसार कर्मचारियों के वेतन से भविष्य निधि की कटौती तो की लेकिन यह राशि कार्यालय में जमा नहीं की गई. पत्र में आरोप लगाया गया है कि कर्मचारियों के वेतन से कटौती की गई भविष्य निधि की राशि का उपयोग कहीं अन्यत्र किया गया और इस तरह कर्मचारियों और शासन से धोखाधड़ी की गई है.
पत्र में कहा गया है कि भविष्य निधि की नई योजना आरंभ किए जाने के मौके पर जब सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने नवभारत कार्यालय और भविष्य निधि कार्यालय से अपनी योगदान राशि के बारे में पता किया तो यह धोखाधड़ी उजागर हुई. छानबीन करने पर पता चला है कि नवभारत संचालकों ने कटौती की गई भविष्य निधि योगदान की राशि भविष्य निधि कार्यालय में कभी भी जमा नहीं की.
सेवानिवृत्त कर्मचारियों के साथ किए गए इस कृत्य को देखते हुए शिकायतकर्ताओं ने भविष्य निधि आयुक्त से अधिनियम की धारा 7(ए) के तहत मामले की जांच का आग्रह करते हुए संचालकों से कर्मचारियों के वेतन व भविष्य निधि से संबंधित सभी रिकॉर्ड, बैलेंस शीट व अन्य संबंधित दस्तावेज मांगने का आग्रह किया है ताकि इस मामले की पूरी जांच हो सके.
पत्र में कहा गया है कि कोई भी निर्णय देने के पूर्व, भविष्य निधि आयुक्त सेवानिवृत्त कर्मचारियों का पक्ष भी सुनें. यह भी आग्रह किया गया है कि निवृत्त कर्मचारियों को मिल रही अत्यल्प पेंशन और उनकी बढ़ती उम्र को देखते हुए इस मामले की जल्द से जल्द जांच की जाए.इस पत्र की प्रतिलिपि राणाप्रताप पुलिस थाने में आवश्यक कार्यवाही हेतु दी गई है
यह भी जानकारी मिली कि जब सेवानिवृत्त कर्मचारी सीलिंग की सीमा तक पहुंचे तो कुछ कर्मचारियों के वेतन से न्यूनतम कटौती सीमा के अनुसार कटौती की गई. कर्मचारियों को भविष्य निधि अधिनियम 1952 की धारा 2 (एफ) के अंतर्गत आ गया एक्सक्लूडेड कर्मचारी बताया गया. इस तरह इस प्रकरण में कर्मचारियों को गुमराह करते हुए उनका गलत ढंग से प्रतिनिधित्व किया गया.
पत्र में कहा गया है कि शिकायतकर्ता कर्मचारी, नवभारत समाचार पत्र में कार्यरत थे जो निर्विवाद रूप से एक समाचार पत्र है इसलिए कर्मचारी न तो सीलिंग की सीमा में और ना ही एक्सक्लूडेड कर्मचारियों की श्रेणी में आते हैं क्योंकि शिकायत कर्ताओं को सरकार द्वारा गठित वेतन आयोग, यथा पालेकर अवार्ड, बछावत अवार्ड, मनीसाना अवार्ड और मजीठिया अवार्ड के आधार पर वेतन मिलता था. कर्मचारियों के वेतन से कागज पर तो कटौती की गई लेकिन यह राशि भविष्य निधि कार्यालय में जमा नहीं की गई.
शिकायत पत्र में कहा गया है कि इसी वजह से सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारियों को भविष्य निधि के रूप में बहुत कम राशि प्राप्त हुई और कम वेतन के कारण बहुत कम पेंशन का निर्धारण हुआ. नई अपग्रेड योजना के लागू होने पर जब निवृत्त कर्मचारियों ने प्रयास किया तब पता चला कि संचालकों ने न केवल धोखाधड़ी की बल्कि बेईमानी कर यह बताया कि भविष्य निधि में पूरी राशि का योगदान किया गया है लेकिन हकीकत यह है कि भविष्य निधि कार्यालय में यह राशि कभी भी जमा नहीं की गई. शिकायत में संभावना व्यक्त की गई है कि संचालकों ने कर्मचारियों को उनकी कटौती बताने के लिए एक अकाउंट बुक और भविष्य निधि कार्यालय को बताने के लिए अलग, इस प्रकार दो अकाउंट बुक बनाए होंगे.
सेवानिवृत्त कर्मचारियों के साथ किए गए इस कृत्य को देखते हुए शिकायतकर्ताओं ने भविष्य निधि आयुक्त से अधिनियम की धारा 7(ए) के तहत मामले की जांच का आग्रह करते हुए संचालकों से कर्मचारियों के वेतन व भविष्य निधि से संबंधित सभी रिकॉर्ड, बैलेंस शीट व अन्य संबंधित दस्तावेज मांगने का आग्रह किया है ताकि इस मामले की पूरी जांच हो सके.
पत्र में कहा गया है कि कोई भी निर्णय देने के पूर्व, भविष्य निधि आयुक्त सेवानिवृत्त कर्मचारियों का पक्ष भी सुनें. यह भी आग्रह किया गया है कि निवृत्त कर्मचारियों को मिल रही अत्यल्प पेंशन और उनकी बढ़ती उम्र को देखते हुए इस मामले की जल्द से जल्द जांच की जाए.इस पत्र की प्रतिलिपि राणाप्रताप पुलिस थाने में आवश्यक कार्यवाही हेतु दी गई है.भड़ास मिडिया से साभार।