लोकसभा में बृहस्पतिवार को भी पिछले कुछ दिन की तरह मणिपुर मुद्दे को लेकर गतिरोध बरकरार रहा और सदन की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी
नई दिल्ली – लोकसभा में बृहस्पतिवार को भी पिछले कुछ दिन की तरह मणिपुर मुद्दे को लेकर गतिरोध बरकरार रहा और सदन की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच ही सरकार ने कारोबार सुगमता को बढ़ाने के उद्देश्य वाले विधेयक समेत दो विधेयक पारित कराए।
कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही है। निचले सदन की कार्यवाही जब दो बार के स्थगन के बाद अपराह्न तीन बजे आरंभ हुई तो विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते रहे।
इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आसन से आग्रह किया कि विपक्ष के कुछ सदस्यों ने कागज फाड़कर आसन की ओर फेंके हैं और जिन्होंने ऐसा किया है उनके नाम का उल्लेख करना चाहिए। पीठासीन सभापति किरीट सोलंकी ने कहा कि कागज फाड़कर फेंकना उचित व्यवहार नहीं है और संसद का अपमान भी है। उनका कहना था, ‘‘इस तरह का व्यवहार नहीं होना चाहिए।”
सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग उठाने की कोशिश की तो सोलंकी ने नियम 198 के तहत प्रावधान को पढ़ा। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव को सदन की अनुमति मिलने के बाद लोकसभा अध्यक्ष तीन दिन से दस दिन के अंदर इसे सदन में चर्चा के लिए लेने की तारीख का निर्णय कर सकते हैं।