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अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की चलते ब्लड चढ़ाने के  बाद एक छात्रा की मौत,अस्पताल के अंदर जमकर हंगामा

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अंबिकापुर – अंबिकापुर के भट्ठीरोड में संचालित निजी अस्पताल में ब्लड चढ़ाने के बाद एक छात्रा की मौत हो गई। छात्रा की मौत से आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल में हंगामा करते हुए कर्मचारियों की पिटाई कर दी। मौके पर पहुंची। मौके पर पहुंची पुलिस अस्पताल के अधिकारयों को थाने ले गई है। मामले में अब तक अस्पताल प्रबंधन का बयान सामने नहीं आया है।

जानकारी के अनुसार, बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर निवासी दिया कश्यप (17) हायर सेकेंडरी स्कूल वाड्रफनगर की छात्रा थी। दो दिनों पहले स्कूल में उसे चक्कर आ गया था। परिजनों ने डॉक्टरों को दिखाया। वह बुखार से पीड़ित थी। उसका ब्लड टेस्ट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वाड्रफनगर में कराया गया तो छात्रा का एचबी 4.5 के आसपास मिला। चिकित्सकों ने उसे ब्लड चढ़ाने एवं खून की कमी के कारणों की जांच के लिए अंबिकापुर में एक बार जांच कराने की सलाह दी थी। 

परिजन दिया कश्यप को लेकर अंबिकापुर पहुंचे और एकता अस्पताल में दाखिल कराया। वे अपने साथ समान ब्लड ग्रुप का डोनर भी लेकर आए थे। गुरूवार सुबह इलाज के दौरान चिकित्सक द्वारा तत्काल ब्डल चढ़ाने की सलाह देने पर डोनर का ब्लड निकलवाया गया। डोनर से ब्लड निकालने के बाद छात्रा को ब्लड चढ़ाया गया तो छात्रा की हालत बिगड़ गई और थोड़ी देर में उसने दम तोड़ दिया।

परिजनों को जैसे ही छात्रा की मौत की जानकारी मिली तो वे हैरान रह गए। आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल के कर्मचारियों की पिटाई कर दी और अस्पताल प्रबंधन एवं चिकित्सकों से भी उनका विवाद हुआ। परिजनों ने चिकित्सक को भी मारने की कोशिश की। सूचना पर कोतवाली थाने से पुलिस मौके पर पहुंची। परिजनों को समझाने के बाद अस्पताल के अधिकारियों व चिकित्सकों को लेकर पुलिस कोतवाली थाने पहुंची। परिजनों ने आरोप लगाया है कि डोनर का ब्लड न चढ़ाकर अस्पताल प्रबंधन ने दूसरे का ब्लड या गलत ब्लड चढ़ा दिया, जिससे छात्रा की मौत हो गई।

छात्रा दिया कश्यप को बचपन से नाना एनएन कश्यप ने गोद ले लिया था और वह नाना के घर ही रहती थी। एनएन कश्यप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वाड्रफनगर में ड्रेसर के पद पर तैनात हैं। छात्रा की मौत की खबर से परिजनों एवं स्कूल में शोक है। परिजन इस अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही बता रहे हैं और कड़ी कार्रवाई की मांग की है। वहीं, मामले में अब तक अस्पताल प्रबंधन का बयान सामने नहीं आया है।