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बिना परमिशन के हड़ताल कर रहे कर्मचारियों पर होगी कार्रवाई, कटेगी सैलरी, आदेश जारी

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रायपुर – छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश लेकर हड़ताल करने पर राज्य सरकार ने सख्ती दिखाई है। इस तरह से हड़ताल करना कर्मचारियों को भरी पड़ सकता है। इससे दफ्तरों में सन्नाटा फैल जाता है। कई काम ठप पड़ जाते हैं। इसे देखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग की अपर सचिव अंशिका ऋषि पाण्डेय ने सभी विभागाध्यक्षों, संभाग आयुक्तों, कलेक्टर्स को पत्र लिखकर कार्रवाई करने की निर्देश जारी किया है। इतना ही नहीं सैलरी से कटौती करने का भी आदेश जारी किया है।

बता दें कि पूरे प्रदेश के सरकारी कर्मचारी सामूहिक छुट्टी लेकर बीते दिन शुक्रवार को अपनी कई मांगों पर एक दिवसीय हड़ताल कर रहे थे। इससे प्रदेश के सभी सरकारी दफ्तरों में सन्नाटा फैला रहा। इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ में ये पहली बार हुआ है कि 145 संगठन एक साथ मिलकर अपनी मांगों के लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे। 

1 अगस्त से हड़ताल
प्रदेश के सभी शासकीय कर्मचारी की लंबे समय से मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के अनुरूप गृह भाड़ा भत्ता केंद्र के बराबर दिया जाए। पांच प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाया गया जिसमें केंद्र सरकार की तुलना करने पर राज्य सरकार अभी भी 4 प्रतिशत पीछे हैं। सरकारी कर्मचारियों ने 1 अगस्त से बेमियादी हड़ताल की चेतावनी दी है।

शासकीय कर्मचारियों 5 सूत्रीय मांग

1. कांग्रेस के जन घोषणा पत्र के अनुसार, कर्मचारियों का वेतन वृद्धि 8, 16, 24 और 30 साल की सेवा में चार स्तरीय किया जाए। साथ ही अनियमित, संविदा, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित किया जाए।

2. प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनरों को केंद्र के दिए गए तिथि के अनुसार महंगाई भत्ता दिया जाए।

3. छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर गठित पींगुआ समिति की रिपोर्ट और वेतन विसंगति दूर करने के लिए गठित अन्य समितियों की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए।

4. ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ दिलाने के लिए पहली नियुक्ति तिथि से कुल सेवा को जोड़ा जाए।

5.  छठा वेतनमान के आधार पर मिलने वाले गृह भत्ते को सातवें वेतनमान के आधार पर केंद्रीय दर पर दिया जाए।