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CM बीरेन सिंह नहीं देंगे इस्तीफा: आवास के बाहर महिलाओं की भीड़ ने रास्ता रोका; फटे हुए इस्तीफे की फोटो वायरल

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मणिपुर में जारी हिंसा ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और उनकी सरकार की मुश्किलों बढ़ा रखी हैं। विपक्ष उन पर कानून-व्यवस्था न संभाल पाने का आरोप लगा रहा है। दूसरी तरफ राज्य के नौ विधायकों ने भी बीते दिनों प्रधानमंत्री कार्यालय में पीएम मोदी के नाम ज्ञापन सौंपकर प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। इससे उन पर इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा था।

इम्फाल – मणिपुर में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह फिलहाल अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने ट्वीट कर अपने इस फैसले का एलान किया। उन्होंने लिखा, ‘इस अहम मोड़ पर मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दूंगा।’ इससे पहले अटकलें थीं कि वे राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात करेंगे और अपना इस्तीफा सौंपेंगे। अटकलें यह भी लगाई जा रही थीं कि केंद्र सरकार राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकती है। अब सीएम के एलान के साथ ही उनके इस्तीफे की अटकलों पर विराम लग गया है।

बीरेन सिंह के समर्थक उनके आवास के बाहर इकठ्ठे हुए
इस्तीफे की खबर सुनकर बीरेन सिंह के समर्थक उनके आवास के बाहर इकठ्ठे हो गए और उनसे इस्तीफा न देने का अनुरोध किया। साथ ही  बीरेन सिंह के समर्थन में बड़ी संख्या में महिलाएं इंफाल में मुख्यमंत्री आवास के पास एकत्र हुई। एक महिला ने कहा कि हम नहीं चाहते कि सीएम इस्तीफा दें, उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए। वह हमारे लिए बहुत काम कर रहे हैं।

हमें मुख्यमंत्री पर भरोसा

मणिपुर के एक स्थानीय निवासी का कहना है कि हम दो महीने से मणिपुर में हिंसा से जूझ रहे हैं। हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब भारत सरकार और मणिपुर सरकार इस संघर्ष को लोकतांत्रिक तरीके से हल करेगी। ऐसी स्थिति में अगर मणिपुर के सीएम इस्तीफा दे देते हैं, तो लोग यहां कैसे रहेंगे, हमारा नेतृत्व कौन करेगा?  मैं नहीं चाहता कि वह इस्तीफा दें। हमें उन पर भरोसा है। देखिए कैसे मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह का समर्थन करने वाली महिलाओं ने उनका इस्तीफा पत्र फाड़ दिया। 

लंबे समय से जारी हिंसा ने बढ़ा रखी हैं मुश्किलें
तीन मई से मणिपुर में जारी हिंसा ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और उनकी सरकार की मुश्किलों बढ़ा रखी हैं। विपक्ष उन पर कानून-व्यवस्था न संभाल पाने का आरोप लगा रहा है। दूसरी तरफ राज्य के नौ विधायकों ने भी बीते दिनों प्रधानमंत्री कार्यालय में पीएम मोदी के नाम ज्ञापन सौंपकर प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। विधायकों ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री और प्रदेश सरकार जनता के बीच अपना भरोसा खो चुके हैं। इस बीच एन बीरेन सिंह पर आदिवासी विरोधी एजेंडे को बढ़ाने के आरोप भी लग रहे हैं। बीते दिनों जब केंद्र सरकार ने मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए शांति समिति गठित की थी तो उसमें भी शामिल किए गए कई लोगों ने एन बीरेन सिंह के नेतृत्व के खिलाफ असंतोष जाहिर किया था और मुख्यमंत्री को शांति समिति में शामिल करने का विरोध किया था। 

क्या है मामला?
मणिपुर में मैतई समुदाय जनजातीय आरक्षण देने की मांग कर रहा है। इसके खिलाफ बीती तीन मई को हिंसा भड़की थी और अब तक इस हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और सैंकड़ों लोग घायल हुए हैं। हजारों लोगों को हिंसा की वजह से विस्थापन झेलना पड़ा है और राज्य की कानून व्यवस्था बेपटरी हो गई है। केंद्र सरकार ने मणिपुर में जारी हिंसा पर बीते दिनों सर्वदलीय बैठक भी बुलाई थी। राहुल गांधी भी दो दिवसीय दौरे पर मणिपुर में हैं।