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अब पांच किलो चावल के बदले में पैसे देगी सरकार…अन्न भाग्य योजना शुरू करने के लिए जरूरी चावल नहीं

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फिरनाटक – अब पांच किलो चावल के बदले में पैसे देगी कर्नाटक सरकार, अन्न भाग्य’ योजना शुरू करने के लिए जरूरी चावल नहीं  कर्नाटक सरकार की अन्न भाग्य योजना को लेकर केंद्र और सिद्धारमैया सरकार के बीच खींचतान जारी है। इस बीच सामने आया है कि राज्य सरकार ने केंद्र से चावल की पर्याप्त खरीद में फेल होने पर बड़ा कदम उठाया है। सिद्धारमैया सरकार ने चावल की अनुपलब्धता के कारण बीपीएल परिवारों को पांच किलो अतिरिक्त चावल के बदले पैसे देने का फैसला किया है। सरकार ने पैसे जारी करने की तिथि का भी एलान कर दिया है।

दरअसल, कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को अपनी चुनावी गारंटी को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में चावल खरीदने की जरूरत है। जिसमें उसे कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में राज्य सरकार ने लाभार्थियों को अतिरिक्त पांच किलोग्राम चावल के एवज में 34 रुपये प्रति किलो की दर से नकद भुगतान करने का निर्णय लिया है।

बुधवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद कर्नाटक खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री केएच मुनियप्पा ने इसके बारे में जानकारी दी।

उन्होंने कहा, ‘चूंकि अन्न भाग्य को लॉन्च करने की तारीख (1 जुलाई) आ गई है। ऐसे में आज कैबिनेट में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और अन्य मंत्री इस निर्णय पर पहुंचे कि जब तक चावल आपूर्ति करने में हम सक्षम नहीं हैं तब तक हम (बीपीएल) राशन कार्ड धारकों को 34 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से रुपये देंगे। यह रुपये एफसीआई की दर के अनुरूप हैं।

मंत्री ने बताया कि यदि एक कार्ड में एक व्यक्ति है तो उस व्यक्ति को अन्न भाग्य योजना के तहत पांच किलो अतिरिक्त चावल के बदले 170 रुपये प्रति माह मिलेंगे। उन्होंने कहा कि राशन कार्ड में दो व्यक्ति हैं तो उन्हें 340 रुपये और यदि पांच सदस्य हैं तो उन्हें 850 रुपये प्रति माह मिलेंगे। सरकार ने लाभार्थियों के खाते में सीधे राशि जमा करने की व्यवस्था की है।

सीएम ने की आलोचना

सिद्धरमैया और उनके मंत्री केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि वह कांग्रेस शासन की चुनाव गारंटी को विफल करने की साजिश रच रही है। राज्य को एक जुलाई से ‘अन्न भाग्य’ योजना शुरू करने के लिए जरूरी चावल नहीं मिले, जैसा कि वादा किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र ने राज्य सरकारों के लिए मुक्त बाजार बिक्री योजना (घरेलू) के तहत गेहूं और चावल की बिक्री बंद कर दी।