सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि सावन के महीने में हर एक सोमवार को भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। इसके साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए सावन के सोमवार का व्रत काफी अहम है। इस साल दुर्लभ संयोग बन रहा है।
प.अरविन्द मिश्रा रायपुर – देवाधिदेव महादेव शिव का प्रिय महीना है श्रावण (सावन)। श्रावण में समस्त देवता शयन (निंद्रा) करते हैं। जाग्रत भगवान शिव रहते हैं। इस वर्ष श्रावण एक माह के बजाय 59 दिनों है। इसमें आठ सोमवार व चार प्रदोष मिलेंगे।
शिव की विशेष स्तुति चार जुलाई से 31 अगस्त तक चलेगी। श्रावण का शुभारंभ चार जुलाई को हो रहा है। उसका प्रभाव 17 जुलाई तक रहेगा। 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास (अधिमास/पुरुषोत्तम/मलमास) रहेगा। इसके बाद 17 से 31 अगस्त तक श्रावण रहेगा।
ज्योतिर्विद आचार्य प.अरविन्द मिश्रा के अनुसार 29 जून को विष्णुशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु शयन पर चले जाएंगे। इससे शादी, विवाह सहित समस्त शुभ कार्य रुक जाएंगे। तीन जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा, जबकि चार जुलाई को श्रावण मास आरंभ हो जाएगा। 17 जुलाई की शाम 4.32 सूर्य दक्षिणायन हो जाएंगे। यहीं से चातुर्मास व्रत आरंभ होगा। श्रावण में व्रत रखकर रुद्राभिषेक, महाभिषेक व जलाभिषेक करने पर शिव प्रसन्न होकर मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।
तीन वर्ष में आता है अधिमास पराशर
ज्योतिष संस्थान के प.अरविन्द मिश्रा के अनुसार सूर्य की परिक्रमा में पृथ्वी को 365 दिन छह घंटे लगते हैं। सनातन धर्म में काल गणना पद्धति चंद्र गणना आधारित है। इसमें चंद्रमा की 16 कलाओं के आधार पर दो पक्षों का एक मास माना जाता है। कृष्ण पक्ष में प्रथम दिन से पूर्णिमा तक प्रत्येक मास में साढ़े 29 दिन होते हैं। इस दृष्टि से गणना अनुसार एक वर्ष 354 दिनों का होता है। इस प्रकार सूर्य गणना व चंद्र गणना पद्धति में हर वर्ष में 11 दिन, तीन घटी और लगभग 48 पल का अंतर आता है।
यह अंतर तीन वर्ष में बढ़ते-बढ़ते लगभग एक माह का हो जाता है। इस कारण प्रति वर्ष पर्व-त्योहार कुछ आगे-पीछे होते हैं। इस अंतर को दूर करने के लिए भारतीय ज्योतिष शास्त्र में तीन वर्षों में एक अधिमास का विधान है। अधिमास से तीन वर्षों में सूर्य गणना व चंद्र गणना दोनों पद्धतियों से काल गणना में समानता आती है। श्रीहरि को समर्पित होने से इसे पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। अधिमास में श्री-हरि (लक्ष्मी-नारायण) धरा पर कृपा बरसाते हैं।
श्रावण मास के सोमवार में खास
- 10 जुलाई (पहला सोमवार) को रेवती नक्षत्र व सर्वार्थ सिद्धि योग।
- 17 जुलाई (दूसरा सोमवार) को पुनर्वसु नक्षत्र, व्याघात योग, नाग करण व अमावस्या तिथि।
- 24 जुलाई (तीसरा सोमवार) को हस्त नक्षत्र, शिव योग।
- 31 जुलाई (चौथा सोमवार) को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, विषकुंभ योग।
- सात अगस्त (पांचवा सोमवार) को रेवती नक्षत्र, शूल योग।
- 14 अगस्त (छठवां सोमवार) को पुनर्वसु नक्षत्र, सिद्धि योग।
- 21अगस्त (सातवां सोमवार) को चित्रा नक्षत्र, शुभ योग।
- 28 अगस्त (आठवां सोमवार) को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र सौभाग्य योग
प्रदोष का महत्व
- 15 जुलाई (पहला प्रदोष) को शनि प्रदोष, मृगशिरा नक्षत्र, वृद्धि व ध्रुव योग।
- 30 जुलाई (दूसरा प्रदोष) को मूल नक्षत्र, वैधृति योग।
- 13 अगस्त (तीसरा प्रदोष) आद्रा व पुनर्वसु नक्षत्र, बज्र योग।
- 28 अगस्त (चौथा प्रदोष) को सोमवार का दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, सौभाग्य योग।
शुभ योग में मनेगी नागपंचमी
नाग पंचमी का पर्व 21 अगस्त को मनाया जाएगा। इसके बाद सनातन धर्मावलंबियों के पर्व आरंभ हो जाएंगे। नागपंचमी चित्रा नक्षत्र व शुभ योग के अद्भुत संयोग में मनाई जाएगी।