केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ एकजुटता दिखाने को 23 जून को होने वाली बैठक के लिए पटना पहुंचे राजनीतिज्ञों की मेहमानवाजी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद लगे हुए हैं। सभी से उनके ठहराव स्थल पर जाकर मिल रहे हैं।
पटना – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एकजुटता का एलान करने के लिए 23 जून को पटना में बैठक हो रही है। बैठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी आवासीय परिसर स्थित भवन में होगी। विभिन्न राज्यों से बिहार आए राजनीतिज्ञों की मेहमानवाजी में मुख्यमंत्री खुद लगे हुए हैं। उन्होंने पटना जिला अतिथिगृह जाकर पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का स्वागत किया। फिर वह वामपंथी नेताओं से मिलने पहुंचे। उसके बाद मुख्यमंत्री ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से होटल में जाकर मुलाकात की। इस बीच तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन पटना एयरपोर्ट आए और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद से मिलने पहुंचे।
दीपांकर बोले- पूरे देश को लोग चाहते हैं कि यह मीटिंग सफल हो
इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार माले के राज्य कार्यालय भी गए। वहां उन्होंने वामपंथी नेताओं से मुलाकता थी। यहां पर भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य समेत कई नेताओं से मुलाकात की। दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा यह बैठक काफी अहम है। हमलोगों की यही कामना है कि कल की मीटिंग सफल हो। शुरुआत अगर अच्छी हो तो अंजमा भी अच्छा होगा। पूरे देश को लोग चाहते हैं कि यह मीटिंग सफल हो। एक व्यापक एकता बने। क्योंकि अगला जो चुनाव है बहुत ही निर्णायक चुनाव है। यह कोई मामूली चुनाव नहीं है। देश और लोकतंत्र को बचाने के लिए सारे विपक्ष के दल एक साथ एक मंच पर आए। भाजपा फोटो सेशन वाली पार्टी है।
प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार वह नहीं हैं सीएम नीतीश कुमार
इधर, वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपना पक्ष रख दिया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार वह नहीं हैं। बिहार के लिए यह गौरव कि बात हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर सारी पार्टी बिहार आ रही है। अगले दो दिनों तक पूरे देश की नजर बिहार पर होगी। महाबैठक का एजेंडा क्या है इस सवाल पर विजय चौधरी ने कहा किवह तो साफ़ है कि एक साथ एक जुट होकर भाजपा का सामना कैसे किया जाए। सभी नेता आ रहें हैं बिहार और उनके दिल में जब यह बता कि मिलकर हमलोग को लड़ना चाहिए , तभी तो वो लोग आ रहें हैं। आज देश में ऐसा माहौल बन गया है कि सबको एक साथ मिलकर लड़ना होगा अगर ऐसा हुआ तब भाजपा का दोबारा सत्ता में वापस आना नामुमकिन है। इसमें से कई ऐसे दल हैं जो कई राज्यो में कई दल इसमें से अपने राज्य में एक दूसरे से लड़ते आ रहे हैं।