रायगढ़ – रायगढ़ जिले में चल रहे रामायण महोत्सव में प्रस्तुति देने कवि कुमार विश्वास पहुंचे है। कार्यक्रम में जाने से पहले उन्होंने मीडिया से कहा- जो श्रीराम पूरे विश्व को मार्ग दिखाते हैं, उन्हें छत्तीसगढ़ की एक वनवासी माता शबरी ने मार्ग दिखाया था। मुझे लगता है कि भगवान राम को राजनीतिक मतभेद से ऊपर का विषय छत्तीसगढ़ ने बनाया।
विश्वास ने आगे कहा- छत्तीसगढ़ भारत का पहला राज्य है, जिसने भगवान राम की सर्व स्वीकार्यता को दलिय बंधनों से ऊपर उठाया है। पिछले कुछ वर्षों में यह हुआ है। मुझे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि मैं इस कार्यक्रम से जुड़कर अपनी सहभागिता दूं मुझे खुशी है। आज दिल्ली में भी लोग जानते हैं कि भगवान राम ने वनवास छत्तीसगढ़ में बिताया, ये भगवान राम की भूमि है।
हमारा दुर्भाग्य छत्तीसगढ का सौभाग्य
कुमार विश्वास ने कहा- छत्तीसगढ़ के लोगों को इस बात की खुशी होनी चाहिए, कि हम जो अवध हैं, यूपी वाले हैं, हमारा जो दुर्भाग्य है वो आपका सौभाग्य है। आपका रिश्ता है कि राम को यहां भांजा माना जाता है। मगर एक और रिश्ता है कि भगवान राम जब वनवास से गुजरे तो इसी प्रदेश के रास्ते से होकर गुजरे, ये छत्तीसगढ़ वालों का सौभाग्य है।
विश्वास ने कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए सौभाग्य है कि यहां श्रीराम के चरणों की धूलि पड़ी। विश्वास ने कहा कि भगवान श्री राम विश्व मंगल, लोक मंगल और समरस शासन की सबसे बड़ी अवधारणा हैं। 1932 में महात्मा गांधी ने नव जीवन अखबार में रामराज्य और भारत पर अपने विचार लिखे थे। मैं बरसों से छत्तीसगढ़ आ रहा हूं। छत्तीसगढ़ में श्री राम के वनगमनपथ के विकास के संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर बात हो रही है।
कुमार विश्वास ने कहा- रामकथा को लेकर, भगवान के पुण्यस्थलों को सहेजने को लेकर छत्तीसगढ़ में बहुत अच्छा काम हो रहा है। मैं उन सभी जगहों पर जाना चाहता हूं, जहां से श्रीराम के चरण पड़े। मैं उस मार्ग का विचरण करना चाहता हूं जहां से राघवेंद्र सरकार गुजरे तथा उनकी चरण धूलि लेना चाहता हूं।
विश्वास ने कहा कि आज अरण्यकांड पर मेरी प्रस्तुति होगी, जब श्री राम छत्तीसगढ़ में वनवास में आए होंगे। उस समय यहां सघन वन रहा होगा। उस समय जनजातियों से उनके आत्मीय संवाद हुए। श्रीराम ने हमें बताया कि यहां के वनवासी कितने सरल हैं। कितने आत्मीय हैं और हमेशा सत्य के साथ खड़े रहते हैं। उन्होंने कहा कि मेरी विशेष इच्छा माता कौशल्या एवं माता शबरी पर केंद्रित व्याख्यान करने की है। माता कौशल्या जिन्होंने अपने पुत्र को लोक कल्याण के लिए वन भेज दिया। इसके लिए बहुत बड़ा दिल चाहिए। इन सब की कथा कहना चाहता हूं।