हादसे में बचने एक यात्री ने ने दावा किया है कि उन्होंने अपनी आंखों से यह भयावह मंजर देखा है जिसमें कम से कम 200 से 250 लोगों की मौत हुई होगी। हादसे के बाद कई परिवार बिखर गए। खून के सैलाब के बीच लोगों की चीख-पुकार ही सुनाई दे रही थी। चारों तरह खून से सने क्षत-विक्षत और अंगविहीन शव दिख रहे थे।
भुनेश्वर – ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम को शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई और लूप ट्रैक पर खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई और पटरी से उतरी बोगियां बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस से टकरा गईं। हादसे में अबतक 233 लोगों की जान जाने की पुष्टि हो चुकी है। 900 से अधिक लोग जख्मी हैं। ऐसे में मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका है। इस बीच हादसे में बचे एक यात्री ने घटनास्थल का सोशलप मीडिया पर जो मंजर बयां किया है वह दिल दहलाने वाला है।
चारो तरफ लोगों की चीख पुकार सुनाई दे रही थी
हादसे के बाद कई परिवार बिखर गए। खून के सैलाब के बीच लोगों की चीख-पुकार ही सुनाई दे रही थी। चारों तरह खून से सने क्षत-विक्षत और अंगविहीन शव ही दिख रहे थे। कोलकाता से करीब 250 किलोमीटर दक्षिण और भुवनेश्वर से 170 किलोमीटर उत्तर में बालासोर जिले के बहानागा बाजार स्टेशन के पास शुक्रवार शाम करीब सात बजे यह ट्रेन हादसा हुआ।
हादसे में बचे यात्री ने ट्विटर पर साझा किया दर्दनाक अनुभव
अनुभव दास नाम के व्यक्ति ने अपने ट्विटर हैंडल पर हादसे के संबंध में एक थ्रेड शेयर किया है। उन्होंने दावा किया है कि हादसे में दो ट्रेनों के अलावे एक मालगाड़ी भी शामिल थी। इस भयावह हादसे में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के सामान्य श्रेणी के तीन डब्बे भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर पटरी से उतर गए। इसके अलावे कोरोमंडल एक्सप्रेस के 13 डिब्बे जिनमें सामान्य, स्लीपर, एसी 3 टियर और एसी 2 टीयर के डिब्बे शामिल थे पूरी तरह से डैमेज हो गए। दास ने दावा किया है कि उन्होंने अपनी आंखों से यह भयावह मंजर देखा है जिसमें कम से कम 200 से 250 लोगों की मौत हुई होगी।
बचे यात्री बोले- स्थानीय लोगों को मदद के लिए क्षत-विक्षत अंगों पर चलना पड़ा
स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्होंने लगातार तेज आवाजें सुनीं, जिसके बाद वे घटनास्थल पर पहुंचे और देखा पटरी से डिब्बे उतर गए थे, वहां “स्टील के एक टूटे हुए ढेर” के अलावा कुछ भी नहीं बचा था।बचे यात्रियों ने बताया कि “स्थानीय लोगों को वास्तव में हमारी मदद करने के लिए क्षत-विक्षत अंगों पर चलना पड़ा… उन्होंने न केवल लोगों को बाहर निकालने में मदद की, बल्कि हमारा सामान निकाला और हमें पानी पिलाया।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बरहामपुर के रहने वाले पीयूष पोद्दार काम पर जाने के लिए कोरोमंडल एक्सप्रेस से तमिलनाडु जा रहे थे, तभी यह हादसा हुआ। उन्होंने कहा, ‘हमें झटका लगा और अचानक हमने देखा कि ट्रेन की बोगी एक तरफ मुड़ रही है। हम में से कई लोगों को ट्रेन के पटरी से उतरने के झटके ने डिब्बे से बाहर फेंक दिया था। जब हम रेंगकर बाहर निकलने में कामयाब रहे, तो हमें चारों ओर शव पड़े मिले।
घायलों की मदद के लिए 2000 से अधिक लोग अस्पताल पहुंचे
घायलों की मदद के लिए बालासोर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रात में 2,000 से अधिक लोग इकट्ठा हुए और कई ने रक्तदान भी किया। मुख्य सचिव जेना ने जरूरत की घड़ी में दुर्घटना पीड़ितों को रक्तदान करने वाले स्वयंसेवकों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘बालासोर में रात भर में पांच सौ यूनिट रक्त एकत्र किया गया। वर्तमान में स्टॉक में नौ सौ इकाइयां हैं। इससे दुर्घटना पीड़ितों के इलाज में मदद मिलेगी। मैं व्यक्तिगत रूप से उन सभी स्वयंसेवकों का ऋणी और आभारी हूं जिन्होंने एक नेक काम के लिए रक्तदान किया है। रक्तदान करने आए एक व्यक्ति ने कहा, “लोगों की स्थिति बहुत नाजुक है, कई लोग ऐसे हैं जिनके पैर-हाथ नहीं है। मैंने रक्तदान कर दिया जिससे किसी की जान बच सके और वे अपने घर जा सकें।”