रायपुर – हमने अक्सर देखा है कि हर मंदिर और धार्मिक स्थान पर धूनी का धुआं किया जाता है। पूजा-पाठ बिना धूप या धूनी के अधूरी मानी जाती है।
लोग घर में नियमित पूजा में भी धूप या धूनी जरूर करते हैं। इसके साथ ही पूरी घर में भी धूनी का धुआं किया जाता है। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है। लोग अपने व्यावसायिक स्थान पर भी धूनी देते है। ताकि इससे वातावरण शुद्ध रहे और सकारात्मकता का संचार होता रहे। इससे बुरी नजर से भी बचाव होता है। हालांकि बहुत कम लोग ये जानते हैं कि धूनी कितने प्रकार की होती है और कब कौन सी धूनी देनी चाहिए।
लोबान की धूनी
हिंदू धर्म में लोबान की धूनी का बड़ा महत्व है। लोबान की धूनी पूरे घर को महका देती है। साथ ही माना जाता है कि लोबान जलाने से रूहानी या पारलौकिक शक्तियां आकर्षित होती हैं। जाप आदि के समय भी लोबान की धूनी की जाती है, इसे सुलगते हुए कंडे या अंगारे पर रखकर जलाया जाता है।
गुग्गल की धूनी
गुग्गल की धूनी सबसे ज्यादा की जाती है। दीपावली के दिन गुग्गल की धूनी पूरे घर में देना काफी शुभ माना जाता है। जिन घरों में पारिवारिक कलह होती है, साथ ही घर में हमेशा तनाव बना रहता है तो उन्हें नियमित तौर पर या हफ्ते में कम से कम 2 बार गुग्गल की धूनी जरूर करनी चाहिए। इससे घर का माहौल सही रहता है।
नीम के पत्ते की धूनी
नीम को आयुर्वेद में काफी महत्व दिया गया है। नीम कई तरह की बीमारियों को दूर करने और त्वचा को बेहतर बनाने में मददगार होता है। नीम की पत्तियों और सूखी टहनियों को जलाने से हानिकारक बैक्टीरिया खत्म होते हैं। साथ ही नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
दशांग फूल की धूनी
चंदन, कुष्ठ, नखल, राल, गुड़, शर्करा, नखगंध, जटामांसी, लघु और क्षौद्र को बराबर मात्रा में मिलाकर जलाया जाता है। इसे ही दशांग फूल की धूनी कहा जाता है। इस धूप को घर में जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
कपूर और लौंग की धूनी
पूजा-पाठ के दौरान आरती के समय कपूर जलाकर उससे आरती की जाती है। वहीं वास्तु दोष दूर करने के लिए कपूर और लौंग की धूनी काफी प्रभावित मानी जाती है। रोज सुबह-शाम कपूर-लौंग की धूनी करने से घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा और सुख-शांति बनी रहती है।