‘‘हमें खाने की आवश्यकता है, तम्बाकू की नहीं’’ थीम, स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों को किया जाएगा जागरूक
रायपुर – ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ के मौके पर आज कई जगहों पर जागरुकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इन शिविर में लोगों को बताया जा रहा है कि वे तंबाकू से अपना जीवन तबाह न करें। लेकिन ‘फिर ढाक के तीन पात’, लोग कल भी जागरुक नहीं थे और आज भी नहीं हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तंबाकू निषेध दिवस प्रतिवर्ष 31 मई को मनाया जाता है। विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य तंबाकू के खतरों और स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। इसके सेवन से कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को सामना करना पड़ता है। हर साल लाखों की संख्या में लोगों की मौत तंबाकू या उससे निर्मित उत्पादों के सेवन के कारण होती हैं।
तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने बताया कि धूम्रपान करने से शरीर पर अनेक प्रकार के दुष्प्रभाव पड़ते हैं। इसके सेवन से जहाँ फेफड़े, बड़ी आंत, लिवर और मुंह के कैंसर होने की संभावना है, वहीं यह डाइबिटीज, हृदय रोग और रक्तचाप को भी बढ़ाता है। इसके सेवन से दाँत भी पीले अथवा भूरे होकर खराब होने लगते हैं और बालों से भी दुर्गंध आने लगती हैं। तंबाकू के धुएँ में पायी जाने वाली कार्बन डाई-ऑक्साइड गैस, रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को घटाती है। तंबाकू में पाये जाने वाला निकोटिन मस्तिष्क और माँसपेशियों को प्रभावित कर रक्तचाप को बढ़ाता है। यह दिमाग को भी प्रभावित करती है और फेफड़ों में इसका धुआं म्यूकस कोशिकाओं को बढ़ाता है।
ये हम ऐसे ही नहीं कह रहे बल्कि आंकड़े बताते हैं कि भारत किस प्रकार पुरुष, महिलाएं धुएं से अपनी जिंदगी तबाह कर रहे हैं। आंकड़ों की बात करें तो 29.6 फीसदी पुरुष, 12.8 फीसदी महिलाएं और 21.4 फीसदी वयस्क धुआंरहित तंबाकू का उपयोग करते हैं। 19.9 करोड़ लोग धुआंरहित तंबाकू का उपयोग करते हैं, जिनकी संख्या सिगरेट या बीड़ी का उपयोग करने वाले 10 करोड़ लोगों से कहीं अधिक हैं। वहीं, आंकड़ों के मुताबिक इस समय 19 फीसदी पुरुष, 2 फीसदी महिलाएं और 10.7 फीसदी वयस्क धूम्रपान करते हैं।
मौजूदा पीढ़ी लगातार तंबाकू की आदी होती जा रही है। आंकड़ों के अनुसार हर साल विश्व में 70 लाख लोग तंबाकू के शिकार हो जाते हैं। आप अगर जागरुक नहीं हुए तो आपको भी तंबाकू से जुड़े कई दुष्परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। इनमें फेफड़े का कैंसर, मुंह का कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक, अल्सर, दमा, डिप्रेशन आदि भयंकर बीमारियां भी हो सकती हैं।