वाराणसी – अप्रैल-मई में हो रही बेशुमार बारिश और यूरोप से आ रही नम हवाएं भारत के मानसून का रुख बदल रही हैं। वेस्टर्न डिस्टरबेंस की वजह से अप्रैल में ही 5 दौर की बारिश हो चुकी है। अप्रैल-मई का तापमान न्यूनतम 16°C से लेकर अधिकतम 31°C तक बना हुआ है। इससे नॉर्थ इंडिया के मानसून का गणित बिगड़ रहा है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के तीन मौसम वैज्ञानिक, इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट के डाटा का एनालिसिस कर रहे हैं। ये वैज्ञानिक प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव, प्रो. एसएन पांडेय और प्रो. जीपी सिंह हैं।
वैज्ञानिकों ने बताया, “अगर 2 से 4 दिनों में पारा बढ़कर 40°C के पार नहीं पहुंचा, तो उत्तर भारत में इस साल मानसून लेट होने के साथ कमजोर भी हो सकता है। बरसात के दिन भी घट सकते हैं। पिछले कुछ साल की अपेक्षा इस बार मानसून की केवल 60% बारिश ही हो सकती है। यानी 40% तक बारिश कम हो सकती है।”
उन्होंने बताया, ”आमतौर से केरल में मानसून 1 जून तक पहुंचता है। कोलकाता में 7 जून, मुंबई में 11 जून, लखनऊ में 19 जून, दिल्ली में 23 जून और चंडीगढ़ में 26 जून तक बारिश शुरू होती है। मगर, यह करीब 10 दिन आगे खिसक सकता है। खेती-किसानी और पर्यावरण के लिए यह काफी रिस्की है।”
- पहले BHU के मौसम वैज्ञानिक प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव, प्रो. एसएन पांडेय और प्रो. जीपी सिंह से जानते हैं, वो मानसून को लेकर क्या बता रहे…
मैदानी क्षेत्र के समुद्र से ज्यादा गर्म होने पर बनता है लो प्रेशर एरिया
- गर्मी के दिनों में जब मैदानी क्षेत्र समुद्र से ज्यादा गर्म हो जाते हैं, तो वहां पर लो प्रेशर एरिया बनने लगता है। इस एरिया को भरने के लिए समुद्र से हवा मैदान की तरफ चलने लगती है। समुद्र से आने वाली हवा अपने साथ भारी मात्रा में ह्यूमिडिटी भी लाती है। इसी ह्यूमिडिटी से यहां पर बादल बनते हैं, जो ठंडे होकर बारिश कराते हैं।
- वहीं, ठंड के दिनों में मैदानी एरिया हाई प्रेशर वाले बन जाते हैं और समुद्र में लो प्रेशर बन जाता है। इसलिए मानसून को दो भागों में रखा गया है। साउथ वेस्ट मानसून और नॉर्थ-वेस्ट मानसून। वहीं, भारत में मानसून की एंट्री का रास्ता अरब सागर और बंगाल की खाड़ी है।
यूरोप से आ रही ठंडी नम हवाएं बना रहीं हाई प्रेशर एरिया
प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव के अनुसार, “उत्तर भारत के तमाम शहरों में अधिकतम तापमान 31°C सेल्सियस है। यह सामान्य से 10-10°C कम रिकॉर्ड हो रहा है। मानसून के लिए पारा 40°C से ऊपर रहना चाहिए। वह भी पूरे 15-20 दिन तक। तब जाकर यहां पर लो प्रेशर डेवलप होगा और मानसूनी हवा पूरे फोर्स के साथ उत्तर भारत में बारिश कराएगी।”
उन्होंने बताया, “यूरोप से आ रही ठंडी-नम हवाएं उत्तर भारत में जम्मू-कश्मीर से लेकर बंगाल तक बह रही हैं। इससे यहां पर हाई प्रेशर वाला क्षेत्र बन गया है। जबकि, मानसून के लिए उत्तर भारत में लो प्रेशर का एरिया बनना चाहिए। अभी तक लो प्रेशर नहीं बना है। अगर यूरोपीय हवा का आना अगले 3-4 दिनों में रुकता है, तो फिर अगले 20 दिन में लो प्रेशर बन सकता है। अगर यूरोपीय हवा न रुकी, तो फिर मानसून लेट हो सकता है।
जम्मू-कश्मीर से लेकर तमाम पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश और मैदानी इलाकों में बारिश हो रही है। हवा में नमी 98% तक है। यह पहले ही काफी नम है। यहां का मौसम इससे ठंडा होता चला जा रहा है। मानसून के लिए सबसे जरूरी है कि यहां पर प्रचंड गर्मी का पड़े।”