स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि कोरोना काल में जिले के एक हजार से ज्यादा कर्मचारियों ने अपनी जान को जोखिम डालकर सेवाएं दी हैं, लेकिन कोरोना भत्ता केवल 70 से 80 लोगों को ही दिया गया है। इसे लेकर कर्मचारियों में नाराजगी है।
दंतेवाड़ा – दंतेवाड़ा जिले में एक हजार से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। इसके चलते स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। चार दिन से ओपीडी सेवाएं बाधित हैं। शनिवार से आईपीडी सेवा भी बंद कर दी गई है। इस हड़ताल में डॉक्टरों से लेकर टेक्नीशियन और अन्य मेडिकल स्टाफ शामिल है। यह सभी लोग कोरोना भत्ता दिए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
जिले में पदस्थ स्वास्थ्यकर्मियों ने 26 अप्रैल से शासन-प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इसके कारण जिला अस्पताल समेत जिले के पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 76 उप स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं। इन चिकित्सालयों में ओपीडी भी बंद है। इसके कारण मरीज भटक रहे हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत दूर-दराज से आने वाले ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को हो रही है।
क्यों पड़ी हड़ताल की जरूरत
स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि कोरोना काल में जिले के एक हजार से ज्यादा कर्मचारियों ने अपनी जान को जोखिम डालकर सेवाएं दी हैं, लेकिन कोरोना भत्ता केवल 70 से 80 लोगों को ही दिया गया है। इसे लेकर कर्मचारियों में नाराजगी है। अपनी इस मांग को लेकर पिछले दो-तीन साल से संघर्षरत हैं। अपनी इस एक सूत्रीय मांग को लेकर संयुक्त संगठन के बैनर तले जिलेभर के स्वास्थ्यकर्मियों ने आंदोलन की राह पकड़ी है।
हड़ताल में ये कर्मचारी शामिल
स्वास्थ्यकर्मियों की इस हड़ताल में डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, एनएचएम और फील्ड का समस्त स्टाफ शामिल है। अस्पतालों में ओपीडी बंद होने से मरीज हलाकान हो रहे हैं। दूसरी ओर अति आवश्यक सेवाओं के बाधित होने के बावजूद अभी तक हड़ताल को खत्म करवाने की कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है। जबकि छुट्टी के दिनों में भी ओपीडी बंद नहीं करने के निर्देश हैं।