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क्या 30 सेकंड में कर पाओगे फायरिंग?, अतीक हत्याकांड के बाद गनर्स से पूछे जा रहे हैं सवाल

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प्रयागराज में उमेश पाल के बाद अतीक-अशरफ की हत्या हुई. दोनों घटनाओं में सुरक्षा में तैनात गनर फायरिंग का जवाब नहीं दे पाए. ऐसे हालात से निपटने के लिए पुलिस अफसर उन गनरों की तलाश कर रहे हैं, जो 30 सेकेंड में जवाबी कार्रवाई कर सकें.

लखनऊ – आखिरी बार असलहा कब चलाया था? असलाह चलाने की ट्रेनिंग ली है कि नहीं? क्या 30 सेकंड में फायर कर पाओगे? ऐसे एक दर्जन सवाल राजधानी के आला पुलिस अधिकारी उन सुरक्षाकर्मियों से पूछ रहे है, जो लोगों की सुरक्षा में तैनात हैं. पहले प्रयागराज में सुरक्षा कर्मियों के साथ चल रहे उमेश पाल का मर्डर, फिर 17 हथियारबंद पुलिस के घेरे अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद से ही सुरक्षाकर्मियों की सक्रियता पर सवाल उठने लगे थे. ऐसे में अब आला अधिकारी गनरों की क्षमता की जांच कर रहे हैं.

यूपी के अफसर चुस्त और तेज तर्रार गनर की तलाश कर रहे हैं.

15 अप्रैल को प्रयागराज में 17 पुलिसकर्मियों के घेरे चल रहे अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की तीन शूटर्स ने 35 सेकंड के भीतर गोली मारकर हत्या कर दी थी. शूटरों ने इतने कम समय में घटना को अंजाम दे दिया कि एक भी पुलिसकर्मी फायर नहीं कर सका. इससे पहले 24 फरवरी को प्रयागराज में ही उमेश पाल के साथ उनके दो गनर को अतीक के गुर्गों ने मार डाला था. तब भी उमेश की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी अपने हथियार से जवाबी फायरिंग नहीं कर सके थे. इन दो घटनाओं के बाद से लोगों की सुरक्षा में तैनात गनरों की क्षमता चेक की जा रही है. यह भी जांचा जा रहा है कि गनर सुरक्षा देने के लिए कितना फिजिकल फिट हैं, उन्हे असलहा चलाना आता है कि नहीं. उनकी ट्रेनिंग कहां कराई गई थी. इसके लिए गनर के तौर पर तैनात पुलिसकर्मियों का इंटरव्यू लिया जा रहा है.

सूत्रों के मुताबिक, राजधानी पुलिस के आला अधिकारी ने 15 अप्रैल को अतीक-अशरफ की हत्या के बाद उन सभी गनर को तलब किया, जो हाई प्रोफाईल व्यक्तियों की सुरक्षा में तैनात हैं. अफसरों ने सभी गनरों से बारी-बारी बात की. बताया जाता है कि जिन सुरक्षाकर्मियों ने कमिश्नर को संतोष जनकजवाब नहीं दिए, उनसे गनर की ड्यूटी वापस ले ली गई.

सूत्रों के मुताबिक, इंटरव्यू में अधिकतर गनरों ने बताया कि वे हर वर्ष होने वाली ट्रेनिंग में शामिल हुए थे और ट्रेनिंग के दौरान ही आखिरी बार फायरिंग की थी. तीसरे सवाल के जवाब में गनरों ने कार्बाइन की मैगजीन में 32 कारतूस लोड करने की जानकारी दी. 30 सेकेंड में फायर करने वाले सवाल पर पुलिस अफसरों को संतोषजनक जवाब नहीं मिला.

लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की प्रवक्ता, अपर्णा रजत कौशिक के मुताबिक, समय-समय पर सुरक्षा में लगी पुलिसकर्मियों की असलहा चलाने की ट्रेनिंग करवाई जाती है. इसके अलावा कुछ समूह में सुरक्षा कर्मियों को बुलाकर उन्हें दिशा निर्देश दिए जाते हैं. उन्हें असलहा रखने का तरीका और ड्यूटी के वक्त सक्रियता से संबंधित जानकारियों से अवेयर किया जाता है.