जिंदा करने ग्रामीणों ने गोबर में गाड़ा, घंटो तक चलता रहा अंधविश्वास का खेल
मनेंद्रगढ़ – मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला में आकाशीय बिजली की चपेट में आकर दो भाईयों की मौत शनिवार को हो गयी थी। इस घटना के बाद पीड़ित परिवार को अपने बेटो के दोबारा जिंदा होने की आश थी, लिहाजा गांव वालों के साथ परिवान ने भी अंधविश्वास में दोनों भाइयों के शव धड़ तक गोबर में गाड़ दिया गया। इस दौरान मौके पर ग्रामीणों का हुजूम भी जुट गया। घंटो की मशक्कत के बाद भी दोनों मृतको के शरीर में कोई भी हरकत नही हुआ। उधर घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंची और परिवार वालों को समझाइश देकर शव को बाहर निकलवाया गया।
अंधविश्वास का ये मामला मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला के नागपुर चौकी क्षेत्र के ग्राम सोनवर्षा का है। जानकारी के मुताबिक शनिवार को एकाएक मौसम ने करवट ली थी। प्रदेश के कई जिलों के साथ ही मनेंद्रगढ़ जिला के सोनवर्षा गांव के कछार पारा में शनिवार की शाम तेज आंधी-तूफान के साथ बारिश हो रही थी। इससे बचने के लिए दो युवक महुआ पेड़ के नीचे जाकर बैठे हुए थे। तभी आकाशीय बिजली गिरी, जिसकी चपेट में आकर दोनों युवक आ गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों का नाम आशीष टोप्पो और सियोन टोप्पो हैं। बताया जा रहा हैं कि मृतक दोनों युवक चचेरे भाई थे।
दोनों चचेरे भाइयों की मौत की खबर मिलते ही परिवार वालों में मातम पसर गया। दोनों शव को जिंदा करने की उम्मीद से उसे धड़ तक लोगों ने गोबर में पाट दिया। लेकिन काफी मशक्कत के बाद भी जब दोनों शव में कोई हलचल नहीं हुई, तब गोबर में दबे शवों को बाहर निकाला गया। उधर इस बात की जानकारी पुलिस को मिलते ही पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और परिजनों को समझाया गया। पुलिस ने बताया कि ऐसा करने से मृत व्यक्ति जिंदा नहीं होता है। पुलिस की समझाईश के बाद पीड़ित परिवार ने दोनों युवकों का अंतिम संस्कार गांव में ही किया गया।
गौरतलब हैं कि आज भी छत्तीसगढ़ सहित कई स्थानों में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से मारे गए लोगों को जिंदा करने के लिए उनके शरीर पर गोबर का लेप लगाने का अंधविश्वास से जुड़ी परंपरा चली आ रही है। हालांकि इस प्रयोग से अब तक कभी सफलता नहीं मिली हैं। बावजूद इसके परिवार के मृत सदस्य को जिंदा करने के लिए उसके शरीर को गोबर में गाड़ दिया जाता है। ऐसी घटनांए अक्सर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिलता है। परिजन इस आस में मृतक को घंटों गोबर में गाड़े रहते हैं कि वह जीवित हो जाएगा। लेकिन ऐसा आज तक कभी भी संभव नही हो सका हैं।