कैंब्रिज – एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में लोग गर्मी से बेहाल होते जा रहे हैं। खतरनाक ‘लू’ से कई लोगों पर बीमार होने का संकट है।
स्टडी की मानें तो देश का करीब 90 फीसदी हिस्सा लू के प्रभावों के ‘खतरे के क्षेत्र’ में है। बता दें कि ये स्टडी यूके स्थित कैंब्रिज विश्वविद्यालय में रमित देबनाथ और उनके सहयोगियों द्वारा की गई है। उल्लेखनीय है कि ‘लू’ ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को पहले की तुलना में ज्यादा बाधित किया है।
पहले की अपेक्षा और बढ़ेगा खतरा
अध्ययन में इस बात का दावा भी किया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हीटववे से खतरा पहले की अपेक्षा और बढ़ेगा। गौरतलब है कि देश इस समय चिलचिलाती गर्मी से जूझ रहा है। 48 से अधिक मौसम केंद्रों ने दो दिन पहले 42 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान दर्ज किया था, जिसमें कि सबसे ज्यादा गर्मी ओडिशा (44.2) में रिकॉर्ड की गई थी। रिपोर्ट कहती है कि हीटवेव न केवल लोगों की उत्पादकता और स्वास्थ्य को प्रभावित करेगी बल्कि देश के विकास में भी बाधा उत्पन्न करेगी।
शोधकर्ताओं ने किया आगाह
यूके में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस बात को लेकर भी आगाह किया है कि यदि भारत में हीटवेव के प्रभाव को तुरंत दूर नहीं किया गया, तो भारत सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में अपनी प्रगति को धीमा कर सकता है, क्योंकि भारत में गर्मी चरम पर है और इससे देश के 80 फीसदी लोग खतरे में हैं। शोधकर्ताओं ने ये भी कहा है कि इतने बड़े खतरे से बचने के लिए विशेषज्ञों को तापमान का पुनर्मूल्यांकन कर उचित नीतियों का निर्माण भी करना होगा।
इन राज्यों को हो सकता है सबसे ज्यादा खतरा
रामित देबनाथ के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की इस स्टडी में ये भी कहा गया है कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों, जहां तापमान में 6 से 7 डिग्री सेल्सियस की विसंगति देखी गई है इन्हें सबसे ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है। बता दें कि हीटवेव इंडेक्स में भारत का 90% भाग खतरे में बताया गया है। जिसमें पश्चिम बंगाल को छोड़कर शेष पूर्वी क्षेत्र, उत्तर और मध्य भारत के सभी राज्य सम्मिलित हैं। कैंब्रिज की स्टडी के परिणामस्वरूप हलकान कर देने वाली गर्मी और लू देश के 90% परिक्षेत्र के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है।
अब देश के सामने है ये चुनौती
गर्मी की इतनी खतरनाक संभावनाओं के बीच ये जानना भी बेहद अहम है कि अगर देश का 90% भाग लू की चपेट में है तो किस चुनौती का सामना करना पड़ेगा ? तो हम आपको बता दें कि इसका जवाब भी कैंब्रिज की स्टडी में दिया गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, भारत संयुक्त राष्ट्र के 17 एसडीजी को प्राप्त करने के लिए पूर्णतया प्रतिबद्ध है, लेकिन यहां पिछले 20 वर्षों में मौसम की घटनाओं के कारण मृत्यु दर में वृद्धि हुई है, जिससे एसडीजी प्रगति की गति सुस्त पड़ गई चुकी है। इसीलिए गर्मी से बचकर देश में मृत्यु दर में कमी लाना बेहद जरूरी है।