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राहुल गांधी चाहें तो बच सकता है उनका सरकारी बंगला, बस करना होगा यह काम

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लोकसभा सदस्यता जाने के बाद हाउसिंग कमिटी ने राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भेजा हुआ है. 12 तुगलक रोड स्थित सरकारी बंगला खाली करने को कहा गया है. उन्हें इसके लिए 22 अप्रैल तक की इजाजत दी गई है.

नई दिल्ली. लोकसभा सदस्यता जाने के बाद भी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को सुरक्षा कारणों से सरकारी बांग्ला खाली करने से राहत मिल सकती है. ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करना ही पड़े. लोकसभा सदस्यता जाने के बाद हाउसिंग कमिटी ने राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भेजा हुआ है. 12 तुगलक रोड स्थित सरकारी बंगला खाली करने को कहा गया है. उन्हें इसके लिए 22 अप्रैल तक की इजाजत दी गई है.

राहुल गांधी ने लोकसभा सचिवालय को भेजा पत्र
वहीं राहुल गांधी ने लोकसभा सचिवालय को भेजे गए एक पत्र में कहा, ‘पिछले चार कार्यकाल से लोकसभा सांसद के तौर पर जनता का दायित्व पूरा करते हुए यहां बिताए वक्त की मेरे पास खुशहाल यादें हैं. अपने अधिकारों के प्रति बिना किसी पूर्वाग्रह के मैं आपकी चिट्ठी में लिखी हुई बातों का पालन करूंगा. नियम के मुताबिक एक महीने के अंदर उन्हें अपना बंगला खाली करना पड़ेगा. लेकिन अगर राहुल गांधी चाहे तो उन्हें सरकारी बंगला नहीं खाली करना पड़ेगा.

बंगला खाली करने के लिए 1 महीने का मिलता है मोहलत
सरकारी बंगले के आवंटन के अपने नियम-कानून हैं. नियम के मुताबिक अगर कोई सांसद चुनाव हार जाता है या उनकी सदस्यता रद्द हो जाती है तो तत्काल बंगला खाली करने को कहा जाता है. हालांकि नियम के मुताबिक उनके पास एक महीने का मोहलत भी मिल जाता है. अगर किसी को एक महीने या उससे ज्यादा का मोहलत चाहिए तो उन्हें हाउसिंग कमिटी के सामने रिक्वेस्ट करना पड़ता है, लेकिन ये कमिटी पर निर्भर करेगी कि वो अतिरिक्त मोहलत देती है या नहीं.

सुरक्षा कारणों से मिल जाता है सरकारी बांग्ला
अगर राहुल गांधी चाहे तो उनका सरकारी बंगला सुरक्षा कारणों से बच सकता है. इस प्रावधान पर राहुल गांधी को को सुरक्षा का हवाला देते हुए कैबिनेट कमिटी ऑन अकॉमडेशन को बंगला खाली नहीं करने का अनुरोध करना पड़ेगा. कैबिनेट कमिटी ऑन अकॉमडेशन के चेयरमैन गृहमंत्री अमित शाह हैं.
कैबिनेट कमिटी ऑन अकॉमडेशन इस बात का फैसला करेगी कि सुरक्षा के मद्देनजर राहुल गांधी का बंगला बरकरार रखा जाए या नहीं.

कई नेताओं को सुरक्षा कारणों से नहीं खाली करना पड़ा बंगला
कमिटी सुरक्षा देने वाली एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेती है कि उन्हें सरकारी बंगला बरकरार रखा जाए या नहीं. सांसद नहीं रहने के बाद भी सुरक्षा के मद्देनजर कई पूर्व के सांसदों को बांग्ला बरकरार रखने का अधिकार दिया गया है. जैसे कि गुलाम नबी आज़ाद, मुरली मनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी, बसपा सुप्रीमो मायावती को बंगला अपने पास रखने का अधिकार मिला हुआ है.