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नवरात्रि में कब करें कन्या पूजन? इन बातों का रखें ध्‍यान तो दुर्गा मां की बरसेगी कृपा!

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चैत्र नवरात्रि के दौरान सप्तमी से ही कन्या पूजन की विधि शुरू हो जाती है. झांसी के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज थापक के मुताबिक, कन्या पूजन के लिए सबसे शुभ दिन दुर्गाष्टमी को माना गया है. साथ ही बताया कि हर वर्ष की कन्या का अलग महत्व होता है.

रायपुर – चैत्र नवरात्रि का पवित्र पर्व चल रहा है. वहीं, नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. नौ दिन का व्रत रखने वाले भक्त नौ कन्याओं को नौ देवियों का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करते हैं और उन्हें भोजन कराने के बाद ही व्रत खोलते हैं. नवरात्रि की सप्तमी से ही कन्या पूजन की विधि शुरू हो जाती है. अष्टमी और नवमी के दिन भी कन्या पूजन किया जाता है. झांसी के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज थापक ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार, कन्या पूजन के लिए सबसे शुभ दिन दुर्गाष्टमी को माना गया है.

पंडित मनोज थापक ने बताया कि कन्या पूजन के लिए बच्चियों को 1 दिन पहले सम्मान के साथ आमंत्रित करें. जब घर आएं, तो पुष्प वर्षा से उनका स्वागत करें. इसके बाद पानी या दूध से उनके पैर धोएं. इस जल को अपने सिर पर लगाएं. इसके बाद कन्याओं को एक स्वच्छ आसन पर बैठाएं. मां जगदंबा की आराधना के बाद सभी कन्याओं को भोजन कराएं. आखिर में अपने सामर्थ्य के अनुसार कन्याओं को दक्षिणा और उपहार देकर उनका आशीर्वाद लें. इस बात का ध्यान रखें कि 9 कन्याओं के साथ एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमान का स्वरूप माना जाता है.

हर वर्ष की कन्या का अलग महत्व
झांसी के पंडित मनोज थापक ने बताया कि हर वर्ष की कन्या का अलग महत्व होता है. दो वर्ष की कन्या का पूजन करने से घर से दरिद्रता दूर होती है. तीन वर्ष की कन्या का पूजन करने से घर में धन की वर्षा होती है. चार वर्ष की कन्या से व्यक्ति का कल्याण होता है. पांच वर्ष की कन्या के पूजन से व्रति निरोगी रहता है. 6 से 8 वर्ष की कन्या के पूजन से विद्या और राजयोग मिलता है.