नई दिल्ली – संसद के मॉनसून सत्र का पहला दो दिन हंगामे के नाम रहा। सवाल यह है कि क्या बुधवार को विपक्ष कार्यवाही चलने देगा या नहीं? बड़ा सवाल है क्योंकि तीसरे दिन भी हंगामे के पूरे आसार हैं, वो इसलिए क्योंकि लोकसभा और राज्यसभा में कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने महंगाई, सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना, जीएसटी और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर सदन में हंगामा कर रहे हैं, लिहाज़ा भारी हंगामे और शोर-शराबे की वजह से राज्यसभा और लोकसभा की दोनों की कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित करना पड़ा था। अब देखना यही होगा कि सदन में चर्चा होती है, शून्यकाल में विषय और प्रश्न उठाए जाते हैं या फिर तीसरा दिन भी हंगामे की भेंट ही चढ़ता है
हालांकि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि बुधवार को भी हम संसद में महंगाई और जीएसटी के मुद्दों को जोर-शोर से उठाएंगे। इससे पहले सदन में विपक्ष के सदस्यों ने पहले दो दिनों में हंगामा किया। राज्यसभा के सभापति के चल रहे भाषण को बाधित करते हुए मुद्दे उठाए और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए तानाशाही नहीं चलेगी के नारे लगाए।
महंगाई, कुछ आवश्यक खाद्य पदार्थों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाए जाने और रक्षा सेवाओं में भर्ती की अग्निपथ योजना जैसे मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जैसे ही सदन की बैठक शुरु हुई वैसे ही विपक्षी दलों ने हंगामा और नारेबाजी शुरु कर दिया। सदस्य महंगाई के खिलाफ नारबाजी कर रहे थे, सरकार से कई आवश्यक पैकेट बंद खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाए जाने के फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे थे। उपसभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से बार-बार ये अनुरोध भी किया कि वो अपनी जगहों पर लौट जाएं और विधेयक पर चर्चा होने दें लेकिन उनकी एक ना सुनी गई। लिहाजा, उन्होंने पांच मिनट के भीतर ही सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
संसद के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन भी लोकसभा में कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने महंगाई, अग्निपथ योजना, जीएसटी और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भारी शोर-शराबा किया जिसके कारण मंगलवार को सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे बैठक फिर से शुरू हुई तो पीठासीन सभापति किरीटभाई सोलंकी ने आवश्यक दस्तावेज सभापटल पर रखवाए। इस दौरान विपक्षी सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर बैठने का आग्रह करते हुए सोलंकी ने कहा, ‘यह सदन चर्चा के लिए है। आप सभी को गरिमापूर्ण चर्चा करनी चाहिए। कई सदस्य अपने प्रश्न उठाना चाहते हैं, शून्यकाल में अपने विषय उठाना चाहते हैं।’ हंगामा थमता नहीं देख उन्होंने करीब 2:05 बजे बैठक को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया।
इतना ही नहीं नारेबाजी पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी नाराज़ हुए और लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने जब शोर-शराबा शुरू कर दिया। लगातार नारेबाजी और सदन में तख्तियां लहराने लगे तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला नाराज हो गए। उन्होंने विपक्षी सांसदों से मुखातिब होते हुए कहा- आपने सवाल लगाए हैं, लेकिन प्रश्न नहीं पूछना चाहते। आप तख्तियां लेकर आए हैं। उन्होंने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन को संबोधित करते हुए कहा दादा नियमों की किताब लेकर खड़े हैं और नियमों की किताब आपने पढ़ रखी है। दादा नियम की किताब पढ़ाओ इनको। बिरला ने कहा- नियम 349 के तहत सदन के अंदर तख्तियां लेकर आना उचित नहीं है। यह परंपरा ठीक नहीं है। आपको सदन के अंदर उच्च परंपराओं का पालन करना चाहिए। आप बाहर जाकर किसानों की बात करते हैं, अंदर सदन में किसानों की बात नहीं करते हैं। बाहर जाकर महंगाई की बात करते हैं, अंदर सदन में महंगाई पर चर्चा नहीं करते हैं। मैंने आपको पिछले सत्र में महंगाई पर चर्चा की अनुमति दी थी। आपने चर्चा नहीं की उस पर। यह अब गलत तरीका है।