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छत्तीसगढ़ भगवान श्री राम का ननिहाल है इसलिए यहां भांचा लोगों को बहुत सम्मान दिया जाता है – कामता प्रसाद

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कथाकार ने छत्तीसगढी में भगवान श्री राम के जीवन चरित को किया प्रस्तुत, चारों तरफ जय श्री राम के जयकारों से गूंज उठा

मैनपुर – तहसील मुख्यालय मैनपुर से तीन किलोमीटर दुर ग्राम नाहनबिरी में श्री रामचरित मानस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, आज शनिवार को छत्तीसगढ के प्रसिध्द कथावाचक कामता प्रसाद शरण छत्तीसगढी भाषा में काफी आकर्षक ढंग से भगवान श्री राम के जीवन चरित को प्रस्तुत किया तो चारो तरफ जय जय श्रीराम के जयकारे गुंजने लगे । कामता प्रसाद लगातार चार घंटे तक भगवान श्रीराम के साथ साथ शिव – पार्वती विवाह व अनेक कथा को काफी मनमोहक और सरल ढंग से प्रस्तुत किया तो हजारों लोगो ने जमकर तालिया बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया।

कथावाचक कामता प्रसाद शरण ने कहा कि छत्तीसगढ की पवित्र धरती माता कौशिल्या का जन्मस्थल है और भगवान श्री राम ननिहाल है इसलिए छत्तीसगढ में भांचा को बहुत सम्मान दिया जाता है, उन्होने कहा कि भगवान राम के जीवन चरित को आत्मसात करने की जरूरत है, आज छत्तीसगढ में रामगमन वनपथ का विकास किया जा रहा है, जो अच्छा पहल है, साथ ही उन्होने बताया कि भगवान श्री राम वनवास के समय 12 वर्ष छत्तीसगढ में व्यतीत किया है और उनके आशिर्वाद से आज छत्तीसगढ राज्य ही एक ऐसा प्रदेश है जिसे छत्तीसगढ महतारी के नाम से जाना जाता है।

उन्होने बताया कि 22 वर्षो से लगातार वे छत्तीसगढ सहित ओडिसा, महाराष्ट्र व देश के विभिन्न राज्यों में पहुचकर भगवान श्रीराम की कथा करने का उन्हे सौभाग्य प्राप्त हुआ है, श्री कामता प्रसाद ने क्षेत्र के पैरी उदगम भाठीगढ को बहुत पवित्र स्थल के साथ धार्मिक आस्था केन्द्र का बताते हुए कहा कि माता पार्वती के आगमन के बाद इस पहाडी से पैरी नदी का उदगम हुआ है जिससे आज पुरे प्रदेश में चारो तरफ खुशहाली देखने को मिल रहा है, अन्य क्षेत्रो में भले सुखा पड जाये लेकिन मां पैरी का आशीर्वाद से इस क्षेत्र में कभी अकाल नही पडता, उन्होने सभी लोगो से कहा कि धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन से गांव के साथ साथ पुरे प्रदेश में सुख शांति समृध्दि खुशहाली बनी रहती है ।

इस मौके पर प्रमुख रूप से आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जनक ध्रुव ,आयोजन समिति के संरक्षक संजय त्रिवेदी, धनसिंह नेताम, भानुराम ध्रुव, इतवारी राम ध्रुव, पूर्व सरपंच ईश्वर सिंह नागेश, चैतराम नागेश, पुनउराम धु्व, झुरूराम, बुधराम नागेश, भागचंद यादव, लवनसिंह नागेश, चेठुराम धु्रव, चेतन धु्रव, रामसिंह नागेश, जगदीश नागेश, कमलेश नागेश, मोहन यादव, चेतन सिंह यादव, हरिराम नेगी , जयसिंह नेगी, धनुष यादव, बलदेव नेताम, अकबर , बसंत यादव, गोविंद यादव, गनेश नागेश, रूपेश साहू, गेन्दु यादव, रामकृष्ण ध्रुव, डाकेश्वर नेगी, खेदू नेगी, रामसिंह नागेश, टीकम कपील, कंवलदास वैष्णव, सुधीर राजपुत, धनसाय सोनवानी, महावीर साहू, बाबुलाल साहू, नेयाल नेताम, चित्राश धुव, डोमार पटेल सहित बडी संख्या में श्रध्दालुगण उपस्थित थे।