कराची – पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ को मंगलवार को उनके रिश्तेदारों और कई सेवानिवृत्त और सेवारत सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में यहां एक सैन्य कब्रिस्तान में सैन्य सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया। पूर्व राष्ट्रपति की नमाज-ए-जनाजा (अंतिम संस्कार की नमाज) मलिर छावनी के गुलमोहर पोलो ग्राउंड में दोपहर में एक सादे समारोह में आयोजित की गई, जिसमें न तो राष्ट्रपति आरिफ अल्वी और न ही प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ शामिल हुए। हालांकि, ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ जनरल साहिर शमशाद मिर्जा और पूर्व सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा, अशफाक परवेज कयानी और असलम बेग अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
कई नेता और सैन्य अधिकारी हुए शामिल
ISI के पूर्व प्रमुख – जनरल (सेवानिवृत्त) शुजा पाशा और जनरल (सेवानिवृत्त) जहीरुल इस्लाम और कई सेवारत-सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी भी अंतिम संस्कार की प्रार्थना में शामिल हुए। मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (पाकिस्तान) के नेता खालिद मकबूल सिद्दीकी, डॉ फारूक सत्तार, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के नेता आमिर मुकाम, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता और सिंध के पूर्व गवर्नर इमरान इस्माइल, पूर्व संघीय सूचना मंत्री जावेद जब्बार सहित राजनेता भी थे। मुशर्रफ के ताबूत को पाकिस्तान के हरे और सफेद झंडे में लपेटा गया था, हालांकि यह समारोह राजकीय अंतिम संस्कार नहीं था। जनाजे की नमाज के बाद पूर्व सेना प्रमुख के पार्थिव शरीर को सेना के कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक कर दिया गया।
दिल्ली में हुआ था परवेज मुशर्रफ का जन्म
बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त 1943 को दिल्ली के दरियागंज इलाके में हुआ था। 1947 में भारत विभाजन के कुछ दिन पहले ही उनका पूरा परिवार पाकिस्तान जाने का फैसला किया था। उनके पिता पाकिस्तान सरकार में काम करते थे।
1998 में परवेज मुशर्रफ जनरल बने
बता दें कि साल 1998 में परवेज मुशर्रफ जनरल बने। उन्होंने भारत के खिलाफ कारगिल जैसे युद्ध की साजिश रची। लेकिन भारत के बहादुर सैनिकों ने उनकी हर चाल पर पानी फेर दिया। अपनी जीवनी ‘इन द लाइन ऑफ फायर – अ मेमॉयर’ में जनरल मुशर्रफ ने लिखा कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी। लेकिन नवाज शरीफ की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाए।
मुशर्रफ पर लगा था राजद्रोह का आरोप
1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन करने वाले 78 वर्षीय जनरल मुशर्रफ पर उच्च राजद्रोह का आरोप लगाया गया था और 2019 में संविधान को निलंबित करने के लिए मौत की सजा दी गई थी। बाद में उनकी मौत की सजा को निलंबित कर दिया गया था। 2020 में लाहौर उच्च न्यायालय ने मुशर्रफ के खिलाफ नवाज शरीफ सरकार द्वारा की गई सभी कार्रवाइयों को असंवैधानिक घोषित कर दिया था, जिसमें उच्च राजद्रोह के आरोप पर शिकायत दर्ज करना और एक विशेष अदालत के गठन के साथ-साथ इसकी कार्यवाही भी शामिल थी।
नवाज शरीफ ने बनाया था सेनाध्यक्ष, उन्हें ही सत्ता से कर दिया बेदखल
1998 में रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने परवेज मुशर्रफ को सेना प्रमुख बनाया था। लेकिन एक साल बाद ही 1999 में जनरल मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्तापलट कर दिया और पाकिस्तान के तानाशाह बन गए। उनके सत्ता संभालते ही नवाज शरीफ को परिवार समेत पाकिस्तान छोड़ना पड़ा था।