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विपक्ष की मांग- सुप्रीम कोर्ट या संसदीय समिति करे अदाणी ग्रुप पर आरोपों की जांच, संसद में हंगामा

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अदाणी एंटरप्राइजेज ने बुधवार को अपने 20 हजार करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) को वापस लेने और निवेशकों का पैसा लौटाने की घोषणा की। हालांकि, कंपनी के एफपीओ को मंगलवार को पूर्ण अभिदान मिल गया था।

नई दिल्ली – कांग्रेस ने अदाणी एंटरप्राइजेज पर कटाक्ष करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि अदाणी का नैतिक रूप से सही होने की बात करना वैसे ही है जैसे उनके ‘प्रधान मेंटर’ द्वारा विनम्रता, सादगी और विशाल हृदयता के सद्गुणों का उपदेश देना है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि यह ‘एंटायर पॉलिटिकल साइंस’ है।

अदाणी एंटरप्राइजेज ने बुधवार को अपने 20 हजार करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) को वापस लेने और निवेशकों का पैसा लौटाने की घोषणा की। हालांकि, कंपनी के एफपीओ को मंगलवार को पूर्ण अभिदान मिल गया था। समझा जाता है कि अदाणी एंटरप्राइजेज ने यह कदम अमेरिका की शॉर्टसेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद उठाया है।

अदाणी एंटरप्राइजेज के अध्यक्ष गौतम अदाणी ने कहा, ‘‘ एफपीओ को पूर्ण अभिदान मिलने के बाद कल उसे वापस लेने के फैसले से कई लोगों को हैरानी हुई होगी, लेकिन कल बाजार में आए उतार-चढ़ाव को देखते हुए बोर्ड को लगता है कि एफपीओ को जारी रखना नैतिक रूप से सही नहीं होगा।’’

रमेश ने ट्वीट किया, “अदाणी का नैतिक रूप से सही होने की बात कहना वैसे ही है जैसे उनके प्रधान मेंटर द्वारा विनम्रता, सादगी और विशाल हृदयता के सद्गुणों का उपदेश देना। यह ‘एंटायर पॉलिटिकल साइंस’ है।” ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की पिछले हफ्ते आई रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट आ रही है। गिरावट का यह सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा। पिछले पांच कारोबारी सत्रों में समूहों की कंपनियों का सामूहिक बाजार पूंजीकरण सात लाख करोड़ रुपये घट गया है।

अदाणी प्रकरण पर संसद में विपक्ष का हंगामा, जेपीसी की मांग

अदाणी प्रकरण के बीच संसद में भी इस विपक्ष का हमला शुरू हो गया है। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि एक संयुक्त संसदीय समिति या सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई की देखरेख में इस मामले की जांच होनी चाहिए। वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि हम मांग करेंगे कि कथित गड़बड़ी की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाना चाहिए। अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, “सवाल केवल एक प्रमोटर के बारे में नहीं है, बल्कि ये पूरे रेग्युलेटरी सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है।”