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जब पीएम मोदी छात्रों से बोले, सचमुच ऑनलाइन रीडिंग करते हो या रील्‍स देखते हो?

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज करेंगे “परीक्षा पे चर्चा”, छत्तीसगढ़ की एक शिक्षिका और 2 छात्रों से होगी सीधी बात
परीक्षा पे चर्चा के दौरान पीएम मोदी छात्रों से कहते हैं कि हकीकत में दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन पढ़ाई का नहीं है. आपने बहुत बार अनुभव किया होगा कि कक्षा में भी बहुत बार आपका शरीर कक्षा में होगा, आपकी आंखें टीचर की तरफ होंगी लेकिन आपके कान में एक भी बात नहीं जाती होगी. क्‍योंकि आपका दिमाग कहीं और होगा.

नई दिल्‍ली – भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम के 5वें संस्करण में बच्‍चों के सवालों के जवाब दे रहे थे तभी उन्‍होंने उल्‍टा बच्‍चों से ही एक सवाल पूछ लिया. जिसके बाद दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में मौजूद सभी बच्‍चे हंस पड़े. इतना ही नहीं जब पीएम मोदी ने कहा कि उन्‍होंने बच्‍चों की गलती पकड़ ली है तो सभी बच्‍चों ने सहमति में सर भी हिलाया. दरअसल चर्चा के दौरान कर्नाटक और दिल्‍ली राज्‍यों के तरुण, शाहिद अली, कीर्तना आदि बच्‍चों और शिक्षकों ने पिछले दो साल से चली आ रही ऑनलाइन पढ़ाई (Online Study) और उसके कारण पैदा हुई बाधाओं जैसे सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म, यूट्यूब आदि देखने की आदतों से छुटकारा पाने का उपाय पूछा था. छात्रों ने कहा कि ये चीजें उन्‍हें पढ़ाई में एकाग्र होने से रोक रही हैं, इनसे कैसे निजात मिले.

इन सवालों के जवाब देने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने बच्‍चों से ही एक सवाल पूछ लिया. उन्‍होंने पूछा, ‘जब आप ऑनलाइन रीडिंग (Online Reading) करते हैं तो सचमुच पढ़ाई करते हैं या रील्‍स (Reels) देखते हैं. मुझे बताइए. अब मैं आपसे हाथ ऊपर नहीं कराऊंगा, लेकिन आप समझ गए हैं कि मैंने आपको पकड़ लिया है. हकीकत में दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन (Offline) का नहीं है. आपने बहुत बार अनुभव किया होगा कि कक्षा में भी बहुत बार आपका शरीर कक्षा में होगा, आपकी आंखें टीचर की तरफ होंगी लेकिन आपके कान में एक भी बात नहीं जाती होगी. क्‍योंकि आपका दिमाग कहीं और होगा. कान पर तो कोई दरवाजा नहीं लगाया है, कोई खिड़की नहीं लगाई है लेकिन मन कहीं और है तो सुनना ही बंद हो जाता है. रजिस्‍टर ही नहीं होता.’

पीएम आगे कहते हैं, ‘जो चीजें ऑफलाइन होती हैं वही चीजें ऑनलाइन भी होती हैं. इसका मतलब है कि माध्‍यम समस्‍या नहीं है. मन समस्‍या है. माध्‍यम ऑनलाइन हो चाहे ऑफलाइन, अगर मेरा मन पूरी तरह उससे जुड़ा हुआ है, उसमें डूबा हुआ है. मेरा एक खोजी मन है जो चीजों को बारीकी से पकड़ने की कोशिश कर रहा है तो मैं नहीं मानता कि आपके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन से कोई फर्क पड़ सकता है.’

‘जैसे युग बदलता है तो माध्‍यम भी बदलते रहते हैं. सदियों पहले पहले के जमाने में गरुकुल चलते थे, वहां तो प्रिंटिंग पेपर भी नहीं होते थे, किताबें भी नहीं होती थीं. वे सुनकर ही कंठस्‍थ करते थे. उनकी श्रवण शक्ति इतनी तेज रहती थी कि सुनते थे और याद कर लेते थे. बाद में प्रिंटिंग प्रेस आए, किताबें आई तो लोग उसमें ढल गए. ये परिवर्तन हमेशा चलता रहता है. ये मानव जीवन का हिस्‍सा है. तो ये भी इसी का हिस्‍सा है कि आज हम डिजिटल गैजेट के माध्‍यम से बड़ी आसानी से और बड़े व्‍यापक रूप से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. इसे हमें अवसर मानना चाहए, समस्‍या नहीं मानना चाहिए लेकिन ये भी सही है कि कभी हमें कोशिश करनी चाहिए कि ऑनलाइन पढ़ाई को एक रिवार्ड के रूप में अपने पास रखें. मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि आपके टीचर के माध्‍यम से मिला हुआ नोट्स या ऑनलाइन भी स्‍टैंडर्ड मेटेरियल मौजूद है, दोनों को बराबर देखेंगे तो खुद ही उसका वैल्‍यू एडिशन कर सकते हैं. इससे आपकी ताकत बढ़ेगी.’

ऑनलाइन पाने के लिए और ऑफलाइन बनने के लिए है…
पीएम मोदी छात्रों को संबोधित करते हुए आगे बोले, ‘शिक्षा का एक हिस्‍सा है ज्ञानार्जन करना. अब ऑनलाइन और ऑफलाइन का सिद्धांत क्‍या हो सकता है. मैं मानता हूं कि ऑनलाइन पाने के लिए है और ऑफ बनने के लिए है. मुझे कितना ज्ञान पाना है ये मैं ऑनलाइन दुनिया के किसी भी छोर में जाकर वह ज्ञान अपने फोन पर ले सकता हूं. जबकि ऑफलाइन जो मैंने वहां पाया है, उसको पनपने के लिए मैं अवसर दूंगा. ये सवाल दक्षिण के साथियों ने पूछा तो उदाहरण दूंगा. मान लीजिए कि डोसा कैसे बनता है. कौन से मसाले होते हैं, क्‍या तरीका होता है, ये मैं ऑनलाइन जानकारी ले सकता हूं. फिर बढ़‍िया से बढ़‍िया डोसा कम्‍यूटर पर बनाता हूं तो इससे पेट भरेगा क्‍या? लेकिन अगर उस ज्ञान से कोशिश करके डोसा बना दिया तो पेट भरेगा या नहीं भरेगा. इसलिए ऑनलाइन को आधार मजबूत करने के लिए उपयोग करें. आपको ऑफलाइन में उसको जाकर जीवन में साकार करना है. शिक्षा का भी ऐसा ही है.’
‘पहले अपनी किताब, टीचर्स, वातावरण बहुत सीमित साधन थे ज्ञान प्राप्ति के, आज असीमित संसाधन हैं. इसलिए आप अपने आप का विस्‍तार कितना कर सकते हैं, उसके लिए उतनी ही चीजें जोड़ते जाते हैं. इसलिए ऑनलाइन को विकल्‍प के रूप में उपयोग करें. अगर कहीं इधर उधर भटकते हैं तो फिर टूल्‍स भी उपलब्‍ध हैं. हर गैजेट में टूल है, ये करो ये न करो, ऐसे करो, अब आराम करो, फिर 15 मिनट के बाद पढ़ो, आदि. इन टूल्‍स का उपयोग करके आप खुद को अनुशासन में ला सकते हैं. मैंने देखा है कि बहुत सारे बच्‍चे इन टूल्‍स का उपयोग करते हैं. दूसरा जीवन में खुद से भी जुड़ने का उतना ही महत्‍व है. जितना मोबाइल फोन या आईपैड में घुसने में आनंद आता है, उससे हजारों गुना खुद के भीतर झांकने या घुसने में आनंद आता है. इसलिए दिनभर में कुछ पल ऐसे निकालिए, जब आप ऑनलाइन या ऑफलाइन नहीं होंगे और इनर लाइन होंगे. उससे आप अपनी ऊर्जा को अनुभव और संरक्षित कर सकते हैं. अगर आप ऐसा कर लेते हैं तो मुझे नहीं लगता कि ये सारे संकट आपके लिए कठिनाई पैदा करेंगे.’