श्रीनगर – कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की समाप्ति पर कश्मीर में 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के मौके पर तिरंगा फहरायेंगे. हालांकि वो तिरंगा झंडा कांग्रेस कार्यालय में फहरायेंगे, श्रीनगर के लाल चौक पर नहीं. पहले ऐसा कहा जा रहा था कि राहुल गांधी 26 जनवरी को लाल चौक पर तिरंगा फहरायेंगे.
कश्मीर और भारतीय राजनीति में लाल चौक की अपनी अहमियत है.लाल चौक को श्रीनगर की शान कहा जाता है. प्रदेश और देश की प्रमुख पार्टियों मसलन कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस और बीजेपी आदि के राजनीतिक मिशन के लिए लाल चौक खास महत्व रखता रहा है. साल 1993 में यहां भयानक अग्निकांड हुआ था, जिसमें 125 कश्मीरी लोगों की मौत हो गई थी.
किस-किस ने कब फहराया तिरंगा?
इतिहास के पन्ने को पलट कर देखें तो देश आजाद होने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने सन् 1948 में लाल चौक पर तिरंगा फहराया था. उनके साथ तब की जम्मू-कश्मीर रियासत के प्रमुख शेख अब्दुल्ला भी थे. पं. नेहरू ने लाल चौक पर ही शेख अब्दुल्ला के साथ मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में विजय की घोषणा की थी. इसी दौरान पं. नेहरू ने जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की बात कही थी. जो कभी संभव नहीं हो सका.
1992 में एमएम जोशी ने फहराया तिरंगा
लंबे अरसे के बाद सन् 1992 में गणतंत्र दिवस के मौके पर बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में लाल चौक पर तिरंगा फहराया गया था. तब देशभर में राम मंदिर आंदोलन भी जोरों पर जारी था. दिसंबर 1991 से कन्याकुमारी से ‘एकता यात्रा’ शुरू की गई थी. इस यात्रा में आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे. झंडा फहराने वालों में मोदी भी शामिल थे.
अलर्ट के बावजूद लहराया तिरंगा
लाल चौक का इतिहास बताता है जब भी राष्ट्रीय पर्व का मौका आता है, यहां आतंकी हमले का अलर्ट बढ़ जाता है. सुरक्षा कड़ी कर दी जाती है. खतरे को देखते हुए लाल चौक पर तिरंगा फहराना आसान नहीं होता. लेकिन 26 जनवरी 1992 को मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में यहां तिरंगा फहराया गया.
मुरली मनोहर जोशी का झंडा फहराना इसलिए भी अहम था क्योंकि लाल चौक पर घंटा घर बनने के बाद यहां तिरंगा नहीं फहराया गया था.
लाल चौक का इतिहास
श्रीनगर के लाल चौक का नाम मॉस्को के रेड स्क्वॉयर पर रखा गया था. सन् 1980 में यहां क्लॉक टावर का निर्माण किया गया था, जिसे घंटा घर कहा जाता है. इसका नाम लाल चौक रखने में वामदल के नेताओं का अहम योगदान था. बाद में लाल चौक क्रांति और परिवर्तन का प्रतीक बन गया. फिलहाल जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाये जाने के बाद राज्य में अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती की गई है.