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3200 किमी चलने के बाद राहुल को पता चला, BJP और AAP में से कांग्रेस को कौन पहुंचा रहा बड़ा नुकसान

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पंजाब – ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में लगभग 3200 किलोमीटर पैदल चलने के बाद राहुल गांधी को पंजाब (Punjab) के होशियारपुर में यह अहसास हुआ है कि कांग्रेस के लिए राजनीतिक तौर पर ‘भाजपा और आप’ में से कौन बड़ा नुकसानदायक है। अभी तक राहुल गांधी ने इस यात्रा के दौरान जितनी भी प्रेसवार्ता या जनसभाएं की हैं, उनमें भाजपा और आरएसएस ही निशाने पर रहे हैं। पंजाब में राहुल ने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा है। उन्होंने दो बड़ी बातें कही हैं। उन्होंने स्वीकार किया है कि यहां पर चुनाव से पहले एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का फायदा ‘आप’ ने उठाया था, लेकिन अब दोबारा से लोगों का कांग्रेस के प्रति झुकाव होने लगा है। आम आदमी पार्टी, पंजाब में कोई विजन नहीं दे सकी। लोग कहने लगे हैं कि हमारी उम्मीदें पूरी नहीं हुईं। राहुल ने कहा, पंजाब को पंजाब से चलाया जा सकता है। अगर उसे दिल्ली से चलाया जाएगा, तो उसे पंजाब के लोग स्वीकार नहीं करेंगे। राहुल के इस बयान को कांग्रेस संगठन में काफी अहम माना गया है। वजह, दिल्ली और पंजाब में उसे ‘आप’ के चलते सत्ता से बाहर होना पड़ा है। गुजरात में भी ‘आप’ ने कांग्रेस पार्टी को भारी नुकसान पहुंचाया है।

कांग्रेस ने मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंदी, भाजपा को बनाए रखा

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने भी इस बात को स्वीकार किया है। उनका कहना था कि अभी कांग्रेस पार्टी, मुख्य तौर पर भाजपा को ही निशाना बनाती आई है। आम आदमी पार्टी, जो अब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पा चुकी है, उसके बारे में ज्यादा गंभीरता से नहीं सोचा गया। इसका खामियाजा भी पार्टी को उठाना पड़ा है। दिल्ली में शीला दीक्षित सरकार के कामों को लोग याद करते हैं। अन्ना मूवमेंट के बाद जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ, तो भी पार्टी ने मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंदी, भाजपा को बनाए रखा। ‘आप’ को हल्के में लेकर कांग्रेस, लोगों का मूड़ नहीं भांप सकी। नतीजा, अभी तक हुए तीन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी सत्ता से बाहर है। गत दो विधानसभा चुनाव में तो पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका। खास बात है कि दिल्ली में ‘आप’ ने कांग्रेस के वोट बैंक पर कब्जा जमा लिया। देखा जाए तो यहां पर भाजपा का वोट बैंक आज भी हिल नहीं सका है। ये अलग बात है कि पार्टी, सत्ता से बहुत दूर चली गई। दूसरी ओर, कांग्रेस का वोट बैंक, पूरी तरह ‘आप’ के पास चला गया। यह बात कांग्रेस पार्टी को बहुत देर बाद समझ आई।

देश के कई प्रदेशों में बढ़ रही ‘आप’ की सक्रियता

पंजाब में भी कुछ ऐसी ही स्थिति बन गई। वहां भी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के वोट बैंक में भारी सेंध लगा दी। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में अकाली दल के वोटरों पर भी आप ने कब्जा जमा लिया। गुजरात चुनाव में आप को जो भी मत मिले हैं, उन्हें कांग्रेस का वोट बैंक बताया जा रहा है। इस साल होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी ‘आप’ मजबूती के साथ ताल ठोकेगी। इनमें मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्य भी शामिल हैं। दिल्ली से लगते हरियाणा में भी ‘आप’ ने बड़े स्तर पर संगठन खड़ा कर दिया है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ‘आप’ ने अपनी सक्रियता काफी ज्यादा बढ़ा दी है। उत्तर प्रदेश में भी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, सक्रिय हैं। लोकसभा चुनाव में भी ‘आप’ बड़े पैमाने पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। पंजाब की जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अब देश में कांग्रेस का एकमात्र विकल्प ‘आप’ है। भाजपा से अगर कोई मुकाबला कर सकता है तो वह आम आदमी पार्टी है। कांग्रेस खत्म हो चुकी है।

पंजाब को पंजाब से ही चलाया जाना चाहिए

राहुल गांधी को अब ‘आप’ की बढ़ती ताकत का अहसास हो चुका है। उन्हें यह भी मालूम है कि कांग्रेस को भाजपा और आप में से कौन ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। इस बात पर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व एवं विभिन्न प्रदेशों के नेता गहन विचार मंथन कर चुके हैं। आगामी विधानसभा चुनावों में इसकी झलक देखने को मिलेगी। राहुल गांधी ने पंजाब में यह बात बहुत सोच समझकर ही कही है कि हिंदुस्तान के हर प्रदेश का इतिहास होता है। हर प्रदेश का एक इतिहास होता है। हर प्रदेश की भाषा होती है और वहां के लोगों का जीने का एक तरीका होता है। पंजाब को पंजाब से ही चलाया जाना चाहिए। राहुल ने कहा, ये मैंने बहुत गहरी बात बोली है। पंजाब को दिल्ली से नहीं चलाना चाहिए। मैं, पंजाब के मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं कि आप पंजाब के मुख्यमंत्री हो। पंजाब को पंजाब से ही चलाएं। दिल्ली के दबाव में, केजरीवाल के दबाव में भगवंत मान को नहीं आना चाहिए। आपको स्वतंत्र तरीके से काम करना चाहिए। किसी का रिमोट कंट्रोल नहीं बनना चाहिए। मंगलवार को एक प्रेसवार्ता में राहुल ने कहा, लोगों ने जो सोचकर पंजाब में आप को मौका दिया था, उस विजन पर काम नहीं हो पा रहा। यहां के लिए एक लंबा विजन चाहिए। बेरोजगार युवक, किसान और स्मॉल एवं मीडियम इंडस्ट्री पर पंजाब सरकार का ध्यान नहीं है।