जोशीमठ में लोगों के घरों में दरारों का मामला बढ़ रहा है। 2 जनवरी से जमीन से फूटने वाले पानी और फिर घरों में बढ़ने वाली दरारें लोगों को डरा रही हैं। 186 से अधिक परिवारों को घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। इस बीच एक भविष्यवाणी का मामला भी सामने आ रहा है।
जोशीमठ: उत्तराखंड के जोशीमठ में लोगों की परेशानी दरारें बढ़ा रही हैं। घरों को खाली कर लोग राहत शिविरों में पहुंच रहे हैं। 760 घरों में दरारों को चिन्हित किया गया है। 186 से अधिक परिवार बेघर हो चुके हैं। इस स्थिति में एक सदियों पुरानी भविष्यवाणी की चर्चा खूब हो रही है। यह भविष्यवाणी जोशीमठ और आसपास के गांवों में सदियों से लोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ट्रांसफर करते रहे हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि जोशीमठ के रास्ते बदरीनाथ मंदिर पहुंचना भविष्य में दुर्गम हो जाएगा। भगवान बदरीनारायण की पूजा जोशीमठ से करीब 22 किलोमीटर दूर सुवाई में होगी। सुवाई में 8530 फीट की ऊंचाई पर स्थित भविष्य बदरी मंदिर में इस पूजा को कराया जाएगा। यह गांव तपोवन से आगे है।
भगवान बदरी विशाल के धाम के स्थान परिवर्तन की भविष्यवाणी का उल्लेख प्राचीन ग्रंथ ‘सनथ संहिता’ में भी किया गया है। इसमें कहा गया है कि जब जोशीमठ में नरसिंह की मूर्ति का हाथ गिर जाएगा। विष्णुप्रयाग के पास जय और विजय के पहाड़ ढह जाएंगे तो बद्रीनाथ का वर्तमान मंदिर दुर्गम हो जाएगा। इस स्थिति में भविष्य बदरी मंदिर में भगवान विष्णु के बदरीनारायण स्वरूप की पूजा होगी। दरअसल, जोशीमठ में भगवान नरसिंह का मंदिर है। यहां पर स्थित भगवान नरसिंह ध्यान अवस्था में स्थापित हैं। भगवान नरसिंह को भगवान विष्णु के अवतारों में एक माना गया है। उनकी मूर्ति का हाथ बालों जितना पतला हो गया है। हालांकि, अभी तक यह गिरा नहीं है।
जोशीमठ में बदल रहे हैं हालात
जोशीमठ में स्थिति लगातार बदल रही है। विष्णुप्रयाग स्थित हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट के आसपास के इलाकों में पहाड़ों में दरार के मामले सामने आ रहे हैं। इसके बाद लोग सदियों पुरानी भविष्यवाणी की बात कर रहे हैं। लोगों को आश्चर्य हो रहा है कि क्या इस भविष्यवाणी में कोई सच्चाई हो सकती है? जोशीमठ में भगवान नरसिंह मंदिर के मुख्य पुजारी संजय प्रसाद डिमरी ने कहा कि स्थानीय लोगों को लगता है कि शायद देवता नाराज हैं। इसलिए, पवित्र शहर में परेशान करने वाली घटनाएं सामने आनी शुरू हुई हैं। प्राचीन भविष्य के बारे में बात करते हुए पुजारी ने कहा कि नरसिंह मंदिर की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। इस मंदिर में भगवान विष्णु अपने शांत अवतार में हैं।
पुजारी कहते हैं कि मूर्ति ‘शालिग्राम’ पर अवस्थित है। यहां भगवान नरसिंह की मूर्ति प्रत्येक गुजरते दिन के साथ अपनी भुजा पतली कर रही है। हम इसे हर दिन सुबह भगवान के ‘जलाभिषेक’ के दौरान देखते हैं। उन्होंने आगे दावा किया कि भविष्य बदरी में भगवान बदरीनाथ की एक और मूर्ति है, जो अपने आप उत्पन्न हुई और हर बीतते दिन के साथ बड़ी होती जा रही है। हमारे पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख है कि जब भगवान नरसिंह की बाईं भुजा पतली होती जाती है, तो भगवान बदरीनाथ अपना वर्तमान स्थान छोड़ देते हैं।
जय- विजय पहाड़ के ढहने की भी भविष्यवाणी
पुजारी संजय प्रसाद डिमरी कहते हैं कि दो पहाड़ों के रूप में जय और विजय के ढहने की भी भविष्यवाणी की गई है। इससे जोशीमठ से करीब 45 किलोमीटर दूर भगवान बदरीनाथ के वर्तमान मंदिर तक पहुंच पाना दुरूह हो जाएगा। इसके बाद भविष्य बदरी में भगवान बदरीनाथ की पूजा शुरू हो जाएगी। जोशीमठ में जारी संकट के बीच स्थानीय साइंटिस्ट भी लोगों की चिंता और शंकाओं को शांत करने के लिए आगे आए हैं। उत्तराखंड के दो प्रसिद्ध वैज्ञानिक वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के पूर्व ग्लेशियोलॉजिस्ट डीपी डोभाल और उत्तराखंड अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक एमपीएस बिष्ट ने इस सप्ताह की शुरुआत में मंदिर का दौरा किया था।