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मौत के बाद भी जिंदा रहेंगे यूक्रेनी सैनिक!…रूस से जंग लड़ने वाले बांकुरों की “स्पर्म स्ट्रैटेजी”

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Russia-Ukraine War – यूक्रेनी सैनिक अपने देश की आन,बान और शान के लिए मौत को गले लगाने से जरा भी नहीं झिझक रहे। 11 महीने से चल रहे भीषण युद्ध में रूस के साथ ही साथ यूक्रेन के भी हजारों सैनिक मारे जा चुके हैं।

इनमें से बहुत से सैनिक ऐसे भी हैं, जिनकी हाल ही में शादी हुई थी। जब ऐसे सैनिक युद्ध में शहीद होते हैं तो वह सिर्फ अकेले नहीं मरते, बल्कि इसके साथ उनका पूरा वंश भी मर जाता है।

वंश को निर्वंश कर देने वाली युद्ध की यह विभीषिका लगातार भयावह होती जा रही है। ऐसे में डर है कि कहीं यूक्रेन के सैनिकों का वंश ही न खत्म हो जाए। मगर अब यूक्रेनी सैनिकों ने ऐसी रणनीति बनाई है, जिससे की मौत के बाद भी वह जिंदा रहेंगे। यह सुनकर आप चौंक जरूर रहे होंगे, लेकिन आइए आपको बताते हैं कि यूक्रेनी रणबांकुरों की ऐसी कौन से रणनीति है, जो उन्हें शहीद होने के बाद भी जिंदा रखेगी।

यूक्रेन ने शुरू किया “हीरो नेशन” प्रोग्राम
युद्ध में जान गंवाने वाले या अपंग हो जाने वाले सैनिकों के लिए विशेष तौर पर यूक्रेन की सरकार ने “हीरो नेशन” प्रोग्राम शुरू किया है। इसका मकसद युद्ध में जवान गंवा देने वाले सैनिकों के वंश को बर्बाद होने से बचाना है। इसके लिए जंग लड़ने जाने वाले सैनिकों का “स्पर्म” सुरक्षित रखने की राष्ट्रीय पहल सरकार की ओर से शुरू की गई है। ताकि युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों की पत्नियां अपने पति के इस स्पर्म से कभी भी गर्भ धारण कर सकेंगी। ऐसे में यूक्रेनी सैनिकों का वंश चलता रहेगा यानि किसी न किसी रूप में यूक्रेनी सैनिक मरने के बाद भी जीवित रहेंगे। यूक्रेनी सैनिकों के वंश को नष्ट होने से बचाने की इस पहल के प्रचार-प्रसार के लिए स्वयं सैनिकों की पत्नियां सोशल मीडिया पर अभियान चला रही हैं।

सरोगेसी क्लीनिक में फ्रीज करके रखा जा रहा स्पर्म
राष्ट्रपति जेलेंस्की के नेतृत्व में युद्ध लड़ने जाने वाले सभी सैनिकों को अपना स्पर्म सुरक्षित रखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। करीब 40 फीसदी यूक्रेनी सैनिक इस पहल से जुड़ गए हैं। युद्ध के मैदान में जाने से पहले अब यूक्रेनी सैनिकों ने अपने स्पर्म को सरोगेसी क्लीनिक में सुरक्षित रखना शुरू कर दिया है। इससे यूक्रेन में मंद पड़ी सरोगेसी क्लीनिक का कारोबार फिर से दमक उठा है। जबकि युद्ध के पहले यहां सरोगेसी का कारोबार बड़े पैमाने पर था।

अमेरिका से लेकर फ्रांस, इटली, ब्रिटेन, चीन और स्पेन से भी लोग यहां सरोगेसी के लिए आते थे। इस पहले के बाद यदि कोई सैनिक शहीद हो जाता है, अपंग या घायल हो जाता है या युद्ध बंदी बना लिए जाने से अपने देश कभी वापस नहीं लौट पाता तो भी उसका वंश चलता रहेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार सैनिकों के इस स्पर्म को अगले 20 वर्षों में कभी भी उनकी पत्नियां गर्भ के लिए इस्तेमाल कर सकेंगी। यानि पति के शहीद होने के 20 वर्ष में कभी भी वह मां बन सकेंगी।