इस्लामाबाद – पाकिस्तान इस समय गेहूं की भारी कमी से जूझ रहा है। इसकी वजह से जगह-जगह पर आटे के लिए मारपीट हो रही है। कहीं पर आटा नहीं हैं तो कहीं इसका दाम आसमान छू रहा है। आटे के दाम इस कदर बढ़ गए हैं कि यह एक आम आदमी पहुंच से बाहर हो चुका है। दुनियाभर से मदद की अपील कर रहे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को भी नहीं मालूम है कि आखिर इस मुश्किल से कैसे निबटा जाए। आटा जो सबसे अहम खाद्य पदर्थ है, अगर वही नहीं मिल पा रहा है तो आप खुद ही देश की बुरी स्थिति का अंदाजा लगा रहे हैं। लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ जो इस मुल्क को इस किल्लत से दो-चार होना पड़ा है। जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट।
आटे के लिए मारपीट
पाकिस्तान के कराची में एक किलो आटा इस समय 140 से 160 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से बिक रहा है। इस्लामाबाद और पेशावर में 10 किलो की बोरी 1500 और 20 किलो की बोरी 2800 रुपए में बिक रही है। पंजाब प्रांत की अगर बात करें तो यहां पर मिल मालिक 160 रुपए प्रति किलो की दर से आटा बेच रहे हैं। खैबर पख्तूनख्वां में 20 किलो की आटे की बोरी 3100 रुपए में है। सरकार की तरफ से कीमतों को नियंत्रित करने के सभी प्रयास पूरी तरह से फेल हो गए हैं। आटे की कमी की वजह से अब लोगों के बीच मारपीट तक होने लगी है। खैबर, सिंध और बलूचिस्तान में तो संकट की वजह से हिंसा का माहौल है।
10 घंटे तक लाइन में
लोग रोजाना 10 घंटे तक लाइन में लगे हैं और तब जाकर उन्हें आटा नसीब हो रहा है। गेहूं की सबसे ज्यादा कमी पंजाब और आसपास के प्रांत में है। इस संकट के लिए लोग शहबाज और उनकी सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो पीएम शहबाज के मंत्री इस बात का अनुमान ही नहीं लगा सके कि आखिर कितना गेहूं निर्यात करना है। गलत अनुमान के आधार पर गेंहू का निर्यात किया गया और आज नौबत यहां तक आ गई है।
क्या है असली वजह
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो केंद्र और पंजाब सरकार के बीच टकराव इस किल्लत की बड़ी वजह है। पंजाब खाद्य विभाग का अनुमान पूरी तरह से गलत साबित हुआ। इस अनुमान के आधार पर ही केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं खरीदा गया था। बलूचिस्तान के खाद्य मंत्री जामराक अच्छाजकाई ने कहा कि उनके राज्य को जितना जरूरी था, उतना गेहूं मिला ही नहीं। उनका कहना है कि पंजाब के मुख्यमंत्री परवेज इलाही ने वादा किया था। लेकिन उन्होंने गेहूं का पूरा स्टॉक नहीं भेजा और अपना वादा तोड़ा। इसकी वजह से ही लोगों को काफी मुश्किलें हो रही हैं।
बलूचिस्तान में भारी किल्लत
उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान गेहूं की जरूरतों के लिए 85 फीसदी तक पंजाब और सिंध पर ही निर्भर है। दोनों ही प्रांतों ने गेहूं के निर्यात पर बैन कर दिया है। गेहूं की कमी और महंगे आटे की वजह से पाकिस्तान में अब तक चार लोगों की मौत हो गई है। अक्टूबर में पीएम शहबाज ने कहा था कि देश में गेहूं का र्प्याप्त स्टॉक है और प्राइवेट इंपोर्ट की मंजूरी नहीं दी जएगी।