मैनपुर विकासखण्ड ग्राम कन्हारपारा में विद्यालय भवन जर्जर होने के कारण एक कमरे के सामुदायिक भवन में लग रही है प्राथमिक शाला
मैनपुर – गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र में बदहाल शिक्षा व्यवस्था किसी से छिपा नही है तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 25 किमी दूर ग्राम कन्हारपारा शासकीय प्राथमिक शाला में पांच कक्षाओं का संचालन एक कमरे के भीतर किया जा रहा है इस विद्यालय में दर्ज संख्या 42 छात्र -छात्राओं की है और कक्षा पहली, दूसरी, तीसरी, चैथी तथा पांचवी कुल पांच कक्षाएं एक कमरे के भीतर संचालित किया जा रहा है पहली से लेकर पांचवी तक के बच्चे इधर उधर मुंह करके पढ़ाई कर रहे है और इन्हे दो शिक्षको के द्वारा एक ही समय में एक कमरे के भीतर शिक्षा उपलब्ध कराना किसी जादूगरी से कम नही है। इस संबंध में शिक्षक डोमार पटेल ने बताया एक कमरे में पांच कक्षाओं का एक साथ संचालन करना बहुत दिक्कत हो रही है कक्षा पहली के बच्चे से लेकर पांचवी तक के बच्चे एक साथ पढ़ाई करते है कई बार इस समस्या से शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अवगत करा चुके है लेकिन अब तक समस्या का समाधान नही हुआ है।
मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत शोभा के आश्रित ग्राम कन्हारपारा में शासन द्वारा सन् 1997 में शासकीय प्राथमिक शाला प्रारंभ किया गया और वर्ष 2000 में नया भवन निर्माण किया गया लेकिन स्कूल भवन बेहद जर्जर हो गया है स्कूल भवन के भीतर प्लास्टर टूट -टूटकर गिर रहा है स्कूल के भीतर कक्षाएं संचालित करना किसी खतरे से कम नही था जिसके कारण बच्चो की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गांव में एकमात्र सामुदायिक भवन में विद्यालय संचालन का फैसला जनभागीदारी समिति द्वारा लिया गया और पिछले एक वर्ष से एक कमरे में पांच कक्षाएं संचालित हो रहा है इस विद्यालय में दर्ज संख्या 42 है और दो शिक्षक पदस्थ है बच्चो के लिए शौचालय मूत्रालय व अन्य कोई सुविधाएं नही है जैसे तैसे स्कूल का संचालन किया जा रहा है। जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष केजूरा नेताम, हीरासिंह मरकाम, कंगालसिंह नेगी, अगनुराम यादव, रूपसिंह ओंटी, रघुवर नागेश, मनराखन मरकाम व ग्रामीणों ने बताया कई बार जर्जर स्कूल भवन मरम्मत की मांग कर चुके है लेकिन शिक्षा विभाग के ब्लाॅक स्तर से लेकर जिला स्तर के अधिकारियों ने कभी ध्या नही नही दिया साथ ही यहां मध्यान भोजन रसोईयों को भारी दिक्कतो का सामना करना पड़ रहा है उन्हे पानी काफी दूर से लाना पड़ता है तब कही जाकर बच्चो के लिए मध्यान भोजन बन पाता है।
बच्चो को बेहतर शिक्षा देने के लिए सरकार की ओर से सर्व शिक्षा अभियान सहित कई योजनाएं चलाई जा रही है और तो और शहरी क्षेत्रो में सरकारी स्कूलो में पर्याप्त संसाधन के साथ बच्चो को कम्प्यूटर शिक्षा तक दिया जा रहा है ठीक इसके विपरित आदिवासी दूरस्थ क्षेत्रो में पढ़ाई करने स्कूल पहुंचने वाले आदिवासी बच्चो के लिए शिक्षा विभाग बैठने तक की व्यवस्था नही कर पा रही है एक कमरे के भीतर पांच कक्षाओ का संचालन सुनकर ही अजीब लगता है जबकि मौके पर देखे तो बच्चे कैसे पढ़ाई करते है और शिक्षक उन्हे कैसे पढ़ते है इसे महसूस किया जा सकता है। शिक्षा विभाग की येाजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर दिखाई नही दे रहा है जिसके कारण आदिवासी क्षेत्र के बच्चो को इसका लाभ नही मिल पा रहा है।