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क्या कांग्रेस की यात्राओं और कांग्रेसियों के एक्टिव होने से, भाजपा में भय बढ़ रहा है?

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रायपुर – इस साल के अब गिनती के दिन बचे हैं और अगला साल 2023 चुनावी साल है, तो जाहिर है कि कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ने इसके लिए मैदानी स्तर पर चुनावी कसरत शुरू कर दी है। भारत जोड़ो यात्रा के बाद अब अगले महीने से कांग्रेस ने नए अभियान हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा का प्लान तैयार कर लिया है। जिसपर भाजपा को आपत्ति है, उन्होंने कांग्रेस पर गांधी परिवार के बहाने परिवारवाद के आरोप लगाये हैं। वैसे यहां वार-पलटवार के पीछे असल में है क्या कांग्रेस की यात्राओं से, कांग्रेसियों के एक्टिव होने से, भाजपा में भय बढ रहा है? वो जमीन पर इसका जवाब कैसे देगी ? सवाल ये भी क्या कांग्रेस को सियासी यात्राओं से अपने कार्यकर्ताओं को एक्टिव रखने, जनता से सीधे जुड़े रहने का सियासी हथियार मिल गया है?

अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले में कांग्रेस पार्टी संगठन और सरकार के स्तर पर जनता से सीधे जुड़े रहना चाहती है। एक तरफ प्रदेश सरकार ने भेंट मुलाकात अभियान के जरिए सरकारी योजनाओं का फीडबैल लेना और सरकारी मशीनरी में कसावट लाना शुरू कर दिया है तो दूसरी तरफ संगठन के कार्यकर्ता भी जमीनी स्तर पर लोगों से सीधे संपर्क में रहें इस मक्सद से अगले साल 26 जनवरी 2023 से पार्टी ने हाथ जोडो यात्रा की तैयारी कर ली है। इधर, कांग्रेस की ये कवायद भाजपा को रास नहीं आ रही है। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने यात्रा पर जमकर कटाक्ष किया कहा कि,कांग्रेस का हाथ गांधी परिवार के साथ पहले ही फेविकॉल से जुडे हुए हैं ।

इस बयान पर पलटवार में मंत्री रविंद्र चौबे ने मोर्चा संभाला और कहा कि इन दिनों वैसे भी अजय चंद्राकर को खुद उनकी पार्टी ही सीरियसली नहीं लेती। साथ ही नसीहत भी दी कि ऐसी टिप्पणियां लोकतंत्र में उचित नहीं हैं । दरअसल, भानुप्रतापुर उपचुनाव और भारत जोड़ो यात्रा के रिस्पॉन्स से कांग्रेसी खेमा बेहद उत्साहित है, उसे यात्रा के जरिए जमीनी पकड़ बनाने का फॉर्मूला मिल चुका है, जो भाजपा को जरा भी रास नहीं आ रहा है। इसीलिए वो सरकार को बेरोजगारी, शराबबंदी और कर्जमाफी पर घेरकर माहौल बनाना चाहती है। सवाल भाजपा इसके लिए जमीनी स्तर पर इसका सामना कैसे करेगी ?