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छ.ग. में भूत करते हैं मनरेगा का काम ,अब तक लाखों की ले चुके मजदूरी लेकिन खुलासा हुआ ऐसे

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तिल्दा-नेवरा  – भूत काम करते हैं क्या ? आप भले ही इस सवाल का जवाब न में दें लेकिन छत्तीसगढ़ में एक जगह ऐसी भी है कि जहां अधिकारियों -कर्मचारियों ने मिलकर मृतकों के नाम पर मनरेगा के जॉब कार्ड बनवाए। उनसे काम भी कराया और लाखों रुपए मजदूरी के रूप में भुगतान भी हो गया। आरटीआई में मामले का खुलासा होने के बाद अब अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं। तिल्दा विकासखंड के ग्राम पंचायत बेलदार सिवनी में मनरेगा के हुए काम में फर्जी नाम शामिल कर लाखों रुपए वारे न्यारे किए गए हैं। यानि एक करोड़ से अधिक का भ्रष्टाचार सामने आया है। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि मृतकों को मजदूर बताकर पैसों का गोरख धंधा हुआ, जिंदा लोग बेरोजगार घूमते रहे और मृतकों के नाम पर पैसा बटता रहा।

मामले की सच्चाई जानने मोहित चन्द्राकर के घर पहुंचे और पूछा जॉब कार्ड की फाइल में आपका भी नाम है तो वह जॉब कार्ड की फाइल देखकर हैरान रह गए। उन्होंने कहा मुझे बड़ा दुख है कि ऐसा ऐसा भ्रष्टाचार हो रहा है, उन्होंने ये भी कहा इतना बड़ा घोटाला सिर्फ सरपंच नहीं कर सकता इस घोटाले में नेता और सरकारी कर्मचारी की मिलीभगत से इतनी बड़ी धांधली हुई है।

महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना में लाखों की धांधली हुई
स्व तुलसीराम, स्व जनकराम स्व सुमिरित बाई आदि ये नाम चेहरे भले ही अलग हैं, लेकिन सबकी कहानी एक जैसी ये सभी लोग ग्राम पंचायत बेलदार सिवनी के रहने वाले हैं। अधिकारियों की मिलीभगत से सरपंच सचिव और रोजगार सहायक ने मिलकर इनके नाम पर गांव में फर्जीवाड़ा किया गया है। ग्राम पंचायत में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना में लाखों की धांधली हुई है। इस गेम में कितना बड़ा घोटाला हुआ है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जॉब कार्ड में ऐसे लोगों के नाम हैं जो कि इस दुनिया में हैं ही नहीं। इधर गांवों में जिंदा लोग बेरोजगार घूम रहे थे और मृतकों के नाम पर मनरेगा के पैसों का वारा न्यारा हो रहा था। फर्जी नामों को जॉब कार्ड में जोड़कर धांधली की जा रही थी। इसका खुलासा तब हुआ जब गांव की पूर्व सरपंच ने सूचना अधिकार के तहत मनरेगा में हुए कार्यों की जानकारी मांगी और जब उसे जानकारी मिली तो उसे देखकर सन्न रह गए।

तिल्दा जनपद के सीईओ कहना है कि मामले की जांच चल रही है। जांच कार्रवाई पूर्ण होने के बाद कार्यवाही की जाएगी। जबकि चर्चा यह है कि इस पूरे गड़बड़ी में सीईओ की भूमिका अहम रही है। भले ही सीईओ कह रहे हैं कि अभी जांच चल रही है लेकिन सच्चाई यह है कि जांच का कार्य पूर्ण हो चुका हैद्य बावजूद इतनी बड़ी गड़बड़ी करने वाले सरपंचण् सचिव और ग्राम सहायक के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई है। मात्र गड़बड़ी की राशि को वसूलने की बात कहीं गई है। बताया जाता है कि सीईओ के पदस्त होने के बाद से तिल्दा ब्लॉक के कई और ग्राम पंचायतों में इस तरह की करोड़ों की गड़बड़ी हुई है।

387 दिन की मजदूरी निकाली
गांव के तुलसीराम का देहांत हो चुका है और उसका डेथ सर्टिफिकेट भी है। लेकिन जॉब कार्डधारी तुलसीराम के नाम से 387 दिवस की मजदूरी निकाली गई है। इसी तरह मृतक जनक राम को भी मनरेगा का मजदूर बताकर मजदूरी देना बताया गया है। स्व सुमिरित बाई का नाम मनरेगा के काम करने वाले लिस्ट में शामिल है और उसके नाम पर मजदूरी का भुगतान भी किया गया और अभी भी वह काम कर रही है। बताया जाता है की मनरेगा के जॉब कार्ड में उनके परिवार के साथ फ र्जी नाम भी जोड़े गए हैं।

मनरेगा में फैक्ट्री और दुकान मालिकों के नाम
पूर्व सरपंच उमापुरेना और उनके पुत्र पप्पू का कहना है कि मनरेगा में सुनियोजित ढंग से घोटाला किया गया है। ऐसे लोगों का नाम मनरेगा में शामिल किए हैं, जो संपन्न परिवार से हैं और जिनके घरों में एयर कंडीशनर लगा हुआ है और गांव में पानी की फैक्ट्री चलती है।

नेताओं के नाम पर भी बना दिया जॉबकार्ड
सरकार गांव के गरीब मजदूरों को रोजगार देने के लिए मनरेगा का कार्यक्रम चलाती है, लेकिन ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार के कारीगरों ने नेताओं के नाम पर भी जॉब कार्ड बना दिया। जबकि जीवित बेरोजगार ग्रामीण रोजगार के लिए भटक रहे हैं। ऐसे में ग्रामीण परेशान हो रहे हैं।

क्या कहते हैं जिम्मेदार
4 सदस्य जांच समिति बनाई
बेलदार सिवनी सरपंच रोजगार सहायक व अन्य के खिलाफ मर चुके लोगों के नाम पर जॉब कार्ड बनाए जाने एवं उनके नाम पर पेंशन राशि निकालने की शिकायत मिलने पर मेरे नेतृत्व में 4 सदस्य जांच समिति बनाई गई थी हमने जांच कर रिपोर्ट सौंप दी है।

कार्रवाई की जाएगी –विजय वर्मा,पंचायत निरीक्षक, तिल्दा

बेलदार सिवनी में गड़बड़ी की शिकायत पर समिति बनाकर जांच कराई जा रही है, जांच रिपोर्ट आने के बाद उच्चाधिकारियों से राय लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
राजेंद्र पांडे, सीईओ जनपद पंचायत तिल्दा