रायपुर – राजधानी रायपुर की सड़क पर पंडाल लगा है, गोंडी हल्बी में जनजातीय गीत बज रहे हैं। शाम को हल्की ठंड बढ़ जाती है, पंडाल के पास अलाव जला होता है। मंच पर बैठे होते हैं भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय। नंद कुमार साय सड़क किनारे पंडाल लगाकर 4 दिन से धरना दे रहे हैं। ये धरना आरक्षण की मांग पर है। प्रदेश में आदिवासी समुदाय का आरक्षण 32 से 20 प्रतिशत हो चुका है। इसी का विरोध नंद कुमार साय कर रहे हैं।
साय को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था। ये अविभाजित मप्र एवं छत्तीसगढ़ से तीन बार लोकसभा सांसद, दो बार राज्यसभा सांसद, तीन बार विधायक रहे हैं। वे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रथम नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। मगर अपने इस आंदोलन में साय अकेले दिख रहे हैं। पंडाल में भाजपा का बैनर नहीं है। ज्यादा भाजपा के नेता भी यहां नहीं दिखते हैं।
रिपोर्टर- आप धरना क्यों दे रहे हैं ?
नंद कुमार साय – हाल ही में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर सुनवाई के बाद प्रदेश के आदिवासियों को मिल रहा 32 प्रतिशत आरक्षण घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे समाज दुखी है, इसलिए हम धरने पर बैठे हैं।
रिपोर्टर- कांग्रेस इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार बताती है, आप भाजपा शासन में अहम पदों पर रहे आपने क्या किया ?
नंदकुमार साय- नहीं, जवाबदारी कांग्रेस की है, कांग्रेस की तरफ से अदालत में सही तथ्य, जानकारियां नहीं देने की वजह से ये स्थिति बनी है। भाजपा के वक्त में ये समस्या नहीं थी, मौजूदा समय में कोर्ट के आदेश के बाद विवाद बढ़ा है। जब मैं जनजाति आयोग में था, तब इस तरह की समस्या ही नहीं थी।
रिेपोर्टर – आदिवासी समुदाय को आरक्षण घटने से बड़ा नुकसान क्या है ?
नंदकुमार साय- सरगुजा, बस्तर में निकलने वाली भर्तियों में स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता मिलती थी, वो नहीं मिलेगा। 12 प्रतिशत आरक्षण घटने से नौकरियों में, शिक्षा में हमारे बच्चों को अधिकार नहीं मिलेगा। वो पहले ही पिछड़े हुए हैं और पिछड़ जाएंगे।
रिपोर्टर – क्या भावना है समाज कि या आपकी आरक्षण को लेकर, कितना आरक्षण मिलना चाहिए ?
नंदकुमार साय- फिलहाल तो 32 प्रतिशत जो पहले से लागू था वो यथावत किया जाना चाहिए। प्रदेश में आदिवासी समुदाय की आबादी बड़ी है। ठीक ढंग से सर्वे हो तो यहां जनजाति समुदाय का आरक्षण और बढ़ेगा। ये आरक्षण 60 से 80 प्रतिशत तक जा सकता है। मगर सर्वे में गड़बड़ी की जाती है जानबूझकर, पीछे रखा जाता है। मुझे याद है एक गांव में सिर्फ 2 आदिवासी बताए गए थे, जबकि पूरा गांव आदिवासियों का था।
रिपोर्टर- आपके आंदोलन में भाजपा के लोग नहीं दिखते, आपके बैनर में भी भाजपा कहीं नहीं है ?
नंदकुमार साय- मैं यहां धरना दे रहा हूं, सरगुजा, बस्तर में भी आंदोलन चल रहे हैं। रायपुर में पिछले दिनों चक्का जाम और प्रदर्शन हुए। मैं अकेला नहीं हूं। जन्म दिन के दिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव यहां आए थे। पार्टी के लोगों का पूरा समर्थन है। पिछले दिनों जब पार्टी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर आए थे, मैंने उनको भी इस अनशन की जानकारी दी थी।
रिपोर्टर – अनशन का शेड्यूल क्या होता है ?
नंदकुमार साय- मैं सुबह 10 बजे के आस-पास यहां आकर बैठ जाता हूं। इसके बाद शाम को 7-8 बजे तक मेरा धरना चलता है। बीच-बीच में लोग आकर मिलते रहते हैं। मैं दिन भर यहां बैठने के दौरान कुछ नहीं खाता, रात को ही लौटने के बाद कुछ हल्का खा लिया। धरने पर बैठने के दौरान में अन्न, फल, कुछ ग्रहण नहीं करता।
रिपोर्टर- कब तक ये धरना चलेगा ?
नंदकुमार साय- जब तक 32 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था पूरी तरह से लागू न हो। विधानसभा में विधेयक आएगा, राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद गजट प्रकाशन होगा। हम ये भी देखेंगे कि कहीं फिर से ये मामला कोर्ट में चला जाए फिर से कोई अड़ंगा न आ जाए, 32 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था सिस्टम में आ जाए तभी हम यहां से हटेंगे।