महतारी एक्सप्रेस एंबुलेंस सर्विस के प्रमुख राज गेहानि से जब इस बारे में बातचीत की गई तो उनका कहना था कि केवल मां और बच्चे के ट्रांसपोर्टेशन की जिम्मेदारी उनकी है, डेड बॉडी की नहीं। फिलहाल एंबुलेंस सेवा का ऐसा रवैया अक्सर सामने आता है, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।
कोरबा – छत्तीसगढ़ के हेल्थ सिस्टम ने एक बार फिर से शर्मसार किया है। इस बार मामला कोरबा जिले का है। यहां महिला की मौत के 15 दिन बाद जिला अस्पताल में नवजात ने भी दम तोड़ दिया। इसके बाद परिजन शव ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग करते रहे। सुबह से शाम हो गई, लेकिन एंबुलेंस नहीं मिली। इस दौरान नवजात के शव को गोद में लिए उसकी चाची बाहर इंतजार करती रही। वहीं महतारी एंबुलेंस सर्विस प्रमुख का कहना है कि उनकी जिम्मेदारी मां-बच्चे के ट्रांसपोर्टेशन की है, डेडबॉडी की नहीं। एंबुलेंस को कॉल किया, पर कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला
दरअसल, धर्मजयगढ़ के गुरमा गांव निवासी कलावती ने 30 अक्तूबर को बच्चे को जन्म दिया था। इसके कुछ घंटे बाद उसकी मौत हो गई। नवजात का पालन-पोषण उसके रिश्तेदार कर रहे थे। इस बीच बच्चे ने दूध पीना बंद कर दिया। उसे दिक्कत शुरू हुई तो उन्होंने नवजात को किसी तरह लाकर जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया। यहां उपचार के दौरान मंगलवार सुबह करीब 8 बजे नवजात ने भी दम तोड़ दिया। परिजनों ने एंबुलेंस को कॉल किया, लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। फिर वे काफी देर भटकते रहे।
मां की मौत भी एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण हुई थी
इस दौरान नवजात की चाची अमली बाई उसका शव गोद में लिए अस्पताल के बाहर बैठी रही। सुबह से शाम हो गई, लेकिन कोई साधन नहीं मिला। इसकी जानकारी मीडिया को लगी तो वह भी पहुंच गई। अमली बाई ने बताय कि वे काफी गरीब हैं। गांव तक जाने के लिए वाहन को देने पैसे नहीं है। इसलिए यहीं बैठे हैं। इससे पहले बच्चे की मां कलावती की मौत भी प्रसव के दौरान एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण हो गई थी। इसके बाद मीडिया ने अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस सेवा की लापरवाही को लेकर जानकारी दी।
जिला अस्पताल प्रबंधन ने की शव वाहन की व्यवस्था
इस पर जिला अस्पताल के अधिकारी बाहर आए और एंबुलेंस चालकों को फटकार लगाई। उनकी पहल पर मुक्तांजिल शव वाहन की व्यव्स्था की गई। जिससे नवजात के शव को उनके गांव भिजवाया जा सका। वहीं महतारी एक्सप्रेस एंबुलेंस सर्विस के प्रमुख राज गेहानि से जब इस बारे में बातचीत की गई तो उनका कहना था कि केवल मां और बच्चे के ट्रांसपोर्टेशन की जिम्मेदारी उनकी है, डेड बॉडी की नहीं। फिलहाल एंबुलेंस सेवा का ऐसा रवैया अक्सर सामने आता है, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।अमर उजाला