डायरेक्ट टु होम (DTH) टीवी सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए अच्छी खबर नहीं है। सरकार ने सीएजी (CAG) से उनके ऑडिट की गहराई से जांच कराने की मांग की है। इनमें एयरटेल
नई दिल्ली – डायरेक्ट टु होम (DTH) टीवी सर्विस प्रोवाइडर्स की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सरकार ने सीएजी (CAG) से इन कंपनियों का स्पेशल ऑडिट करने को कहा है। लाइसेंस फीस को लेकर इनका लंबे समय से विवाद चल रहा है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस बारे में सीएजी को एक पत्र लिखा है। इसमें सभी डीटीएच सर्विस प्रोवाइडर्स का शुरुआत से अब तक इनटेंसिव ऑडिट करने को कहा गया है। इन कंपनियों के रेवेन्यू कैल्कुलेशन में गड़बड़ी का संदेह है। यही कारण है कि सरकार ने सीएजी से इनका व्यापक ऑडिट करने को कहा है। इनमें एयरटेल डिजिटल टीवी टाटा प्ले , डिश टीवी (Dish TV) और सन डायरेक्ट शामिल हैं।
डीटीएच ऑपरेटर्स ने मई में लाइसेंस फीस में छूट की मांग की थी। इसके पीछे उनकी दलील थी कि उनके ग्राहकों की संख्या में कमी आई है। उनका कहना था कि स्ट्रीमिंग सर्विसेज के आने जैसे कई कारणों से उनके सब्सक्राइबर्स की संख्या घटी है। 2003 से 2007 के बीच छह डीटीएच लाइसेंस दिए गए थे। लेकिन यह संख्या अब चार रह गई है। इनमें एयरटेल डिजिटल टीवी, टाटा प्ले, डिश टीवी और सन डायरेक्ट शामिल हैं। सरकार ने सभी छह डीटीएच ऑपरेटर्स का ऑडिट करने को कहा है। इस तरह बिग टीवी/इंडिपेंडेंट टीवी और वीडियोकॉन के डी2एच टीवी की भी जांच होगी। इन कंपनियों से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो पाया।
रेवेन्यू में गिरावट
एयरटेल डिजिटल टीवी, टाटा प्ले, डिश टीवी और सन डायरेक्ट के साथ-साथ फ्री डीटीएच प्रोवाइडर डीडी फ्री डिश के 6.8 करोड़ से अधिक सब्सक्राइबर हैं। फ्री डीटीएच सरकारी डीटीएच सर्विस प्रोवाइडर है। डीटीएच सर्विस प्रोवाइडर्स को अपने रेवेन्यू का एक हिस्सा लाइसेंस फीस के रूप में सरकार को देना होता है। यह उनके सालाना ग्रॉस रेवेन्यू का आठ फीसदी होता है। फाइनेंशियल ईयर 2023 में डीटीएच लाइंसेस फीस के 1,000 करोड़ रुपये के पार पहुंचने की उम्मीद है। इसमें कमर्शियल टीवी सर्विसेज और एफएम रेडियो आदि की लाइसेंस शामिल है।
लेकिन सरकारी अधिकारियों को आशंका है कि इन कंपनियों के रेकॉर्ड में रेवेन्यू में गिरावट आई है और ये उम्मीद के मुताबिक नहीं है। लाइसेंस फीस का मामला कई साल से चल रहा है। यह मामला कोर्ट में भी है। दिसंबर 2020 में सरकार ने एस्सेल ग्रुप के डिश टीवी को एक नोटिस भेजकर 4,164 करोड़ रुपये जमा करने की मांग की थी। कंपनी को 2003 से लाइसेंस फीस और ब्याज के रूप में यह रकम चुकाने को कहा गया था।