BJP महामंत्री ने कहा कि भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ कर्मचारियों को करीब 5500 करोड़ रुपये के लाभ से वंचित किया है। साल 2019 से कर्मचारियों को केंद्र की ओर से घोषित महंगाई भत्ता नहीं दिया जा रहा है।
रायपुर – छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री और प्रदेश BJP महामंत्री केदार कश्यप ने कहा कि दीपावली त्योहार को सिर्फ दो दिन बचे हैं और राज्य के कर्मचारी व अधिकारियों को अभी तक वेतन नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार की नाकामी की वजह से है। इसके चले कर्मचारियों में नाराजगी है, वे मायूस हें। पूर्व मंत्री ने कहा कि बिना प्रदेश सरकार को अपने अफसरों की चिंता नहीं है। वेतन के कर्मचारियों की दिवाली कैसी होगी। कर्ज में डूबे इस प्रदेश में जनता से लेकर कर्मचारी तक सब बेहाल हैं।
कर्मचारियाों के परिवारों पर आर्थिक संकट
पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने बयान जारी कर राज्य सरकार पर निशाना साधा है। कहा कि, देश के सबसे बड़े त्योहार दीपावली के लिए सभी तरफ उत्साह का माहौल है , लेकिन छत्तीसगढ़ सहित बस्तर संभाग में अभी तक कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। त्योहार के समय वेतन न मिलने से कर्मचारियों के परिवार पर आर्थिक संकट आ पड़ा है, लेकिन राज्य सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। कहा कि, सरकार जल्द से जल्द कर्मचारियों का वेतन उनके खाते में डाल दे, जिससे खुशी-खुशी त्योहार मना सकें।
कर्मचारियों को 5500 करोड़ के लाभ से किया गया वंचित
BJP महामंत्री ने कहा कि राज्य सरकार संवेदनशून्य हो चुकी है। ऐसी सरकार जो अपने प्रदेश की जनता का सुख-दुख न समझ सके, उसे पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार ही नहीं है। उन्होंने कहा कि भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ कर्मचारियों को करीब 5500 करोड़ रुपये के लाभ से वंचित किया है। साल 2019 से कर्मचारियों को केंद्र की ओर से घोषित महंगाई भत्ता नहीं दिया जा रहा है। कर्मचारियों के आंदोलन के बाद 5 प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाया गया, पर इस बीच के तीन साल का दिया ही नहीं।
हर माह कर्मचारियों का तीन हजार का नुकसान
उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार में इस राशि को GPF में जमा कर दिया जाता था, जो कि रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को एक बढ़ी राशि के रूप में काम आता था। इसी तरह आवास भाड़ा भत्ता सातवें वेतनमान अनुसार मिलना चाहिए, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने यहां पर भी कर्मचारियों का गला दबाया है। हर महीने तीन हजार रुपये का नुकसान कर कर्मचारियों का करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपये नहीं दिया गया। इसका सबसे ज़्यादा नुक़सान पेंशनधारियों को हो रहा है।