कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में एक ओर पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे दावा पेश कर रहे हैं। वहीं, उनके खिलाफ तिरुवनंतपुरम सांसद शशि थरूर मैदान में हैं। पार्टी के दोनों ही दिग्गजों का अपने-अपने समर्थक हैं, लेकिन इस दौड़ में संख्या के लिहाज से थरूर पिछड़ते नजर आ रहे हैं। खबरें हैं कि उन्हें कई प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्षों का समर्थन नहीं मिल रहा है। खुद वह भी इसके संकेत दे चुके हैं।
इतना ही नहीं मनीष तिवारी जैसे कथित G-23 समूह के नेता भी खड़गे के समर्थन में ही बात कर रहे हैं। अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने वालों में थरूर भी शामिल रहे थे। हालांकि, G-23 से ही एकमात्र नेता संदीप दीक्षित लगातार उनके पक्ष में बात कर रहे हैं। अब उन्होंने अपने इस समर्थन के चार कारण भी गिनाए हैं।
पहला- सेल्फ मेड
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में दीक्षित ने थरूर को सेल्फ मेड हैं। यह जरूर है, क्योंकि घटिया बयानबाजी के बीच वह ऐसे नहीं है, जो किसी बड़े परिवार से आते हैं, लेकिन उन्होंने खुद को तैयार किया है और जो भी क्षेत्र उन्होंने चुना… वहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है। दीक्षित ने कहा कि राजनीति उनका चुना हुआ क्षेत्र नहीं है, वह संयुक्त राष्ट्र के महासचिव लगभग बन गए थे। कांग्रेस नेता नेता ने कहा कि वह एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिसने अपनी क्षमता, बुद्धी, गंभीरता और मेहनत से खुद को तैयार किया है।
दूसरा- कांग्रेस का रूप
दीक्षित ने कहा कि वह उस कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसका मतलब आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विचारधारा है, जो व्यापक रूप से लोकतांत्रिक है।
तीसरा- अनुभव
इस दौरान दीक्षित थरूर के अनुभव की भी तारीफ की। कांग्रेस नेता ने कहा कि वह बड़े संगठनों में काम कर चुके हैं… ऐसे में उन्हें संगठन का अनुभव है। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के अंदर काम नहीं करने की बात और संगठन का अनुभव नहीं होना वैध तर्क नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि आपके पास किसी संगठन में काम करने का अनुभव होना चाहिए।’
चौथा- लोगों को आकर्षित करने की क्षमता
दीक्षित के अनुसार, थरूर में कई नए समूहों खासतौर से कांग्रेस को चुनौती देने वालों को पार्टी में लाने की क्षमता है। वह तिरुवनंतपुरम सांसद को अच्छा विकल्प मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह मुझे अन्य कई चेहरों से ज्यादा बेहतर लगते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए 17 अक्टूबर की तारीख तय की गई है। पार्टी के 9 हजार से ज्यादा डेलीगेट्स सोमवार को मतदान करेंगे। इसके बाद 19 अक्टूबर को मतगणना होगी। खास बात है कि पार्टी को 2 दशक से ज्यादा समय के बाद चुनाव होने जा रहे हैं। अब तक यह जिम्मेदारी सोनिया और कुछ समय के लिए राहुल गांधी संभाल रहे थे।