ये तस्वीरें पाकिस्तान के मुल्तान शहर के पंजाब निश्तार अस्पताल की हैं, जिन्हें देखकर हॉरर फिल्म बनाने वाले भी कांप उठेंगे। ये एक ऐसा मामला है, जिसने पाकिस्तान में अमानवीयता और हेल्थ सेक्टर में व्याप्त अराजकता की कलई खोलकर रख दी है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस अस्पताल की छत पर करीब 500 लावारिस लाशें पड़ी मिलीं।
पाकिस्तान – ये तस्वीरें पाकिस्तान के पंजाब में मुल्तान शहर के निश्तार अस्पताल की हैं, जिन्हें देखकर हॉरर फिल्म बनाने वाले भी कांप उठेंगे। ये एक ऐसा मामला है, जिसने पाकिस्तान में अमानवीयता और हेल्थ सेक्टर में व्याप्त अराजकता की कलई खोलकर रख दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस अस्पताल की छत पर करीब 500 लावारिस लाशें पड़ी मिलीं। इन लाशों के अंदरूनी अंग निकाले जा चुके थे। लाशें पूरी तरह सड़-गल चुकी थीं। दुर्गंध इतनी कि दूर-दूर लोग खड़े न रह पाएं। कई शवों के सीने खुले दिखे। आशंका है कि उनका हार्ट निकाल लिया गया था। मामला सामने आने के बाद जब पंजाबके मुख्यमंत्री के एडवाजयर चौधरी जमां गुर्जर अस्पताल पहुंचे, तो लाशों की सड़ांध से उनका सिर घूम चौधरी ने सभी शवों का अंतिम संस्कार करने का आदेश देकर हेल्थ अफसरों को जांच कर आरोपियों पर सख्त एक्शन लेने को कहा है। मामले की जांच के लिए दक्षिण पंजाब के हेल्थ डिपार्टमेंट ने 6 सदस्यों की टीम का गठन किया है। टीम तीन दिन में जांच रिपोर्ट जमा करेगी। पढ़िए पूरी डिटेल्स…
पढ़िए कुछ बड़े पाइंट्स में पूरी खबर
मुल्तान के निश्तार अस्पताल के एक शीर्ष अधिकारी ने अस्पताल की छत पर शवों के सड़ने के लिए पुलिस और रेस्क्यू अफसरों को दोषी ठहराया है। इस मामले में पंजाब सरकार और निश्तार मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने अलग-अलग समितियों का गठन किया है। पाकिस्तानी मीडिया से बातचीत में निश्तार मेडिकल यूनिवर्सिटी (एनएमयू) के एनाटॉमी विभाग की प्रमुख डॉ. मरियम अशरफ ने कहा कि मुर्दाघर और उसकी छत पर शवों के पड़े होने के लिए बचाव अधिकारियों और पुलिस को जिम्मेदार ठहराया गया है। अशरफ ने कहा कि मेडिकल फेसिलिटी शवों को रखने से मना नहीं कर सकती थी। पुलिस और बचाव अधिकारी हमें लावारिश लाशों को अस्पताल में रखने के लिए बाध्य करते हैं। अधिकारी ने कहा, “पुलिस और बचाव अधिकारी लाशों को समय पर वापस नहीं ले जाते हैं। हमारे पास लिखित दस्तावेज हैं, जिसमें हमने उन्हें शव ले जाने के लिए कहा है। चूंकि इन सबमें लंबा समय होता है, इसलिए, ऐसी चीजें होती हैं।”
अस्पताल के अधिकारी ने कहा-“पुलिस से मेडिकल फेसिलिटी(पोस्टमार्टम) के लिए मिलने वाले वाले शव आमतौर पर सड़ जाते हैं और उन्हें मुर्दाघर में नहीं रखा जा सकता है। सड़ने-गलने के कारण शवों को कीड़े खाना शुरू कर देते हैं। ऐसे में कीड़े एक शव से दूसरे शव तक पहुंच सकते हैं। इसलिए, जो शव सड़ रहे हैं उन्हें छत पर रखा जाता है, जहां तीन कमरे हैं।” इस मामले में अस्पताल मैनेजमेंट से एधी फाउंडेशन की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने गैर-सरकारी संगठन(NGO) की प्रशंसा की, लेकिन शवों को वापस नहीं लेने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, “एधी फाउंडेशन हमारे अस्पताल से शव नहीं उठा रहा है, क्योंकि उनके कब्रिस्तान में दफनाने की जगह नहीं है।” उन्होंने कहा, “शवों को छत पर रखने का एकमात्र कारण यह है कि उनकी आमद बहुत अधिक है और वे पुलिस थानों में उतनी संख्या में वापस(दफनाने के लिए) नहीं लिए जा रहे हैं, जितने लेना चाहिए।”
कुछ ही शव पड़े होने की बात स्वीकारी
कुछ मीडिया अस्पताल की छत पर 500 और कुछ 200 शव पड़े होने की बात कह रहे हैं। अस्पताल के अधिकारी ने छत पर इतने शव पड़े होने के दावों को खारिज करते हुए कहा कि मेडिकल फेसिलिटी के प्रशासन ने शवों की सही संख्या की गणना की है और सभी संबंधित अधिकारियों के साथ डिटेल्स शेयर की है। अस्पताल मैनेजमेंट ने कहा-“मैं स्पष्ट कर दूं, ऊपर केवल कुछ शव रखे गए थे। कमरे में सड़ी-गली लाशें रखी गई हैं।”
डॉ. मरियम अशरफ ने कहा कि पुलिस द्वारा अस्पताल को दिए गए शवों को एक महीने के लिए मुर्दाघर में रखा जाता है और यदि कोई शवों पर दावा करने के लिए नहीं आता है, तो उन्हें पुलिस को दफनाने के लिए वापस भेज दिया जाता है। उन्होंने कहा-“आमतौर पर हमें जो लावारिश लाशें मिलतीहैं, वे पहले से ही काफी हद तक सड़ चुकी होती हैं। हम अपने सभी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का पालन करते हैं। हम सड़े हुए शवों को लेने से भी इनकार नहीं करते हैं। यदि हमें मेडिकल स्टूडेंट्स के प्रैक्टिकल के लिए किसी बॉडी पार्ट्स की आवश्यकता होती है, तो हम उसी के अनुसार लेते हैं।”
पंजाब पुलिस ने दिए ये तर्क
पंजाब पुलिस के प्रवक्ता डीआईजी मुहम्मद वकास नजीर ने स्वीकार किया कि ये लावारिस शव पुलिस ने जांच के तहत अस्पताल को सौंपे थे, जो कानून जांच की आवश्यकता और एक प्रक्रिया है। उधर, एधी फाउंडेशन ने दावा किया, “हमने निश्तार अस्पताल को शवों को दफनाने से मना नहीं किया, वास्तव में हमने उन्हें दफनाने के लिए आज संपर्क किया है।” एधी ने बताया कि संगठन ने पिछले 11 महीनों में 155 शवों को दफनाया है।
चिकित्सा विशेषज्ञ की राय
जिन्ना पोस्टग्रेजुएट मेडिकल सेंटर की पूर्व कार्यकारी निदेशक डॉ. सीमिन जमाली ने अपना दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी ऐसी कोई घटना नहीं देखी, जहां छात्रों को पढ़ाने के लिए छत पर लावारिस शव रखे गए हों। इधर, जेपीएमसी के पूर्व अधिकारी ने कहा कि कल्याण संगठनों ने उन शवों को अस्पतालों द्वारा सौंपे जाने के बाद दफना दिया है। उसने यह भी खुलासा किया कि मेडिकल छात्रों को ताजा लाशों का उपयोग करके प्रैक्टिकल कराया जाता था, क्योंकि पुराने शवों से बदबू आती है।
व्हिसलब्लोअर की टिप
पंजाब के मुख्यमंत्री के सलाहकार तारिक जमान गुर्जर ने कहा कि एक व्हिसलब्लोअर ने उन्हें निश्तार अस्पताल में मुर्दाघर की छत पर सड़ रहे शवों के बारे में बताया। गुर्जर ने कहा, “मैं निश्तार अस्पताल में दौरे पर था, जब एक आदमी मेरे पास आया और कहा कि अगर तुम अच्छा काम करना चाहते हो तो मुर्दाघर जाओ और उसकी जांच करो।”
उन्होंने कहा कि जब वह वहां पहुंचे, तो कर्मचारी मोर्चरी का दरवाजा खोलने को तैयार नहीं थे। गुर्जर ने कहा, “इस पर, मैंने कहा कि अगर आप इसे अभी नहीं खोलते हैं, तो मैं आपके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने जा रहा हूं।”
उन्होंने कहा कि जब अंतत: मुर्दाघर खोला गया और उन्होंने अंदर कदम रखा, तो उन्हें कम से कम 200 शव पड़े मिले। यहां तक कि महिलाओं के शरीर को भी ढका नहीं गया था।”